इनकम टैक्स के इन 6 रूल्स को जरूर जाने

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6 income tax rules

 

इनकम टैक्स एक्ट 1961 में कई ऐसे नियम बताए गए है, जिनको समझना और याद रखना एक आम इंसान के लिए काफी मुश्किल काम होता है ।

लेकिन, कुछ रूल्स ऐसे भी होते है, जिनको नही जानने से भी आपको काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है । अगर हम इन रूल्स को आसान तरीके से समझ सके, तो इनको याद करना कोई बड़ी परेशानी नही होती है ।

इसलिए आज के आर्टिकल में हम इनकम टैक्स एक्ट 1961 के 6 ऐसे रूल्स के बारे में बात करेंगे, जिनका आपस मे तो कोई लिंक नही है, लेकिन लिमिट के आधार पर आपको इनमें आपस मे लिंक देखने को मिलेगा ।

अगर सीधे शब्दों में कहे तो इस आर्टिकल में हम 6 ऐसे केसेज के बारे में बात करेंगे, जिनमे 50 लाख की लिमिट एप्लीकेबल होती है ।

अपनी असेट्स की जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में देना 

नॉर्मली एक टैक्सपेयर को अपनी assets और liabilities की डिटेल्स को इनकम टैक्स रिटर्न में देने की जरूरत नही होती है, 

लेकिन अगर आपकी इनकम 50 लाख से ज्यादा की होती है, तो आपको अपनी संपत्ति और दायित्वों की जानकारी को इनकम टैक्स रिटर्न में देना होता है ।

50 लाख से ज्यादा इनकम होने पर आपको आईटीआर 2 फ़ाइल करनी होगी, जिसके schedule AL में आपको इन चीजों की जानकारी देनी होगी ।

यह भी देखे – इनकम टैक्स रिटर्न क्या है। इनकम टैक्स रिटर्न के सभी फॉर्म्स की डिटेल ( NEW FORMS) | income tax return information in hindi

50 लाख की इनकम कैसे निकाली जायेगी ? 

50 लाख की इनकम कैलकुलेशन मे आपकी नेट इनकम ली जाएगी, यानी कि सभी डिडक्शन और Exemption की छूट देने के बाद निकाली गई इनकम ।

जैसे – आपकी टोटल इनकम 52 लाख है और आपको मिलने वाले सभी डिडक्शन का अमाउंट 3 लाख है, तो इस केस में आपकी नेट इनकम 49 लाख की होगी, इसलिए इस केस में आपको अपनी असेट्स की जानकारी आईटीआर में नही देनी होगी ।

आईटीआर में किन असेट्स की डिटेल्स जायेगी ?

50 लाख से ज्यादा इनकम होने पर आपको अपनी सभी असेट्स, जिनमे जमीन, बिल्डिंग, ज्वेलरी, व्हीकल्स, कैश, फाइनेंसियल असेट्स आदि की जानकारी देनी होगी ।

इन सभी असेट्स को आपको खरीद मूल्य पर दिखाना होगा । इन असेट्स के साथ आपको अपनी liabilities की डिटेल्स भी देनी होगी, जो कि इन असेट्स से रिलेटेड है । 

जैसे – हाउसिंग लोन, व्हीकल्स लोन, पर्सनल लोन etc.

यह भी देखे – इस तरह के ट्रांजेक्शनों पर लगाया जायेगा अब इनकम टैक्स। Undisclosed sources of income

प्रोफेशनल के केस में टैक्स ऑडिट की अनिवार्यता 

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 44AB में टैक्स ऑडिट से जुड़े रूल्स को बताया गया है ।

सेक्शन 44AB के रूल्स के अनुसार ऐसे प्रोफेशनल, जिनके प्रोफेशन की Gross Receipts एक फाइनेंसियल ईयर में 50 लाख से ज्यादा की होती है, उन्हें अपने अकाउंट्स की टैक्स ऑडिट करवानी अनिवार्य होती है ।

प्रोफेशनल पर्सन में आर्किटेक्ट, अकाउंटेंट, इंजीनियर, मेडिकल प्रोफेशनल, इंटीरियर डेकोरेटर, टेक्निकल कंसलटेंट, लीगल प्रोफेशनल etc. को शामिल किया जाएगा ।

यह भी देखे – टैक्स ऑडिट करवाने के इन रूल्स को जरूर जाने। tax audit rules in hindi

Immovable property (अचल संपत्ति) की खरीद पर टीडीएस रूल्स – सेक्शन 194IA

अगर आप किसी अचल संपत्ति को खरीद रहे है, तो इस पर टीडीएस के रूल्स उसी केस में एप्लीकेबल होंगे, जब यह ट्रांजेक्शन 50 लाख से ज्यादा का होता है ।

प्रॉपर्टी पर टीडीएस काटने के केस में सेक्शन 194IA एप्लीकेबल होता है, जिसके अनुसार अगर आप कोई अचल सम्पति खरीद रहे है और इसकी स्टाम्प ड्यूटी वैल्यू और Sale consideration, की राशि 50 लाख से ज्यादा है, तो इस पर आपको 1 % की रेट से टीडीएस काटना होगा ।

हालांकि ,कृषि भूमि की खरीद के ट्रांजेक्शन इस सेक्शन में कवर नही होंगे ।

टीडीएस काटने के लिए आपको टैन नंबर नही लेने होंगे, लेकिन प्रॉपर्टी के seller से उसके पैन नंबर प्राप्त करने होंगे ।

यह भी देखे – किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदने पर टीडीएस कब काटा जायेगा। प्रॉपर्टी पर टीडीएस रूल्स। tds on immovable property section 194ia

करंट अकॉउंट में जमा की लिमिट

फॉर्म 26AS और एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट में आपको अपने हाई वैल्यू ट्रांजेक्शनों की डिटेल्स देखने को मिलती है ।

हालांकि, इन हाई वैल्यू ट्रांजेक्शनों की जानकारी भी आपके बैंक, म्यूच्यूअल फण्ड, ब्रोकर प्लेटफार्म etc. द्वारा ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाती है ।

हाई वैल्यू ट्रांजेक्शनों के रूल्स के अनुसार ही अगर आप एक फाइनेंसियल ईयर में 50 लाख या ज्यादा का कैश अपने करंट अकॉउंट में जमा करवाते है, तो इसकी डिटेल भी आपके बैंक द्वारा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाती है ।

करंट अकॉउंट में 50 लाख से ज्यादा कैश डिपाजिट को हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन माना जाता है, और इसके आधार पर टैक्स डिपार्टमेंट आपको नोटिस भी भेज सकता है ।

यह भी देखे – अगर आप करते है ये ट्रांजैक्शन तो आपके पास भी आ सकता है इनकम टैक्स नोटिस। annual information return section 285BA of income tax act

रेजिडेंट कॉन्ट्रेक्टर और प्रोफेशनल को पेमेंट पर टीडीएस – सेक्शन 194M 

सेक्शन 194M ऐसे इंडिविजुअल और हिन्दू अनडिवाइडेड फैमिली(HUF) पर एप्लीकेबल होता है, जिनको टैक्स ऑडिट नही करवानी होती है ।

टैक्स ऑडिट उन इंडिविजुअल और HUF को करवानी होगी, जिनका बिज़नेस टर्नओवर 1 करोड़ या प्रोफेशन की ग्रॉस रिसीट्स 50 लाख से ज्यादा की होती है ।

जिन इंडिविजुअल या HUF का टर्नओवर इस लिमिट से ज्यादा का है, उन पर यह सेक्शन लागू नही होगा ।

इस सेक्शन के अनुसार अगर कोई इंडिविजुअल या HUF किसी रेजिडेंट कांट्रेक्टर या प्रोफेशनल को 50 लाख से ज्यादा का पेमेंट करता है, तो उसे इस पेमेंट पर 5 % की रेट से टीडीएस काटना होगा ।

हालांकि, यह सेक्शन नॉन रेजिडेंट कांट्रेक्टर या प्रोफेशनल को पेमेंट पर एप्लीकेबल नही होगा ।

सेक्शन 194M (धारा 194M) में टीडीएस काटने के लिए आपको टैन नंबर लेने की आवश्यकता नही होगी, सिर्फ पैन नंबर से ही आप टीडीएस सरकार को जमा करवा सकते है ।

गुड्स खरीदने पर टीडीएस – सेक्शन 194Q

1 जुलाई 2021 से इनकम टैक्स में सेक्शन 194Q के रूप में  नया प्रावधान लागू किया गया था, इस सेक्शन के अनुसार अगर कोई क्रेता किसी दूसरे पर्सन (विक्रेता ) से कोई सामान खरीदता है, तो क्रेता को इस ट्रांजेक्शन पर टीडीएस काटना होगा ।

हालांकि, टीडीएस उसी केस में काटना होगा जब क्रेता का एक फाइनेंसियल ईयर में टर्नओवर 10 करोड़ से ज्यादा का हो और गुड्स की खरीद 50 लाख से ज्यादा की हो ।

अगर इन दोनों में एक भी शर्त पूरी नही होती है, तो टीडीएस नही काटा जाएगा ।

सेक्शन 194Q में टीडीएस 0.1% की रेट से काटा जाएगा । टीडीएस 50 लाख से ज्यादा की राशि पर काटा जाएगा ।

जैसे – अगर 60 लाख के गुड्स खरीदे गए है, तो सिर्फ 10 लाख (60 लाख – 50 लाख ) पर टीडीएस कटेगा ।

 

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