insurance कमीशन और डिविडेंड पर टीडीएस के रूल्स – 2 most important tds sections & tds rates

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2 most important tds sections & tds rates

2 most important tds sections & tds rates – भारत में आज के समय में सभी तरह के पेमेंट्स को टीडीएस के दायरे में ला दिया गया है, ताकि सभी तरह के पेमेंट्स पर सरकार की निगरानी रखी जा सके।

इन सभी पेमेंट्स पर सरकार की निगरानी रखने से कोई भी पर्सन फेक खर्चे क्लेम नहीं कर पायेगा और किसी भी पर्सन द्धारा अपनी इनकम छुपाई नहीं जा सकेगी।

हालाँकि, किसी भी तरह के पेमेंट पर टीडीएस उसी केस में काटा जायेगा, जब वह पेमेंट एक निर्धारित लिमिट से अधिक होता है। इसके अलावा अगर कोई पर्सन किसी भी तरह का कोई पेमेंट किसी दूसरे पर्सन को कर रहा है, तो सबसे पहले उसे यह चेक करना चाहिये कि क्या यह पेमेंट टीडीएस के दायरे में आता है ?

इसलिए आज के आर्टिकल (2 most important tds sections & tds rates) में हम ऐसे पेमेंट्स के ऊपर लगने वाले टीडीएस sections  के बारे में चर्चा करेंगे, जो कि भारत में सबसे ज्यादा पॉपलुर है।

लेकिन, सबसे पहले हम टीडीएस की कुछ बेसिक चीजों के बारे में चर्चा करेंगे।

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Basic of tax deducted at source (TDS )  – 

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के यदि आप किसी दूसरे पर्सन को कोई पेमेंट करते है और वह पेमेंट एक निर्धारित लिमिट से अधिक है, तो आपको कुछ शर्तो के पूरा होने पर उस पेमेंट पर टीडीएस काटना होगा।

टीडीएस की फुल फॉर्म ” tax deducted at source ” होती है, जिसमे पेमेंट करने वाले द्धारा पेमेंट का कुछ परसेंटेज खुद के पास रख लिया जाता है और बैलेंस पेमेंट आगे किया जाता है।

इनकम टैक्स एक्ट में टीडीएस काटने वाले को “tds deductor ” के नाम से और जिस पर्सन का टीडीएस काटा जाता है, उसे “tds deductee ” के नाम से जाना जाता है।

Tds deductor द्धारा टीडीएस काटने के बाद काटे गए टीडीएस के अमाउंट को एक निर्धारित समय में गवर्नमेंट के खाते में जमा करवाना होता है। टीडीएस जमा करवाने का निर्धारित टाइम भी इनकम टैक्स एक्ट में बताया गया है।

इस निर्धारित टाइम में अगर टीडीएस जमा नहीं करवाया जाता है, तो tds deductor पर इंटरेस्ट और पेनल्टी भी लगाए जाते है।

इसलिए अगर आपको किसी भी तरह के पेमेंट पर टीडीएस काटना जरुरी हो, तो आपको टीडीएस काटना होगा और इसे समय पर सरकार को जमा भी करवाना होगा। अगर आप ये दोनों काम नहीं करते, तो आपके ऊपर इंटरेस्ट और पेनल्टी दोनों लगाए जायेंगे।

यह भी देखे – टीडीएस / टीसीएस रिटर्न को फाइल करने की डेट्स और पेनल्टीज़

टीडीएस कटने के बाद ” tds deductee ” के पास क्या ऑप्शन होते है ?

जिस पर्सन का टीडीएस काटा गया है, वह पर्सन “tds deductor ” से इस काटे गए टीडीएस के प्रूफ के लिए टीडीएस सर्टिफिकेट को प्राप्त करेगा।

इसके अलावा फॉर्म 26AS में भी काटे गए टीडीएस की डिटेल्स देखी जा सकती है। अगर आपका टीडीएस काटा गया है, तो आपको फॉर्म 26as और टीडीएस सर्टिफिकेट की डिटेल्स को आपस में मिलाना जरूर चाहिए। फॉर्म 26as को ऑनलाइन देखा जा सकता है।

टीडीएस कटने के बाद आप इसे अपनी इनकम टैक्स की लायबिलिटी से सेट ऑफ कर सकते है। यदि आपकी कोई इनकम टैक्स लायबिलिटी नहीं है, तो आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करके काटे गए टीडीएस का रिफंड क्लेम कर सकते है।

यह भी देखे – फॉर्म 26 as क्या है और इनकम टैक्स रिटर्न भरने में यह क्यों जरुरी है ? form 26as in hindi

डिविडेंड इनकम पर टीडीएस काटने के रूल्स क्या है – tds on dividend in hindi (section 194) 

भारत में काफी लोगो द्धारा शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट किया जाता है और डिविडेंड के रूप में इनकम कमाई जाती है।

डिविडेंड से कमाई गयी इनकम पर सेक्शन 194 में कम्पनीज द्धारा tds काटा जाता है। यह सेक्शन 1 अप्रैल 2020 से ही प्रभावी हुआ है। इससे पहले डिविडेंड के पेमेंट पर कम्पनीज द्धारा खुद टैक्स दिया जाता और शेयरहोल्डर्स के हाथों में यह टैक्स फ्री होता था।

लेकिन, सेक्शन 194 के आने के बाद डिविडेंड इनकम शेयरहोल्डर्स के हाथों में टैक्सेबल होती है और कम्पनीज द्धारा डिविडेंड के पेमेंट पर टीडीएस काटा जाता है।

डिविडेंड की इनकम को शेयर होल्डर द्धारा ” Income from other source ” हेड में रिपोर्ट किया जाता है। आपके ऊपर एप्लीकेबल स्लैब रेट के हिसाब से आपकी डिविडेंड इनकम पर टैक्स लगाया जायेगा।

सेक्शन 194 के टीडीएस रूल्स क्या है ?

Section 194 के अनुसार किसी भी कंपनी द्धारा भारत में रेजिडेंट शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड का पेमेंट किया जाता है,तो उस कंपनी द्वारा शेयरहोल्डर को डिविडेंड का भुगतान करने से पहले उस पर tds काटना होगा।

कंपनी के द्वारा dividend का पेमेंट करने पर टीडीएस काटने की जिम्मेदारी उस कंपनी के प्रिंसिपल ऑफिसर की होगी।

इस सेक्शन में 10 % की रेट से टीडीएस डिडक्ट किया जायेगा। लेकिन, अगर डिविडेंड को प्राप्त करने वाला अपना पैन कार्ड कंपनी को जमा नहीं करवाता है, तो उस पर 20 % की रेट से टीडीएस काटा जायेगा।

Section 194 में dividend पर टीडीएस उसी केस में काटा जायेगा, जब डिविडेंड का भुगतान किसी भारत के निवासी (resident ) को किया जा रहा हो। यदि किसी non resident को dividend का भुगतान किया जाता है , तो section 195 में टीडीएस काटा जायेगा।

क्या सेक्शन 194 में हमेशा टीडीएस काटा जायेगा ?

कुछ cases में सेक्शन 194 में टीडीएस नहीं काटा जायेगा, ये cases है –

  • शेयरहोल्डर की कम इनकम होने पर वह कंपनी को Form no 15 G/ 15h में डिक्लेरेशन जमा करवाता है, तो इस केस में उसका टीडीएस नहीं काटा जायेगा।
  • एक फाइनेंसियल ईयर में भुगतान किये गए डिविडेंड का अमाउंट Rs 5,000  से अधिक नहीं हो, तो कंपनी द्धारा tds deduct नहीं किया जायेगा।
  • डिविडेंड का पेमेंट LIC, GIC या किसी अन्य इंश्योरेंस कंपनी को किया जा रहा हो।

इसके अलावा कंपनी के शेयर होडर के पास option रहता है कि वह कम टीडीएस डिडक्शन या कुछ भी टीडीएस डिडक्ट नहीं करने के लिए assessing officer को अप्लाई कर सकता है।

यह अप्लाई उसे फॉर्म नंबर 13 में करना होगा। इसके बाद assessing officer द्वारा शेयर होल्डर को एक सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, जिसमे टीडीएस कम रेट से या नहीं काटने के बारे में निर्देश होते है।

लेकिन, assessing officer फॉर्म नंबर 13 को स्वीकार नहीं करेगा, यदि इसमें पैन नंबर नहीं लिखे गए हो।

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Tds on insurance commission – section 194d

ऐसे पर्सन जो कि इंश्योरेंस कंपनी से कमीशन प्राप्त करते है, उनकी कमीशन इनकम पर सेक्शन 194D में टीडीएस काटा जायेगा।

सेक्शन 194d के अनुसार किसी पर्सन द्वारा जब किसी भी रेजिडेंट को इंश्योरेंस बिज़नेस करने पर रिवॉर्ड या remuneration के तौर पर कमीशन दिया जाता है, तो उसका कुछ शर्तो के पूरा होने पर इस सेक्शन में टीडीएस काटा जायेगा।

इंश्योरेंस बिज़नेस में किसी भी पालिसी को continue, renewal या revival करने को भी शामिल किया गया है।

इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई रेजिडेंट व्यक्ति किसी अन्य पर्सन का इंश्योरेंस करता है, तो उस इंश्योरेंस करने वाले व्यक्ति को जो कमीशन प्राप्त होता है, उस इंश्योरेंस कमीशन पर पहले section 194d में टीडीएस काटा जायेगा और फिर बैलेंस पेमेंट उसे दिया जायेगा।

Q. 1 – इंश्योरेंस कमीशन पर टीडीएस किस रेट से काटा जायेगा  ?

ans –  इंश्योरेंस कमीशन कंपनी द्धारा किसी भी भारतीय निवासी को इंश्योरेंस कमीशन दिया जाता है, तो कंपनी द्धारा सेक्शन 194D में 5 % की रेट से टीडीएस काटा जायेगा। यदि उस पर्सन द्धारा कंपनी को पैन नंबर जमा नहीं करवाया जाता है, तो कंपनी द्धारा 20 % की रेट से टीडीएस काटा जायेगा।

टीडीएस की इन रेट्स में सरचार्ज, एजुकेशन सेस या SHEC नहीं जोड़ा जायेगा।

Q.2 – किस केस में इंश्योरेंस कमीशन पर टीडीएस नहीं काटा जायेगा ?

ans- यदि एक फाइनेंसियल ईयर में दिया गया कुल इंश्योरेंस कमीशन 15,000 से अधिक नहीं है, तो इस सेक्शन में कुछ भी टीडीएस नहीं काटा जायेगा।

इसके अलावा यदि कमीशन प्राप्तकर्ता फॉर्म 15G/15H में सेल्फ डिक्लेरेशन देता है, तो उस केस में भी टीडीएस नहीं काटा जायेगा।

Q.3 – इंश्योरेंस कमीशन पर टीडीएस काटने की टाइम लिमिट क्या होगी ?

ans- Insurance Commission पर टीडीएस निम्न में से जो भी पहले होगा काटा जायेगा –

  • payee के खाते में इंश्योरेंस कमीशन की राशि को क्रेडिट करने पर या
  • इंश्योरेंस कमीशन का भुगतान किये जाने पर।

 

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