टीडीएस क्या होता है। सैलरी पर टीडीएस कैलकुलेशन को आसान तरीके से समझे। What is Tds And Computation of Tds on Salary

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What is TDS In Hindi

What is TDS In Hindi – टैक्स कलेक्शन से होने वाली इनकम सरकार की रेवेन्यू का मुख्य सोर्स होता है। लोगो से प्राप्त किये गए टैक्स से ही सरकार देश में काफी तरह की सुविधाएं देने में सक्षम हो पाती है, जैसे – मेडिकल, एजुकेशन, सोशल सिक्योरिटी, ट्रांसपोर्ट आदि।

अगर सरकार के टैक्स कलेक्शन में कमी आती है, तो सीधी सी बात है कि सरकार द्धारा दी जाने वाली सुविधाओं में भी कमी आएगी। इसलिए सरकार द्धारा टैक्स चोरी के मामलो में सख्त एक्शन भी लिया जाता है।

सरकार द्धारा लोगों से टैक्स कलेक्शन दो तरीको से किया जाता है , पहला डायरेक्ट तरीके से और दूसरा इनडायरेक्ट तरीके से।

गवर्नमेंट द्धारा डायरेक्ट तरीके से टैक्स इनकम टैक्स के रूप में वसूला जाता है व जीएसटी, एक्साइज ड्यूटी और कस्टम ड्यूटी आदि तरीके से वसूल किया गया टैक्स इनडायरेक्ट तरीको में आता है।

किसी भी पर्सन द्धारा इनकम टैक्स का पेमेंट इनकम टैक्स फाइलिंग के समय किया जाता है, जिसकी वजह से गवर्नमेंट के पास पूरे वर्ष में नकदी की समस्या बनी रहती है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार द्धारा अलग – अलग समय पर टीडीएस या एडवांस टैक्स के रूप में इनकम टैक्स का कलेक्शन किया जाता है।

किसी भी पर्सन द्धारा किसी अन्य पर्सन को कोई पेमेंट करने से पहले उस पेमेंट पर टीडीएस काटना होता है और काटे गए टीडीएस को निर्धारित टाइम लिमिट में सरकार को जमा करवाना होता है।

सरकार को भी समय – समय पर टीडीएस के मिलने से नकदी में कमी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। इसलिए सरकार द्धारा टीडीएस काटा जाता है।

आज के आर्टिकल ( What Is Tds In Hindi ) में हम टीडीएस से जुड़े रूल्स के बारे में चर्चा करेंगे, साथ ही सैलरी पर टीडीएस काटने के रूल्स और कैलकुलेशन को भी समझेंगे।

Table of Contents

What is tds in hindi | टीडीएस क्या होता है। 

TDS का फुल फॉर्म “Tax deducted at source” (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स ) होता है। टीडीएस का सिंपल सा मतलब है, कि आपकी इनकम का कुछ परसेंटेज आपको इनकम का पेमेंट करने वाले (Payer ) द्वारा काटा जाता है।

जैसे – एम्प्लायर द्धारा एम्प्लोयी को सैलरी का पेमेंट करने से पहले सैलरी अमाउंट पर टैक्स काटना होगा और टैक्स काटने के बाद बैलेंस सैलरी का पेमेंट एम्प्लोयी को करना होता है।

टैक्स काटने के बाद टीडीएस अमाउंट को एम्प्लायर द्धारा सरकार के अकॉउंट में जमा करवाना होता है और इसे जमा करवाने के बाद एम्प्लायर को सरकार को टीडीएस स्टेटमेंट भी जमा करवाना होता है।

इस टीडीएस स्टेटमेंट में एम्प्लायर को काटे गए टैक्स और सरकार के अकॉउंट में जमा करवाए गए टीडीएस की जानकारी देनी होती है।

टैक्स काटने के बाद एम्प्लायर को अपने एम्प्लाइज को टीडीएस सर्टिफिकेट भी जारी करना होता है, जो कि इस बात का प्रूफ रहता है, कि एम्प्लायर द्धारा सैलरी पर टीडीएस काटा जा चुका है और इसे सरकार को भी जमा करवा दिया गया है।

टीडीएस अमाउंट, टीडीएस स्टेटमेंट्स को जमा करवाने और टीडीएस सर्टिफिकेट्स को जारी करने की टाइम लिमिट भी इनकम टैक्स एक्ट 1961 में बताई गयी है। इस टाइम लिमिट तक इन सभी प्रावधानों का पालन नहीं करने पर टीडीएस काटने वाले वाले पर्सन को भारी इंटरेस्ट और पेनल्टी का भी सामना करना पड़ता है।

टीडीएस डिडक्टर और टीडीएस डिडक्टी क्या होता है ?

किसी भी तरह के पेमेंट के ट्रांजेक्शनों में 2 पर्सन होते है, पहला पर्सन वह होता है जो कि पेमेंट करता है और दूसरा पर्सन पेमेंट प्राप्त करने वाला होता है।

टीडीएस के रूल्स के अनुसार जो भी पर्सन पेमेंट करता है, वह पर्सन tds काटने के लिए जिम्मेदार होता है। टीडीएस काटने वाले पर्सन को इनकम टैक्स की भाषा में टीडीएस डिडक्टर (tds deductor ) कहा जाता है,

और जिस पर्सन को पेमेंट प्राप्त होता है, यानि जिस पर्सन का टीडीएस कटता है, उसे टीडीएस डिडक्टी (tds deductee ) के नाम से जाना जाता है।

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टीडीएस किस तरह के पेमेंट पर और कब काटा जाता है। 

वर्तमान में सरकार द्धारा काफी तरह के पेमेंट्स को टीडीएस के दायरे में लाया जा चुका है, यानि कि आज के समय में लगभग सभी तरह के पेमेंट पर टैक्स काटना अनिवार्य हो चुका है। अगर आप टीडीएस नहीं काटते, तो आप पर इंटरेस्ट और पेनल्टी लगायी जायेंगी।

टीडीएस के दायरे में आने वाले कुछ इम्पोर्टेन्ट पेमेंट्स –

  • सैलरी
  • इंटरेस्ट
  • डिविडेंड
  • प्रोफेशनल फीस
  • कमीशन
  • ब्रोकरेज
  • किराया पैमेंट
  • लाटरी/ ऑनलाइन गेम्स में जीती गयी राशि पर टीडीएस आदि।

हालाँकि, इन सभी पेमेंट्स पर टीडीएस तभी काटा जायेगा जब किये जाने वाला भुगतान निर्धारित लिमिट से ज्यादा होता है। निर्धारित लिमिट से कम पेमेंट होने पर टीडीएस नहीं काटा जायेगा।

what is tds certificates | टीडीएस सर्टिफिकेट्स क्या होते है ?

किसी भी पर्सन द्धारा किसी दूसरे पर्सन का टीडीएस काटने के बाद उस पर्सन को टीडीएस सर्टिफिकेट्स (tds certificates ) जारी करना होता है। इस टीडीएस सर्टिफिकेट्स में काटे गए टीडीएस अमाउंट और किस तरह के पेमेंट पर कितनी रेट से टैक्स काटा गया है, की पूरी जानकारी होती है।

टीडीएस डिडक्टी इन टीडीएस सर्टिफिकेट्स में बताई गयी टीडीएस राशि को फॉर्म 26as से वेरीफाई भी कर सकता है। अगर इन दोनों में कोई अंतर आता है, तो इन अंतर के कारणों के बारे मे जानने के लिए टीडीएस डिडक्टर से सम्पर्क भी करना चाहिए।

टीडीएस सर्टिफिकेट्स अलग – अलग फॉर्म्स में जारी किये जाते है, जैसे – फॉर्म 16/फॉर्म 16A/फॉर्म 16B/फॉर्म 16C आदि।

आपको कौनसे फॉर्म में टीडीएस सर्टिफिकेट जारी किया जायेगा, यह डिपेंड करेगा कि कौनसे पेमेंट पर आपका टीडीएस काटा जायेगा।

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फॉर्म 26AS क्या होता है ? what is form 26AS 

फॉर्म 26 एस एक ऑनलाइन फॉर्म होता है, जिसमे एक पर्सन को किये गए ऐसे पेमेंट, जिन पर टीडीएस काटा गया है, टीडीएस राशि, भुगतान किया गया टैक्स, रिफंड अमाउंट, फाइनेंसियल ट्रांजेक्शन आदि की जानकारी होती है।

form 26 as को ऑनलाइन चेक किया जा सकता है। इस फॉर्म में वे सभी तरह के पेमेंट भी आते है, जिन पर टीडीएस काटा गया है।

अगर आपका किसी पेमेंट पर टीडीएस काटा गया है और वह पेमेंट फॉर्म 26AS में नहीं दिखा रहा है, तो इसका मतलब है कि टीडीएस डिडक्टर ने आपका टीडीएस अमाउंट सरकार को जमा नहीं करवाया है।

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टीडीएस सर्टिफिकेट्स और फॉर्म 26AS में टीडीएस अमाउंट के अंतर क्यों आता है ?

फॉर्म 26AS और टीडीएस सर्टिफिकेट्स में अंतर के इम्पोर्टेन्ट कारण –

  • टीडीएस डिडक्टर द्धारा टीडीएस सरकार को जमा नहीं करवाना या
  • टीडीएस स्टेटमेंट जमा नहीं करवाना या
  • tds जमा करवाया गया, लेकिन गलत पैन नंबर से जमा करवा दिया गया हो आदि।

आज के आर्टिकल (What Is Tds In Hindi) में हम टीडीएस के बेसिक्स को जानने के बाद सैलरी पर टीडीएस काटने के रूल्स और टीडीएस की कैलकुलेशन के बारे में चर्चा करेंगे।

Tax deduction on Salary (सेक्शन 192) | सैलरी पर टीडीएस –

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 192 में एम्प्लायर द्वारा अपने एम्प्लाइज को दी जाने वाली सैलरी पर टीडीएस काटा जाता है।

यानि, एक एम्प्लोयी को जो सैलरी प्राप्त होती है, वह टीडीएस काटने के बाद प्राप्त होती है और इस काटे गए टीडीएस को एम्प्लोयी द्धारा अपनी टैक्स लायबिलिटी को सेट ऑफ करने में काम लिया जा सकता है।

टीडीएस लायबिलिटी सेट ऑफ करने के बाद अगर एम्प्लोयी की टैक्स लायबिलिटी बचती है, तो एम्प्लोयी द्धारा बैलेंस टैक्स का पेमेंट किया जायेगा। और अगर एम्प्लोयी का अधिक टीडीएस काट लिया गया है, तो उसके द्धारा इसका रिफंड भी क्लेम किया जा सकता है।

हालाँकि, सैलरी पर टीडीएस नहीं काटा जायेगा, अगर एम्प्लोयी का टैक्स पेमेंट जीरो आता है।

सैलरी पर टीडीएस काटने की बेसिक कंडीशन क्या होती है ? (tds on salary rules )

सैलरी पर टीडीएस काटने के लिए सबसे इम्पोर्टेन्ट बेसिक कंडीशन पूरी होनी चाहिए और वह है कि सैलरी देने वाले और पाने वाले में एम्प्लायर और एम्प्लोयी का रिलेशन होना चाहिये।

यदि एम्प्लायर – एम्प्लोयी का रिलेशन नहीं है तो section 192 में सैलरी पर tds नहीं काटा जायेगा।

जैसे – किसी कंपनी के डायरेक्टर को कंपनी द्वारा दिये जाने वाले पेमेंट पर इस section में टीडीएस नहीं काटा जायेगा, क्योकि डायरेक्टर को कंपनी का employee नहीं माना जाता है।

इसी तरह फर्म के पार्टनर को दी जाने वाली salary पर भी इस सेक्शन में टीडीएस नहीं काटा जायेगा, क्योकि partner की सैलरी बिज़नेस एंड प्रोफेशन हेड में टैक्सेबल होती है।

TDS on salary limit | सैलरी पर टीडीएस काटने की लिमिट क्या होती है ?

एम्प्लायर द्धारा एम्प्लोयी को सैलरी के पेमेंट पर टीडीएस नही काटा जायेगा, यदि एम्प्लोयी की टोटल इनकम पर टैक्स की लायबिलिटी जीरो आ रही हो।

एम्प्लोयी की टैक्स लायबिलिटी कैलकुलेट करने के लिए एम्प्लायर द्धारा एम्प्लोयी को मिलने वाली डिडक्शन, exemption , हाउस प्रॉपर्टी के losses आदि की छूट भी दी जायेगी।

इन सभी छूट को क्लेम करने के लिए एम्प्लोयी को इन सभी डिडक्शन्स के प्रूफ एम्प्लायर को जमा करवाने होंगे।

How is tds calculated on salary | एम्प्लायर द्धारा टीडीएस कैसे काटा जायेगा ?

एम्प्लायर द्वारा एम्प्लोयी की सैलरी पर टीडीएस काटने के लिए सबसे पहले वर्ष की शुरुआत में एम्प्लोयी  की इनकम का अनुमान लगाया जाता है। इसके बाद एम्प्लोयी से उसके द्वारा किये जाने वाले इंवेस्टमेंट्स और टैक्स सेविंग खर्चो  के बारे में डिक्लेरेशन भी लिया जाता है।

1 जून 2016 से यह अनिवार्य हो गया है कि employee फॉर्म 12 BB में उसके द्वारा लिए जाने वाले बेनिफिट जैसे – HRA / LTC/ होम लोन पर ब्याज/ और अन्य डिडक्शन के बारे में डिटेल Employer को जमा करवाये।

एम्प्लोयी की इनकम का अनुमान लगाने के लिए उसकी दूसरी इनकम को भी शामिल किया जाता है और यदि house property से हानियां (losses ) है, तो उन्हें भी ध्यान में रखा जाता है।

यदि एम्प्लायर द्वारा काटे गए टीडीएस में कोई अंतर आता है, तो वह बाद में अधिक या कम रेट से tds काट कर अंतर का एडजस्टमेंट कर सकता है।

नोट : बजट 2021 में 75 वर्ष से अधिक उम्र के सीनियर सिटीजन्स की इनकम पर बैंक द्धारा टीडीएस काटा जायेगा, जिसके बाद सीनियर सिटीजन को रिटर्न फाइल करने की जरुरत नहीं होगी।

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TDS calculation on Salary | 

Employer द्वारा सैलरी पर टीडीएस काटने के लिए सबसे पहले उस फाइनेंसियल ईयर की एवरेज टैक्स रेट निकाली जाती है, जो कि सभी एम्प्लाइज के लिए अलग – अलग होती है।

इसको समझने के लिए एक उदाहरण देखते है –

मान लीजिए आप नॉन सीनियर सिटीजन है और सैलरी ₹60,000 प्रति महीना है। एफडी इंटरेस्ट ₹2,00,000 है। हाउस प्रॉपर्टी हेड में ₹ 2,00,000 के losses है।

इसके अलावा आपके बिज़नेस से ₹50,000 के losses है, सेक्शन 80सी की ₹1,00,000 की डिडक्शन उपलब्ध है। इस केस में आपकी सैलरी पर assessment year 2023 -24 में टीडीएस की कैलकुलेशन –

Particular
Income From Salary (60,000*12) 7,20,000
Loss From House Property

Loss From Business

(-)2,00,000

Not Considered

Total 5,20,000
Income From other source

– FD Interest income

2,00,000
Gross Total Income 7,20,000
Less : 80 C Deduction 1,00,000
Net Income 6,20,000
Tax on Total Income
Up to ₹ 2,50,000 Nil
2,50,000 to 5,00,000 @ 5% 12500
5,00,000 to 6,20,000 @ 20% 24000
Total 36500
Add : EC & SHEC @ 4 % 1460
Total Tax Payable 37960
Average Rate of Tax 37960*100/720000
= 5.272%

एम्प्लायर द्वारा हर महीने employee की salary में से 5.272 % की रेट से टीडीएस काटा जायेगा। यानि Rs 3163 (Rs 60,000 * 5.272 % )

अगर एवरेज टैक्स रेट नहीं निकालकर हम टैक्स अमाउंट में 12 महीनो का भाग देते है, तो भी मंथली टीडीएस की राशि आ जाएगी, जैसे – 37,960/12 = 3163 .

एवरेज रेट से टैक्स काटने के लिए एम्प्लायर को एम्प्लोयी का पैन नंबर प्राप्त करना चाहिये और अगर एम्प्लोयी के पास पैन नंबर नहीं है तो एम्प्लायर द्वारा 20 % की रेट से टीडीएस काटा जायेगा।

एम्प्लोयी द्वारा एम्प्लोयी को टैक्स काटने के लिए स्लैब रेट अपनाने की सूचना देना  –

बजट 2020 में इनकम टैक्स एक्ट 1961 में सेक्शन 115BAC जोड़ा गया । इस सेक्शन में टैक्स लगाने की एक नई स्लैब को प्रस्तुत किया गया ।

सेक्शन 115BAC के बाद इंडिविजुअल को टैक्स देने के लिए नई या पुरानी स्लैब में से किसी एक स्लैब में टैक्स देने का ऑप्शन चूज करना होता है ।

साथ ही एम्प्लोयी किस स्कीम में अपना टैक्स कटवाना चाहता है कि सूचना भी एम्प्लायर को देनी होती है । एम्प्लोयी द्वारा नई या पुरानी स्कीम में टैक्स कटौती की सूचना देने के बाद एम्प्लायर उसी स्कीम में बताई गई स्लैब रेट से एम्प्लोयी का टैक्स काटता है ।

एम्प्लोयी द्वारा एम्प्लायर को नई या पुरानी स्लैब रेट से टैक्स काटने की सूचना देने के बाद एम्प्लायर पूरे वर्ष उसी स्लैब से एम्प्लोयी का टैक्स काटता है और इस ऑप्शन को पूरे वर्ष में बदला नही जा सकता है ।

हालांकि, इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की प्रोसेस के दौरान एम्प्लोयी को नई या पुरानी स्लैब रेट से टैक्स देने का चुनाव करने का ऑप्शन वापस से दिया जाता है, जहां वह किसी भी ऑप्शन को चूज करने के लिए स्वतंत्र होता है ।

ध्यान रखे – अगर एम्प्लोयी की बिज़नेस या प्रोफेशन से इनकम होती है, तो एक बार किसी भी ऑप्शन का चुनाव करने के बाद उसे हमेशा उसी स्लैब रेट से टैक्स देना होगा । इस ऑप्शन में बाद में बदलाव नही किया जा सकता है। जबकि बिज़नेस या प्रोफेशन से इनकम नही होने के केस में एम्प्लोयी को नई या पुरानी स्लैब रेट को चूज करने का ऑप्शन हर साल मिलता है ।

एम्प्लोयी द्वारा अगर एम्प्लायर को नई या पुरानी स्लैब रेट में से एक रेट से टैक्स काटने की सूचना नही दी जाती है, तो एम्प्लायर द्वारा पुरानी स्लैब रेट से ही एम्प्लोयी का टैक्स काटा जाएगा ।

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सैलरी का बकाया या एडवांस सैलरी मिलने पर रिलीफ – 

अगर एम्प्लोयी को पुराने वर्षो की बकाया सैलरी प्राप्त होती है या आगे के वर्षों की सैलरी एडवांस में प्राप्त होती है, तो इस केस में एम्प्लोयी को ज्यादा टैक्स देना पड़ सकता है ।

लेकिन, एम्प्लोयी को इस तरह के केसेज में ज्यादा टैक्स से बचने के लिए सेक्शन 89(1) में टैक्स रिलीफ दी जाती है । इस रिलीफ को क्लेम करने के लिए टैक्सपेयर को इनकम टैक्स पोर्टल पर फॉर्म 10E जमा करना होता है ।

सेक्शन 89(1) की टैक्स रिलीफ सिर्फ सरकारी कर्मचारी, या किसी कंपनी, को – ऑपरेटिव सोसाइटी, लोकल अथॉरिटी, यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूशन के एम्प्लोयी को ही दी जाएगी ।

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एम्प्लोयी द्वारा अपनी दूसरी इनकम के बारे में एम्प्लायर को सूचना देना – 

अगर एम्प्लोयी की सैलरी के अलावा दूसरी इनकम भी है, तो इस इनकम के बारे में एम्प्लोयी को एम्प्लायर को सूचना देनी होगी ।

एम्प्लायर द्वारा सैलरी पर टैक्स काटने से पहले एम्प्लोयी की दूसरी इनकम को भी सैलरी की इनकम में जोड़ना होगा ।इसके अलावा एम्प्लोयी द्वारा किसी टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश किया गया है या टैक्स कटौती के लिए पात्र खर्चा किया गया है, तो उसकी सूचना भी एम्प्लायर को दी जाएगी ।

साथ ही अगर एम्प्लोयी को हाउस प्रॉपर्टी हेड में कोई नुकसान हुआ है, तो उसकी डिटेल्स भी एम्प्लायर को देनी होगी ।

एम्प्लायर द्वारा एम्प्लोयी से प्राप्त सभी सूचनाओं के आधार पर टैक्स कटौती करनी होगी ।

ध्यान रखे – एम्प्लायर सिर्फ हाउस प्रॉपर्टी के नुकसान को ही टैक्स कटौती के समय ध्यान रखेगा । बिज़नेस या प्रोफेशन या कैपिटल गेन हेड के नुकसानों को टैक्स कटौती के समय ध्यान नही दिया जाएगा ।

कम रेट से टीडीएस कटौती । Deduction of tax at lower rates 

एम्प्लोयी द्वारा कम रेट से टैक्स काटने के लिए इनकम टैक्स ऑफिसर को सेक्शन 197 के तहत फॉर्म 13 में आवेदन किया जा सकता है 

अगर इनकम टैक्स ऑफिसर एम्प्लोयी के आवेदन से संतुष्ट होता है, तो वह एम्प्लोयी को कम रेट से टैक्स काटने का सर्टिफिकेट जारी कर देता है । एम्प्लोयी द्वारा इस सर्टिफिकेट को एम्प्लायर को जमा करवाना होता है, जिसके बाद एम्प्लायर द्वारा एम्प्लोयी का कम रेट से टैक्स काटा जाता है ।

इस सर्टिफिकेट के यूनिक इंडेन्टिफिकेशन नंबर को एम्प्लायर द्वारा अपनी तिमाही टीडीएस रिटर्न्स में मेंशन करना होगा ।

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TDS Penalties in hindi  –

एम्प्लायर (Deductor) द्वारा काटे गए टीडीएस को due date से पहले सेंट्रल गवर्नमेंट के खाते में जमा करवाना पड़ेगा और due date के भीतर ही अपनी tds Return को फाइल करना होता है ।

ऐसा नहीं करने पर एम्प्लायर पर इंटरेस्ट और पेनल्टी लगाए जा सकते है। इसके अलावा एम्प्लायर को उस अमाउंट की टैक्स में छूट प्राप्त नहीं होगी जिस पर टीडीएस नहीं काटा गया है या टीडीएस काटने के बाद जमा नहीं करवाया गया हो ।

एम्प्लायर पर Rs 200 प्रति दिन के हिसाब से जब तक टीडीएस जमा नहीं करवाया जाता है फीस लगाई जायेगी और minimum Rs 10,000 से अधिकतम Rs 1,00,000 तक की पेनल्टी लग सकती है।

और यदि लास्ट डेट को छुट्टी का दिन है तो टीडीएस एम्प्लायर द्वारा उसके अगले दिन जमा करवाया जा सकता है। Tds काटने के लिए एम्प्लायर के पास TAN नंबर ( Tax Identification number ) होना जरुरी है।

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यदि एम्प्लोयी एक से अधिक जगह से सैलरी प्राप्त करता है –

यदि एम्प्लोयी एक से अधिक एम्प्लायर के यहाँ काम करता है तो वह किसी भी एक एम्प्लायर को सभी एम्प्लायर से प्राप्त salary और deduction की डिटेल दे सकता है और उस एम्प्लॉयर द्वारा सभी एम्प्लायर से प्राप्त सैलरी को ध्यान में रखते हुए टीडीएस काटा जायेगा।

Employee द्वारा यह डिटेल फॉर्म 12 B में दी जायेगी।

और यदि एम्प्लोयी किसी एम्प्लायर के यहाँ वर्ष के बीच में join करता है तो वह पिछले एम्प्लायर के यहाँ प्राप्त सैलरी और टीडीएस के बारे में नए एम्प्लायर को निर्धारित फॉर्म (12 B) में डिटेल देगा और नए एम्प्लायर द्वारा पूर्व एम्प्लायर से प्राप्त सैलरी को Average tax rate की कैलकुलेशन में शामिल किया जायेगा, साथ ही काटे गए टीडीएस की छूट प्रदान करेगा।

फॉर्म 12B को एम्प्लायर को जमा करवाने के बाद एम्प्लायर को फॉर्म में दी गयी डिटेल को consider करना जरुरी हो जाता है।

इसके अतिरिक्त यदि एम्प्लोयी को Arrears प्राप्त होता है तो उसकी सेक्शन 89 में रिलीफ प्राप्त होती है। इसके लिए एम्प्लोयी को निर्धारित फॉर्म में एम्प्लायर को डिटेल देनी होगी और एम्प्लायर सेक्शन 89 की रिलीफ का टीडीएस की कम्प्यूटेशन में ध्यान रखेगा।

Tds Refund Process in hindi – टीडीएस रिफंड प्रोसेस

जब एम्प्लोयी की इनकम पर अधिक टीडीएस काट लिया जाता है या एम्प्लोयी की इनकम पर टीडीएस काट लिया जाता है, लेकिन एम्प्लोयी की इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है, तो एम्प्लोयी द्वारा Return फाइल करके tds रिफंड क्लेम किया जा सकता है।

टीडीएस रिफंड क्लेम करने के लिए एम्प्लोयी को सबसे पहले एम्प्लायर द्वारा दिए गए टीडीएस सर्टिफिकेट ( फॉर्म 16 – सैलरी के मामले में ) से टीडीएस की डिटेल को फॉर्म 26 AS से मिलानी चाहिये और जाँच करनी चाहिये कि जितना टीडीएस काटा गया है वह फॉर्म 26 AS में show कर रहा है या नहीं ।

यदि फॉर्म 26 AS कम टीडीएस दिखला रहा है तो इसका मतलब है कि employer ने अभी तक tds जमा नहीं करवाया है या एम्प्लायर द्वारा आपके पैन नंबर गलत डाले गए है। इसके लिए आपको एम्प्लायर से बात करनी चाहिए।

लेकिन यदि एम्प्लायर द्वारा टीडीएस जमा नहीं करवाया गया तो आप उस इनकम पर दुबारा टैक्स देने के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे जिस पर एम्प्लायर द्वारा tds काटा लिया गया है।

इसके लिए एम्प्लोयी को टीडीएस डिडक्शन के proof अपने पास रखने चाहिये जैसे कि फॉर्म 16, सैलरी स्लिप आदि। इसके अलावा आप करनिर्धारण अधिकारी को इसके सम्बन्ध में लिख सकते है।

इसलिए Return फाइल करने से पहले अपने फॉर्म 26 AS को जरूर चेक करे। यदि एम्प्लोयी को फॉर्म 16 जारी नहीं किया गया है तो एम्प्लोयी फॉर्म 26 AS में दी गयी डिटेल के आधार पर भी टीडीएस का रिफंड क्लेम कर सकता है।

सैलरी पर टीडीएस से जुड़े रूल्स की इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा जारी की गयी पीडीएफ डाउनलोड करे।

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53 COMMENTS

  1. sir,
    tds deduct karne ke bad kisi kisi to tds ka amount refund ho jata h wo kisliye hota h,

    Kisi party ne loan lia tha to uska tds deduct hua but usko tds deduct kia hua wapas mil gya .

    Ye kis case m hota h

    • tds tab deduct kiya jata hai jab koi payment specified amount se jyada ka kiya jata hai . lekin jab kisi person ka tax nahi ban raha hota hai aur uska tds kaat liya jata hai to us person dhwara income tax return file karke refund claim kiya ja sakta hai jiske bad use deduct kiya gaya tds wapas mil jata hai .
      loan ke case me section 194A me 10 % ki rate se tds kata jata hai.

    • tds katne ke liye tan number lena jaruri hai . aur tds kon kat sakta hai yeh depend karta hai ki kis section me tds kata ja raha hai . tds katne ke liye alag alag section ki apni minimum limit hoti hai jis se jyada ka payment kiye jane par tds katna jaruri ho jata hai .

  2. yadi kisi person do jagha jada payse kamata hai to tds .
    advances may kese pay kar sakta hai our bill invoices may.
    to income tax barte samay kit ni chut mili le gi .future may eis key kya profit mile ga .

    • tds apko payment karne wale ke dhwara deduct kiya jata hai aur agar apko advance me tax jama karwana hai to aap advance tax jama karwa sakte hai.

  3. सर जिस कंपनी में काम करता हूं 2015-2016 और 2016-17 का टीडीएस जो कटा है कंपनी उस कटे हुए टीडीएस को जमा नहीं करवाया हैक्या उसके खिलाफ कार्य वाही हो सकता है और कहाँ कर सकते हैं।

    • tds deductor ke tds nahi jama karwane par aap sirf unse hi is bare me baat kar sakte hai . lekin agar apki company ne apka deduct kiya lekin tds jama nahi karwaya hai to bhi ap apni itr me tds ko show kar sakte hai. iske alawa income tax act ke anusar agar koi deductor tds katne ke baad use jama nahi karwata hai to uske upar interest aur penalty ke provision lagu hote hai.

  4. Meri salary 40000/ m h or mera TDS 4000 rs /m cut kr lete h mera totally expention months ka Jada hota h please give me suggestions

    • salary head me income hone par expenses ki koi deduction prapt nahi hoti hai. Aap lic,mutual fund, fd etc.me investment karke tax bacha sakte hai .inke alawa kuch specified expenditure hote hai jinki deduction li ja sakti hai.

  5. Sir Meri company me m akela hi staff hu mujhe vaha see na hi salary slip milti hai na hi form 16 Kya krna chahiye

    • pahle yeh dekho ki aapka company tds deduct kar rahi h ya nahi . agar company tds deduct kar rahi hai to aap form 26as m online check kar sakte hai ki apka kitna tds deduct kiya gaya hai aur uske hisab se apni ITR file kar sakte ho.

  6. Meri salary k alava mere bank me jama rakam ka intrest 10000 se jayada h or bank dawara mera tds Kat liya gya h to kya income tax returns me Vo intrest ki rakam bhi add karni padegi kya jiska tds kata ja chuka h

  7. Sir kitni salary rhne pr TDS kata jata h aur agr meri salary seTDS kt rha h to mujhe ksise pata chlega ki TDS meri salary se kata h

    • agar apki salary 2.5 lakh se jyada hai to tds apki salary se kata jayega . tds kitna deduct kiya gaya hai iske liye aap apne employer se form 16 le sakte hai otherwise aap apna form 26as online check kar sakte hai .

  8. Dear Sir, you told to Vakar Ahamad that ki unka tda 26as me dekh le agr unonhe unso usme show nhi kiya ho to or hume bhi nhi pta hai ki kta ya nhi then

    • जो भी टीडीएस काटा जाता है, वह फॉर्म 26as में शो होता है। क्योकि टीडीएस deductor ने वह टीडीएस गवर्नमेंट को जमा करवाया होता है। अगर deductor ने टीडीएस गवर्नमेंट को जमा नहीं करवाया है तो वह फॉर्म 26as में शो नहीं करेगा।
      आपका टीडीएस कटा है या नहीं यह जानने के लिए जहाँ से आपको पेमेंट प्राप्त हो रहा है, वहां से जानकारी प्राप्त करनी होगी।

  9. ji sar mein money loan finance company Kolkata se ek lakh rupaye ka finance karva raha hun kya usmein TDS katwana jaruri hai kya

  10. Sir Mera salary taxable hai .agar Maine apne account se transaction Kiya .kisi ko paise bheja ya kisi ne mere account me paise Dale to Kya jo Paisa aaya hai uspar bhi tax deduct hoga..jabki Mai ek salaried person hu..

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