फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर टीडीएस के बारे में जानकारी – Tds on Interest in hindi सेक्शन 194 A

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Tds on Interest in hindi

Tds on Interest in hindi – भारत में अघिकतर लोग म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करने के बजाय बैंको में फिक्स्ड डिपॉजिट ( F.D ) करवाना अधिक पसंद करते है, क्योकि बैंको में fd करना इन्वेस्ट करने का एक सिक्योर तरीका माना जाता है, जिस पर इन्वेस्टर एक फिक्स्ड ब्याज की इनकम कमा सकते है। fd से होने वाली ब्याज की इनकम टैक्स फ्री नहीं होती है और इस पर टीडीएस के प्रावधान लागू होते है।

कई लोग टैक्स बचाने के लिए अपने जीवन साथी या माइनर चाइल्ड के नाम से भी Fd करवाते है जबकि इस प्रकार से कमाई गयी इनकम भी उनकी ही इनकम में जोड़ दी जाती है और इस पर आपके द्वारा ही टैक्स का भुगतान किया जायेगा।

यदि आप भी Fd से ब्याज की इनकम प्राप्त कर रहे है या Fd करवाने की सोच रहे है तो आपको टीडीएस के इन प्रावधान के बारे में पता होना चाहिए जिन पर हम इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे।


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सेक्शन 194 A – Tds on Interest in hindi (Other Than Interest on Securities)

सेक्शन 194 A में ब्याज की इनकम पर टीडीएस के प्रावधानों के बारे में बताया गया है। इस सेक्शन में सिक्योरिटीज पर ब्याज को छोड़कर सभी तरह के ब्याज की इनकम को शामिल किया गया है जैसे – Interest on फिक्स्ड डिपाजिट / Recurring डिपाजिट, इंटरेस्ट ऑन लॉन आदि।

यानि अगर आप भारत के निवासी है और फिक्स्ड डिपाजिट से ब्याज की इनकम करते है तो आप पर सेक्शन 194 ए के प्रावधान लागू होंगे।

लेकिन अगर आप नॉन रेजिडेंट है तो आप पर सेक्शन 195 के प्रावधान लागू होंगे।

सेक्शन 194 ए में टीडीएस काटने के लिए कौन पर्सन Liable है – Person Liable For Deduct Tds Under Section 194 A

कोई भी पर्सन जो किसी भारत के निवासी को ब्याज का भुगतान करता है, कुछ शर्तो के पूरा होने पर सेक्शन 194 A में टीडीएस काटने के लिए Liable है। लेकिन इसमें उन इंडिविजुअल और HUF को राहत दी गयी है, जिनकी टैक्स ऑडिट नहीं होनी है। यानि की अगर आप इंडिविजुअल / HUF है और आपकी टैक्स ऑडिट नहीं होनी है, तो आप टीडीएस काटने के लिए उत्तरदायी नहीं है।

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टीडीएस काटने के लिए शर्ते जिनके पूरा होने पर ही टीडीएस काटा जायेगा

ब्याज के भुगतान पर टीडीएस काटने के लिए कुछ शर्तो का पूरा होना जरुरी है। बैंक, को-ऑपरेटिव सोसाइटी, और पोस्ट ऑफिस के द्वारा भुगतान किया जाने वाले ब्याज पर टीडीएस तभी काटा जा सकता है जब भुगतान किये जाने वाले ब्याज की राशि Rs 10000 (1 अप्रैल 2019 से 40 हजार ) से अधिक हो।

यदि ब्याज का भुगतान करने वाला पर्सन बैंक, को-ऑपरेटिव सोसाइटी, और पोस्ट ऑफिस के अलावा हो तो यह लिमिट Rs 5000 की होगी।

अगर आपने एक बैंक की अलग अलग शाखाओं में फिक्स्ड डिपाजिट करवा रखी है तो 10000 (1 अप्रैल 2019 से 40 हजार ) की लिमिट सभी शाखाओ के द्वारा किये गए कुल ब्याज के भुगतान के लिए लागू होगी।

Rs 10,000((1 अप्रैल 2019 से 40 हजार ))  या 5,000 जो भी केस हो टीडीएस कुल अमाउंट पर काटा जायेगा न की लिमिट से ज्यादा की राशि पर। इसको एक उदाहरण से समझते है – आपने बैंक में Fd करवायी जिस पर आपको Rs 45,000 का ब्याज प्राप्त हुआ, तो इसे केस में बैंक पूरे Rs  4 5,000 पर टीडीएस काटेगा न कि Rs 40,000 से अधिक राशि पर।



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लेकिन , सीनियर सिटीजन्स को फिक्स्ड डिपाजिट से इंटरेस्ट प्राप्त होता है तो उनके लिए टीडीएस काटने की लिमिट 50 हजार होगी। यानि कि एक वर्ष में 50 हजार तक का फिक्स्ड डिपाजिट पर इंटरेस्ट प्राप्त करने पर सीनियर सिटीजन्स पर किसी तरह का टीडीएस नहीं काटा जायेगा।

इसके अलावा बैंक कभी भी आपके सेविंग अकाउंट से कमाये जाने वाले ब्याज पर टीडीएस नहीं काटता। आपके द्वारा सेविंग बैंक से कमाये गए ब्याज की राशि इनकम टैक्स रिटर्न में अन्य स्रोतों से आय के तौर पर दिखायी जाएगी जिसकी आप सेक्शन 80 TTA में छूट ले सकते है।

Rate & Time ऑफ़ टीडीएस डिडक्शन

section 194 a में 10 % की रेट से टीडीएस काटा जायेगा और अगर आपने Deductor को पैन कार्ड जमा नहीं करवाया है तो यह रेट 20 % हो सकती है। यह जरुरी नहीं है कि जब आपको ब्याज का भुगतान किया जायेगा तब ही टीडीएस काटा जायेगा। ब्याज पर टीडीएस खाते में क्रेडिट या भुगतान जो भी पहले हो काटा जायेगा।

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फॉर्म 15 G/ 15 H जमा करवाना

यदि आपकी एक फाइनेंसियल ईयर में कुल इनकम बेसिक Exemption लिमिट से कम है और आपको भुगतान किया जाने वाला ब्याज Rs 10,000(1 अप्रैल 2019 से 40 हजार )/5,000 से अधिक है तो आप Deductor को फॉर्म 15 G/ 15 H जमा करवा सकते है जिससे आप की ब्याज की इनकम पर टीडीएस काटा जायेगा।

लेकिन आपके द्वारा जमा किये गए फॉर्म 15 G/ 15 H की डिटेल Deductor द्वारा अपनी टीडीएस रिटर्न में दिखाई जाएगी। इससे उन लोगो के बारे में भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को पता चल जाता है जिन्होंने टैक्स बचाने के लिए फॉर्म 15 G/ 15 H फाइल किये है।

यदि आपकी उम्र 60 वर्ष से कम है तो आप फॉर्म 15 G और 60 वर्ष से अधिक है तो फॉर्म 15 H जमा करवा सकते है।


 टीडीएस रिफंड

अगर आपकी इनकम बेसिक Exemption लिमिट से कम है या आपका अधिक टीडीएस काट लिया गया है तो आप उस वर्ष की इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करके रिफंड क्लेम कर सकते है।

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No टीडीएस

कुछ केसेस में टीडीएस नहीं काटा जायेगा, जैसे  –

  1. ब्याज की इनकम एक फाइनेंसियल ईयर में Rs 10,000 (1 अप्रैल 2019 से 40 हजार )/5,000 से कम होने पर।
  2. बैंकिंग कंपनी, कोआपरेटिव सोसाइटी जो की बैंकिंग के बिज़नेस में हो, के द्वारा इंटरेस्ट का भुगतान करने पर।
  3. फर्म के पार्टनर को ब्याज का भुगतान करने पर।
  4. एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी, प्राइमरी क्रेडिट सोसाइटी, कोआपरेटिव सोसाइटी, Land Mortage बैंक या कोआपरेटिव Land डेवलपमेंट बैंक द्वारा ब्याज का भुगतान।
  5. सेविंग अकाउंट पर ब्याज का भुगतान।
  6. मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल Compensation राशि पर Rs 50,000 से अधिक ब्याज का भुगतान।

अगर आपको आर्टिकल फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर टीडीएस के बारे में जानकारी – Tds on Interest in hindi सेक्शन 194 A अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करे।

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7 COMMENTS

  1. Sir, kuch dino pahilay mujhe pan card aurform 15 ke bare mai bhi nahi pata tha.aur mera 2011 se continue16 tak 20% deduct ion hua tha.kya wo bhi ab pan card hone par refund ho sakta hai?

  2. Sir, 2011 se 16 tak meri income kam thi.lekin pan aur form 15G ki jankari nahi hone se mera 4 years tak 20% tds deduct hua hai.kya refund ho sakta hai?

    • Apka 1 april 2015 ke baad deduct kiya gaya tds refund ho sakta hai lekin iske liye apko 31 march 2018 se pahle return file karni jaruri hai . 1 april 2015 se pahle deduct kiya tds ab refund nahi ho sakta .

  3. DEAR SIR,
    SIR MERE FD INCOME SE 20000 INCOME RECEVE HUE JIS PE MERE TDS KTA OR ME RETURN FILE TO KRTA HU BUT KBHI TEX NHI JMA KARAYA HE IS PARISTITHI ME MERE KO TDS REFUND KESE HOGA

    • jab aap return file karte hai to usme apni fd income aur kate gaye tds ki details dalo . agar aapi income taxable limit se kam h to return me refund ko claim karo .kate gaye tds ka refund apko mil jayega.

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