क्या आप भी Tds on Rent के लिए उत्तरदायी है और आपको कब तक टीडीएस काटना जरुरी है के बारे में पूरी जानकारी।

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Tds on Rent

tds on rent – भारत में काफी लोग अपनी प्रॉपर्टी, मशीनरी या फर्नीचर को किराये पर देकर रेंट से काफी इनकम जनरेट करते है। इसके अलावा कई लोगो की तो इनकम का मुख्य सोर्स ही किराये की इनकम होती है।

लेकिन, क्या आप जानते है कि इनकम टैक्स एक्ट 1961 में किराये के पेमेंट को भी टीडीएस के दायरे में शामिल किया गया है। यानि, कि अगर आप रेंट का पेमेंट किसी को करते है, तो पहले आपको इस पर टीडीएस काटना होगा और बैलेंस अमाउंट का पेमेंट आपको किराये के रूप में करना होगा।

हालाँकि, रेंट के पेमेंट पर आपको टीडीएस उसी केस में काटना होगा, जब रेंट का पेमेंट एक निर्धारित लिमिट से अधिक होगा। इसलिए रेंट के सभी पेमेंट पर आपको टीडीएस काटने की जरुरत नहीं होगी।

किसी भी तरह के रेंट के पेमेंट पर कब आपको टीडीएस काटना होगा और कब टीडीएस नहीं काटना होगा, इन सभी के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए, ताकि आपको इनकम टैक्स एक्ट 1961 के प्रावधानों का पालन नहीं करने पर इंटरेस्ट और पेनल्टी का पेमेंट नहीं करना पड़े।

आज के आर्टिकल ( tds on rent ) में हम इनकम टैक्स एक्ट में किराये के पेमेंट पर टीडीएस काटने से जुड़े इम्पोटेंट रूल्स पर चर्चा करेंगे,

जैसे – 
  • किराये के पेमेंट पर टीडीएस काटने के लिए कौनसी शर्ते पूरी होनी चाहिये ? (tds on rent )
  • रेंट के पेमेंट पर टीडीएस किस रेट से काटा जायेगा ?
  • TDS किस समय काटा जायेगा ?
  • टीडीएस काटने का तरीका क्या होगा ?
  • सेक्शन 194IB क्या है और इसमें टीडीएस कब काटा जाता है ?
  • टीडीएस रिफंड प्रोसीजर क्या होता है ?

Conditions For Deduct Tds on Rent – टीडीएस काटने के लिए शर्ते 

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 194I और सेक्शन 194IB में रेंट पर टीडीएस काटने से सम्बंधित रूल्स बताये गए है।  हालाँकि, यह दोनों सेक्शन अलग – अलग पर्सन पर एप्लीकेबल होते है।

इसलिए, सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि अगर आपको टीडीएस काटना जरुरी है, तो आपके द्धारा कौनसे सेक्शन में टीडीएस काटा जायेगा।

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 194I में Tds on Rent के सभी प्रावधानों के बारे में बताया गया है, यह सेक्शन सभी पर्सन पर एप्लीकेबल होता है, सिर्फ ऐसे इंडिविजुअल और HUF को छोड़कर जिनका टर्नओवर एक निर्धारित लिमिट से कम है। इस लिमिट के बारे में हम आगे चर्चा करेंगे।

यानि कि अगर आप एक इंडिविजुअल है और आपका टर्नओवर निर्धारित लिमिट से कम है, तो आपको सेक्शन 194I में टीडीएस नहीं काटना होगा। लेकिन अगर आप कोई कंपनी, फर्म या LLP है तो आपको इसी सेक्शन में टीडीएस काटना होगा।

Section 194I के अनुसार कोई भी पर्सन किसी भी अन्य पर्सन को (जो की रेजिडेंट हो) किराये का भुगतान करता है तो वह पर्सन कुछ शर्तो के पूरा होने पर टीडीएस काटने के लिए उत्तरदायी होता है।

इस सेक्शन में रेंट पर टीडीएस काटने के लिए इन सभी शर्तो का पूरा होना जरुरी है –
  1. सेक्शन 194 -I सिर्फ भारत के निवासी को किये गए किराये के भुगतान पर ही लागू होता है, यदि आप किसी NRI को किराये का पेमेंट करते है तो वह इस सेक्शन में नहीं आयेगा ;
  2. कोई भी पर्सन किराये का पेमेंट करने पर टीडीएस काटने के लिए उत्तरदायी होगा, लेकिन इसमें ऐसे इंडिविजुअल और HUF नहीं आयेंगे, जिनका टर्नओवर एक निर्धारित लिमिट से कम हो ;
  3. एक फाइनेंसियल ईयर में Rs. 2,40,000 (पहले 1,80,000) से अधिक किराये का पेमेंट किया जाये।

यानि कि आपके द्धारा इस सेक्शन में टीडीएस तभी काटा जायेगा, जब आपके द्वारा एक वर्ष में 2 लाख 40 हजार से अधिक रेंट का पेमेंट किया गया हो। 2 लाख 40 हजार की लिमिट एक पर्सन को किये गए पेमेंट पर एप्लीकेबल होती है।

अगर आप एक वर्ष में 2,40,000 से अधिक रेंट का पेमेंट अलग – अलग पर्सन को करते है, लेकिन किसी भी सिंगल पर्सन को 2,40,000 से अधिक रेंट का पेमेंट नहीं करते है, तो इस केस में आपको टीडीएस नहीं काटना होगा।

इसके अलावा, यदि आपके द्वारा कोई दो या अधिक रेंट एग्रीमेंट किये गए है, लेकिन कोई भी सिंगल रेंट एग्रीमेंट 2 लाख 40 हजार से अधिक नहीं है,

तो इस केस में Rs.2 लाख 40 हजार की लिमिट की गणना में आपके द्वारा किया कुल पेमेंट देखा जायेगा।

यानि कि अगर आपके द्वारा किये गए सभी रेंट एग्रीमेंट का कुल भुगतान एक वर्ष में Rs. 2 लाख 40 हजार से अधिक है तो आप सभी भुगतान पर टीडीएस काटने (Tds On Rent ) के लिए उत्तरदायी है। इसका मतलब यह हुआ कि लिमिट की कैलकुलेशन रेंट एग्रीमेंट वाइज नहीं करके पर्सन वाइज की जाएगी।

इसके अलावा यदि एक प्रॉपर्टी के एक से ज्यादा मालिक है और उनका हिस्सा निश्चित और पहचाना जा सकता है तो Rs. 2 लाख 40 हजार की लिमिट सभी मालिकों के लिए अलग -अलग लागू होगी।

इसके अलावा यदि आप कुछ किराये को एडवांस के रूप में भुगतान करते है या कुछ राशि फिक्स्ड डिपाजिट ( नॉन रिफंडेबल ) के तौर पर जमा करवाते है तो इस पर भी टीडीएस काटा जायेगा। क्योकि एडवांस किराया और नॉन रिफंडेबल डिपॉजिट्स को भी किराये का भाग ही माना जाता है।

Note – 1 फ़रवरी 2019 को पेश किये अंतरिम बजट के अनुसार एक फाइनेंसियल ईयर में 2,40,000 (जो कि पहले 1 लाख 80 हजार थी )से कम किराये के भुगतान पर कोई टीडीएस नहीं काटना पड़ेगा।

यह भी पड़े टीडीएस क्या है और सैलरी पर टीडीएस की कैलकुलेशन कैसे करते है

Section 194I में किस रेट और किस सम्पति को किराये पर देने पर टीडीएस काटा जायेगा ? (Rate & Assets) – 

किराये के भुगतान पर टीडीएस काटने के लिए अलग – अलग असेट्स के लिए अलग – अलग रेट्स दे रखी है। जैसे कि –

  1. प्लांट & मशीनरी                                 – 2 %
  2. Land, बिल्डिंग, फर्नीचर & फिटिंग्स          – 10 %

Note-  इन रेट्स पर Education & Secondary Higher Education Cess नहीं लगाया जायेगा। 

उदाहरण के लिए मान लो आप एक इंडिविजुअल है और आपकी टैक्स ऑडिट होती है। और आपके द्वारा एक मकान किराये पर लिया गया है जिसके लिए आप एक वर्ष में Rs. 3,00,000 के किराये का पेमेंट करते है तो आपके द्वारा Rs. 3,00,000 पर 10 % की रेट से टीडीएस काटा जायेगा यानि Rs. 30,000 (Rs. 3,00,000 * 10 %) ।

यह भी पढ़े House Rent Allowances Exemption & Section 80 GG के बारे में पूरी जानकारी


Time of tds Deduction on Rent – किराये के भुगतान पर किस समय टीडीएस काटा जायेगा ?

यदि आप टीडीएस काटने के लिए उत्तरदायी है तो आपके द्वारा किराये की राशि को पेयी के खाते में क्रेडिट किये जाने के समय या किराये का भुगतान चाहे कैश या चेक या ड्राफ्ट जारी करना या किसी भी अन्य तरीके से, जो भी पहले हो टीडीएस काटना पड़ेगा।

इसका मतलब है कि यदि आप Monthly रेंट का पेमेंट कर रहे है तो आपको Monthly टीडीएस काटना पड़ेगा चाहे आप अपने अकाउंट्स को quarterly क्रेडिट कर रहे हो।

how to deduct tds on rent – (Procedure)

यदि आपके द्वारा टीडीएस काटा जा रहा है तो सबसे पहले आपको Landlord का पैन नंबर लेना होगा। यदि Landlord के पास पैन नंबर नहीं है या वह नहीं देता है तो आपके द्वारा section 194I में बताई गयी रेट से टीडीएस न काटकर 20 % की रेट से टीडीएस काटना होगा ।

इसके अलावा यदि Landlord गलत पैन नंबर देता है तो यह माना जायेगा कि पैन नंबर नहीं दिए गए है और आपके द्वारा 20 % की रेट से ही TDS काटा जायेगा।

Landlord की इनकम टैक्सेबल नहीं है तो वह सेल्फ डिक्लेरेशन (Form 15G/15H) फाइल कर सकता है जिससे Payer द्वारा रेंट पर टीडीएस नहीं काटा जायेगा।

लेकिन किसी कंपनी या फर्म द्वारा सेल्फ डिक्लेरेशन नहीं दिया जा सकता। यदि किसी कंपनी या फर्म को रेंट का भुगतान किया जा रहा है और टीडीएस कटौती की शर्ते पूरी हो रही है तो टीडीएस हमेशा काटा जायेगा।

यह भी पढ़े Income Tax kya Hai Aur Income Tax Ki Rates

Section 194 IB

इनकम टैक्स एक्ट 1961 में 1 जून 2017 से नया सेक्शन 194IB को जोड़ा गया। इस सेक्शन में भी रेंट पर टीडीएस काटने से जुड़े रूल्स के बारे में बताया गया है।

लेकिन, सेक्शन 194IB में सिर्फ उन इंडिविजुअल और HUF द्धारा tds काटा जायेगा, जिनका टर्नओवर एक निर्धारित लिमिट से कम होगा।

टर्नओवर लिमिट –

  • बिज़नेस के केस में 1 करोड़ ,
  • प्रोफेशन के केस में 50 लाख

अगर आपके केस में टर्नओवर ऊपर बताई गयी लिमिट से कम होता है, तो आपके ऊपर सेक्शन 194IB एप्लीकेबल होगा। हालाँकि, टीडीएस उसी केस में काटा जायेगा, जब पेमेंट भी निर्धारित लिमिट से अधिक होता है।

यानि कि इस सेक्शन में सभी सैलरीड पर्सन और बिज़नेस पर्सन ( जिनका टर्नओवर निर्धारित लिमिट से कम है ) को शामिल किया गया है।

Section 194 IB में टीडीएस काटने के लिए जरुरी है, कि इंडिविजुअल और HUF द्धारा प्रति महीना Rs. 50,000 से अधिक किराये का भुगतान किया जाये।

अगर आपके द्धारा monthly 50 हजार से कम किराये का पेमेंट किया जाता है, तो आपको टीडीएस नहीं काटना होगा। इसके अलावा अगर आप इस सेक्शन में टीडीएस काटने के लिए liable है तो आपको TAN नंबर लेना अनिवार्य नहीं होगा।



Time of tds Deduction Under Section 194 IB – सेक्शन 194IB में टीडीएस काटने की समय -सीमा – 

इस सेक्शन में हर महीने या जब भी किराये का भुगतान किया जाये तब टीडीएस काटने की जरूरत नहीं है।

इसमें टीडीएस काटने के लिए 2 समय सीमा दे रखी है इनमे से जो भी पहले हो आपको टीडीएस काटना पड़ेगा –

  1. पूरे वर्ष के लिए किराये पर ले रखा है तो मार्च महीने के अंत में या
  2. पूरे वर्ष के लिए किराये पर नहीं ले रखा है तो रेंट एग्रीमेंट के समाप्त होने वाले महीने के अंत में ।

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TDS Refund Process – टीडीएस रिफंड प्रोसेस 

यदि Landlord की इनकम टैक्सेबल नहीं है या ज्यादा टीडीएस काट लिया गया है तो Landlord द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करके रिफंड क्लेम किया जा सकता है।

इनकम टैक्स रिटर्न में Landlord को देय रिफंड की राशि दिखानी होगी जिसको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा रिटर्न को सेक्शन 143 (1) में प्रोसेस किये जाने के बाद रिफंड को Landlord के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

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13 COMMENTS

  1. Apki income ek versh me 2,50,000 se kam hai, isliye is par tds nahi kata jayega aur yadi apki income par tds kat liya gaya hai to aap income tax return file karke refund claim kar sakte hai.

  2. Hello Sir,
    Suppose Sir, Koi company kisi employee ke salary se monthly TDS 1000/- kat leti hai our uski salary monthly 45000 se 50000/- ke bich me niklti hai to last me use kitna TDS bhuktan karna hoga ya nahi hoga. plz calculation bataye.

    • सबसे पहले आप अपने पूरे वर्ष की इनकम को जोड़ लीजिये। इसके बाद जो भी डिडक्शन (जैसे – LIC,PF,home loan interest, या medical प्रीमियम ) आपको मिल रही है उसे अपनी कुल इनकम में से कम कर दो। अब जो भी आपकी नेट इनकम आएगी उस पर स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स की कैलकुलेशन कर लो। यदि टैक्स का अमाउंट काटे गए टीडीएस से ज्यादा आ रहा है ,तो बैलेंस टैक्स जमा करवा दो या अगर टीडीएस आपकी टैक्स लायबिलिटी से ज्यादा काट लिया गया है तो अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में इसका रिफंड क्लेम कर सकते हो
      स्लैब रेट के लिए आप https://taxjankari.com/income-tax-kya-hai/ आर्टिकल देख सकते है।

    • यदि किसी एम्प्लोयी की एक फाइनेंसियल ईयर में कुल इनकम basic exemption limit से अधिक होती है,तो एम्प्लायर उस एम्प्लोयी को सैलरी का भुगतान करने से पहले टीडीएस काटता है। एम्प्लायर टीडीएस काटने से पहले एम्प्लोयी की total इनकम के सम्बन्ध में डाक्यूमेंट्स मांगता है और यदि कोई डिडक्शन है, तो उसे भी total income से less करता है। टोटल इनकम निकालने के बाद एम्प्लायर उस एम्प्लोयी पर लागू होने वाली स्लैब रेट के हिसाब से एवरेज टैक्स रेट निकालता है और उस एवरेज टैक्स रेट से टीडीएस काटता है।

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