How To Save Income Tax In Hindi | क्या आप 80C की इन डिडक्शन के बारे में जानते है ? देखिये 8 most important 80C deductions

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How To Save Income Tax In Hindi

How To Save Income Tax In Hindi – लोगो को सेविंग और निवेश करने के लिए सरकार द्वारा इनकम टैक्स में छूट प्रदान करती है, ताकि अधिक से अधिक लोग सेविंग और निवेश करने के लिए प्रोत्साहित हो। लोगो की बदलती जीवनशैली, बढ़ते हुए खर्चे, कम इन्वेस्टमेंट और अधिक टैक्स के चक्कर में लोगो को राहत प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा सेक्शन 80C लाया गया था।

सेक्शन 80C में टैक्सपेयर द्वारा अपने इन्वेस्टमेंट, बचत और खर्चो की टैक्स में छूट प्राप्त की जा सकती है। इस सेक्शन में टैक्सपेयर द्वारा अधिकतम 1.50 लाख की टैक्स छूट ली जा सकती है। इस 1.50 लाख की लिमिट में टैक्सपेयर के सभी टैक्स सेविंग खर्चे और इन्वेस्टमेंट व सेविंग शामिल है।

अगर आपके कुल इन्वेस्टमेंट और खर्चो की कुल राशि 1.50  लाख से ज्यादा की हो जाती है , तो आपको सिर्फ 1.50 लाख तक की ही छूट दी जाएगी और ज्यादा राशि को छोड़ दिया जायेगा।

वर्तमान में सबसे लोकप्रिय टैक्स डिडक्शन सेक्शन 80 सी की टैक्स डिडक्शन ही है। अगर आपको यह पूछा जाये कि आप सबसे अधिक टैक्स डिडक्शन कौनसे सेक्शन में क्लेम करते है, तो आपमें से अधिकतर लोगो का जवाब होगा सेक्शन 80C में।

सेक्शन 80C एक मात्र ऐसा सेक्शन है, जिसमे अधिकतर लोग अपनी टैक्स डिडक्शन को क्लेम करते है। क्योकि इस सेक्शन में अधिकतर ऐसे इन्वेस्टमेंट और खर्चो को शामिल किया गया है, जो कि एक आम आदमी से सम्बंधित होते है।

ध्यान रहे सेक्शन 80C में सिर्फ इंडिविजुअल और हिन्दू अनडिवाइडेड फैमिली द्वारा ही टैक्स डिडक्शन क्लेम की जा सकती है। किसी भी फर्म, कंपनी या LLP द्वारा इस सेक्शन में छूट क्लेम नहीं की जा सकेगी।

आज के हमारे आर्टिकल (How to save income tax in hindi) में हम इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80C  की इम्पोर्टेन्ट टैक्स डिडक्शन के बारे में चर्चा करेंगे।  लेकिन सबसे पहले हम टैक्स डिडक्शन के कुछ रूल्स को जानेंगे।

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इनकम टैक्स डिडक्शन को क्लेम करने से जुड़े बेसिक रूल्स। how to save income tax in hindi |

इनकम टैक्स एक्ट 1961 में टैक्स डिडक्शन को chapter VI – A में बताया गया है। इसमें सेक्शन 80C से सेक्शन 80U की टैक्स डिडक्शन शामिल है।

सेक्शन 80C से सेक्शन 80U तक की टैक्स डिडक्शन की छूट टैक्सपेयर की ग्रॉस टोटल इनकम में से दी जाती है। अगर टैक्सपेयर की कोई भी इनकम नहीं है, तो उसे कुछ भी टैक्स डिडक्शन प्राप्त नहीं होगी। ग्रॉस टोटल इनकम में से टैक्स डिडक्शन को घटाने के बाद आयी इनकम को नेट इनकम कहा जाता है और इसी नेट इनकम पर टैक्स कैलकुलेट किया जाता है।

किसी भी कंडीशन में टैक्स डिडक्शन टैक्सपेयर की टोटल इनकम से ज्यादा क्लेम नहीं की जा सकती है। अगर किसी डिडक्शन को क्लेम नहीं किया जा सकता है, तो उसे आगे कैरी फॉरवर्ड करने का इनकम टैक्स में कोई रूल नहीं है।

इनकम टैक्स डिडक्शन के बेसिक रूल्स जानने के बाद हम इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80C से जुडी 7 इम्पोर्टेन्ट टैक्स डिडक्शन के बारे में चर्चा करेंगे।

Education fees deduction in income tax | बच्चो की शिक्षा पर इनकम टैक्स छूट 

टैक्सपेयर द्धारा अपने बच्चो की फुल टाइम एजुकेशन पर किये गए खर्चे की सेक्शन 80 C में टैक्स डिडक्शन क्लेम की जा सकती है । आपके द्वारा अधिकतम 2 बच्चो की एजुकेशन पर किये गए खर्चो की टैक्स डिडक्शन क्लेम की जा सकती है।

ध्यान रखे कि अधिकतम 2 बच्चो की डिडक्शन की सीमा पति और पत्नी दोनों पर अलग -अलग लागू होगी। जैसे – आकाश और उसकी पत्नी अनीता दोनों के 3 बच्चे है। पति – पत्नी दोनों सैलरीड पर्सन है और दोनों की टैक्सेबल इनकम है। इस केस में आकाश और अनीता द्वारा अपने तीनो बच्चो की एजुकेशन पर किये गए खर्चे की टैक्स डिडक्शन क्लेम की जा सकती है।

एजुकेशन फीस की छूट क्लेम करते समय ध्यान रखे की एजुकेशन फीस में केवल ट्यूशन फीस को ही शामिल किया जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि आप सिर्फ ट्यूशन फीस के भुगतान की ही टैक्स छूट ले सकते है , जबकि डेवलपमेंट फीस, डोनेशन,ट्रांसपोर्ट फीस, हॉस्टल चार्जेज या हॉस्टल फीस, एडमिशन फीस आदि की टैक्स में छूट नहीं दी जाएगी।

इसके अलावा ट्यूशन फीस की टैक्स डिडक्शन केवल भारत में फुल टाइम एजुकेशन के लिए University, College Or Any Other Institute, School को किये गए पेमेंट पर ही प्राप्त होगी। किसी प्राइवेट कोचिंग सेंटर या डिस्टेंस लर्निंग के लिए किये गए किसी तरह के एजुकेशन खर्चे की टैक्स छूट प्राप्त नहीं होगी।

Home Loan principal Repayment | होम लोन के प्रिंसिपल भुगतान की सेक्शन 80C में टैक्स छूट 

अगर आपने अपने लिए घर खरीदने या घर का निर्माण करवाने के लिए कोई होम लोन लिया है, तो इस होम लोन के पेमेंट की आप सेक्शन 80C में टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते है। सेक्शन 80C में आपको सिर्फ होम लोन के प्रिंसिपल पेमेंट की छूट दी जाएगी , जबकि होम लोन के ब्याज पेमेंट की छूट आप सेक्शन 24 में क्लेम कर सकते है।

जैसे – आपने एक फाइनेंसियल ईयर में कुल 1 लाख 20 हजार की होम लोन का पेमेंट किया है। इस 1 लाख 20 हजार के अमाउंट में 80 हजार का अमाउंट होम लोन इंटरेस्ट का और बाकी 40 हजार का अमाउंट प्रिंसिपल पेमेंट का है। तो इस केस में सेक्शन 80C में आपको प्रिंसिपल पेमेंट की ही टैक्स में छूट दी जाएगी, जो कि 40 हजार की होगी।

इंटरेस्ट अमाउंट की टैक्स में छूट सेक्शन 24 में क्लेम की जा सकती है, जो कि अधिकतम 2 लाख की होगी।

होम  लोन की छूट प्राप्त करने के लिया आपका घर पर Possession होना जरुरी है। और जिस वर्ष में Possession प्राप्त हुआ था, उस फाइनेंसियल ईयर की समाप्ति से 5 वर्ष के भीतर घर को बेचा नहीं जाना चाहिये।

यदि 5 वर्ष के भीतर घर को बेचा जाता है, तो जो भी आपको जो भी टैक्स डिडक्शन प्राप्त हुई थी, वह उस वर्ष की आपकी मानी जायेगी, जिस वर्ष में घर को बेचा गया था और इस इनकम पर आपको टैक्स देना होगा। हालाँकि, सिर्फ होम लोन के प्रिंसिपल रीपेमेंट की छूट को ही आपको रिवर्स करना होगा , ब्याज के पेमेंट की छूट रिवर्स नहीं होगी।

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Life Insurance Premium tax deduction | लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी टैक्स डिडक्शन  

अगर आपके अपने या अपनी फैमिली के लिए कोई लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी ली जाती है, तो इसके प्रीमियम के पेमेंट की सेक्शन 80C में टैक्स डिडक्शन क्लेम की जा सकती है।

आपकी फैमिली में आपका जीवनसाथी या बच्चो ( Minor Or Major ) को शामिल किया जाता है। यानि कि सेक्शन 80C में अपने बच्चो के नाम से ली गई जीवन बीमा पॉलिसी की भी टैक्स छूट ली जा सकती है, लेकिन ध्यान रखे बच्चो द्वारा अपने पेरेंट्स की लाइफ पर ली गयी जीवन बीमा पॉलिसीज के प्रीमियम भुगतान की टैक्स डिडक्शन प्राप्त नहीं होगी।

जीवन बीमा पालिसी के प्रीमियम पर छूट प्राप्त करने के लिये यह जरुरी नहीं है, कि लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज सिर्फ LIC द्वारा ही ली गयी हो, प्राइवेट पॉलिसी भी छूट के लिए मान्य होगी।

यदि आपने एक से अधिक जीवन बीमा पॉलिसीज ले रखी है, तो सभी पॉलिसीज पर भुगतान किये गए प्रीमियम की सेक्शन 80 सी में छूट प्राप्त होगी (अधिकतम 1,50,000 ) ।

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Equity Linked Savings Scheme (ELSS) | टैक्स सेविंग म्यूच्यूअल फंड्स 

ELSS स्कीम ऐसी म्यूच्यूअल फंड्स स्कीम होती है जो कि equity में निवेश करते है। टैक्सपेयर द्वारा टैक्स सेविंग म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश की सेक्शन 80 C में टैक्स डिडक्शन क्लेम की जा सकती है।

इन म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने पर 3 वर्ष का “lock in period ” होता है, जिसका मतलब है इनमे निवेश करने के बाद 3 वर्ष तक आप अपना पैसा नहीं निकाल सकते है। 3 वर्ष बाद जब आप अपना पैसा निकालते है, तो इन पैसो पर मिलने वाला रिटर्न लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होता है।

इस तरह का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 10% की रेट से टैक्सेबल होता है। हालाँकि 1 लाख तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है। जैसे – टैक्स सेविंग म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश पर आपको 2 लाख का प्रॉफिट हुआ, तो 2 लाख में 1 लाख का प्रॉफिट टैक्स फ्री होगा और बैलेंस 1 लाख के प्रॉफिट पर आपको 10 % की फिक्स्ड रेट से टैक्स देना होगा।

ELSS स्कीम में न्यूनतम 500 तक का और अधिकतम इन्वेस्टमेंट की कोई सीमा नहीं है, परन्तु सेक्शन 80C में अधिकतम टैक्स डिडक्शन 1,50,000 के अमाउंट तक ही प्राप्त होगी।

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Sukanya Samriddhi Yojna –

Sukanya Samriddhi Yojna एक Tax Saving Scheme है,  जिसमे Girl Child के नाम से Account खुलवाना पड़ता है, इसमें एक Financial Year में कम से कम Rs 1000 और अधिकतम Rs 1,50,000 तक जमा करा सकते है। जमा की गयी राशि की 80 c में deduction ली जा सकती है। सुकन्या समृद्धि योजना में खोले गए account से मिलने वाला ब्याज भी Tax free होता है।

यह account Girl Child के 10 वर्ष की होने से पहले खुलवाना  पड़ता है और यह अधिकतम 2 Girl Child के लिए खुलवाया जा सकता है। सुकन्या समृद्धि योजना खाते मे कम से कम 14 वर्ष तक राशि जमा करवानी पड़ती है और जमा राशि गर्ल चाइल्ड के 21 वर्ष के होने के बाद ही निकाली जा सकती है।

लेकिन 50 % तक की राशि गर्ल चाइल्ड के 18 वर्ष के होने के बाद भी निकाली जा सकती है जो केवल गर्ल चाइल्ड की Education, Treatment या Marriage के लिये हो सकती है ।

Senior Citizen Saving Scheme(SCSS) –

यह स्कीम सीनियर सिटीजन के लिए Regular income प्राप्त करने के लिए चलाई गयी है। Senior Citizen में ऐसे व्यक्ति जो 60 वर्ष के हो गए हो या जो 55 वर्ष के हो गए हो लेकिन 60 वर्ष से कम हो, जिन्होंने VRS लिया हो शामिल किये जायेंगे।

SCSS में जमा की गयी राशि की 80 सी में छूट प्राप्त होती है ,लेकिन यह राशि कम से कम 5 वर्ष तक जमा रखनी पड़ती है और अगर यह राशि 5 वर्ष से कम अवधि में निकाली जाती है, तो यह उस वर्ष की इनकम मानी जायेगी और टैक्सेबल होगी। लेकिन यह राशि Account holder की मृत्यु की दशा में Nominee या Legal Heirs को प्राप्त होती है, तो यह taxable नहीं होगी। यह अकाउंट किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में खुलवाया जा सकता है। जाने Regular Return , Loss Return ,Belated Return U/S 139 of The Income Tax Act 1961 के बारे में।

Five Years Time Deposit deduction under section 80c in hindi 

बैंक/पोस्ट ऑफिस में 5 वर्ष तक की Time Deposit/Fixed Deposit की सेक्शन 80C में Deduction प्राप्त होगी। परन्तु इन पर प्राप्त ब्याज Maturity के वर्ष में टैक्सेबल होगा।

  • investment in Public Provident Fund Scheme (PPF ) – यदि आप एक इंडिविजुअल है और पब्लिक प्रोविडेंट फंड में अकाउंट खुलवाते है, तो आपको सेक्शन 80 c में डिडक्शन प्राप्त होगी।

पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड योजना से टैक्स बेनिफिट प्राप्त करने के लिए आपको इसमें अपने नाम से या अपने जीवनसाथी के नाम से या अपने बच्चे के नाम से अकॉउंट खुलवाना होता है। HUF के केस में आप अपनी फैमिली के किसी भी मेम्बर के नाम से अकाउंट खुलवा सकते है।

पीपीएफ में आप मिनियम 500 रुपये से अकाउंट ओपन करवा सकते है। इस अकाउंट से मिलने वाला इंटरेस्ट और maturity पर मिलने वाला पैसा दोनों टैक्स फ्री होते है।

ये 80 C की कुछ deduction है इनके अलावा भी कई डिडक्शन है जिनमे आप इन्वेस्ट करके अपना टैक्स कम कर सकते है।

उम्मीद करते है कि how to save income tax in hindi आर्टिकल पढ़कर आप इनमे से कुछ डिडक्शन की छूट ले पायेंगे।

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29 COMMENTS

  1. Hi,
    Maine 5 year wala FD kiya hai July 2017 me.. to mujhe har sal interest me TDS dena padega kya?

    Ya jab FD mature ho jayegi tab dena hoga.

    Please help me to understand.

    • Fd par bank ke dwara tds tabhi kata jata hai jab apka fd interest ek versh me Rs. 10,000 se jyada ho . yadhi apka fd interest 10,000 se jyada hai to bank har versh is par tds kat lega aur balance amount apke account me credit kar dega.
      Apko har versh fd interest ko apki income tax return me show karna hoga. .

    • FD ki deduction 80 C me milti hai jisme aap maximum 1,50,000 ki deduction le sakte hai . FD ki deduction ke liye FD minimum 5 years ke lock in period ke liye honi chahiye.
      agar apne 50000 ki FD karwai hai jo ki 5 years ke lock in period ki hai to aap ko poore 50,000 ki deduction milegi but subject to overall limit of 80 C (i.e. 1,50,000)

  2. क्या पत्नी की शिक्षा पर हुए खर्च की राशि टैक्स फ्री हो सकती है।
    जैसे बच्चों की ट्यूशन फीस होती है।

      • yadi wife ke dhwara inka payment kiya jata hai to wife ko 80 c ki deduction milegi . husband ke dhwara payment karne par sirf husband ko hi deduction milegi wife ko nahi .

  3. SIR DEPRATS NE MERA TDS ME TAX CAT LIYA KYA ITR FORM BHARTE SAMAYA MAI APNE BACHHO KI TUTION FEES VA LIC KI POLICY KI DETAILS 80 C KE TAHAT PRAPT KAR SAKTA HU V RETURN BHARTE SAMAY DOCUMENT LAGANA PADTA HAI PLS HELP ME

    • return file karte samay aap sabhi deduction claim kar sakte hai jinke liye aap eligible ho aur inka koi certificate ITR ke sath nahi lagana padta hai.

    • nahi, ITR me apko sirf deduction ka amount show karna padta hai .lekin jo bhi deduction apne claim ki hai unka aapke paas proof hona chahiye, kyo ki baad me kabhi bhi apko unki jarurat pad sakti hai ( income tax se notice aane ke case me ).

    • mutual fund me 2 types ki scheme me investment hote hai (1) normal scheme (2) tax savings scheme. section 80 C ki deduction hame mutual fund ki tax saving scheme me investment karne par milti hai . Apko mutual fund ke investment ki maximum deduction 1,50,000 tak ki mil sakti hai .

  4. Tax ko lekar itna achcha lekh likne ke liye dhanyawaad. Aapke samjhane ka tareeka bahut achcha hai. Humne bhi tax ko bachane ke tareeko ko batate hue ek video apne Youtube channel Paisa Pujaari me upload kiya hai. Use dekh kar aapke vichar hume zaroor bataye.

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