best judgement assessment in hindi – इनकम टैक्स एक्ट 1961 में एक करदाता को कई प्रकार के इनकम टैक्स नोटिस जारी किये जाते है। जिन सेक्शन में इन नोटिसों को जारी किया जाता है, उस सेक्शन के सम्बंधित प्रावधानों के अनुसार करदाता का कर -निर्धारण( assessment ) किया जाता है।
एक टैक्सपेयर के इनकम टैक्स एक्ट में कई प्रकार के assessment किये जाते है, जो कि है, – (1) सेल्फ असेसमेंट, (2 ) summary असेसमेंट ,(3 ) रेगुलर असेसमेंट, (4 ) बेस्ट जजमेंट असेसमेंट, (5 ) इनकम एस्केपिंग असेसमेंट।
ये सभी प्रकार के असेसमेंट किये जाने के अलग -अलग कारण है। आपके ऊपर इनकम टैक्स अधिकारी द्वारा कौनसा असेसमेंट किया जायेगा, यह आपके केस के ऊपर निर्भर करता है।
आज के हमारे आर्टिकल (best judgement assessment in hindi) में हम इनकम टैक्स एक्ट के section 144 में किये जाने वाले “best judgement assessment” के बारे में चर्चा करेंगे।
Table of Contents
बेस्ट जजमेंट असेसमेंट क्या है ? best judgement assessment meaning –
best judgement assessment सेक्शन 144 में किया जाता है।
इस असेसमेंट में इनकम टैक्स अधिकारी खुद आपकी इनकम का निर्धारण करता है और इस पर टैक्स की राशि निकालता है। इनकम टैक्स अधिकारी द्वारा निकाली गयी टैक्स की राशि का आपको नोटिस भेजा जायेगा और यह टैक्स आपको जमा करवाना होगा।
जमा नहीं करवाने के केस में आप पर इंटरेस्ट और पेनल्टी लगायी जाएगी।
लेकिन, इनकम टैक्स अधिकारी द्वारा आपकी इनकम के निर्धारण में किसी भी तरह का मनमाना या बेईमानी पूर्वक तरीका नहीं अपनाया जायेगा। यदि वह ऐसा करता है तो यह कर -निर्धारण (असेसमेंट ) अवैध होगा।
बेस्ट जजमेंट असेसमेंट को आप कह सकते है कि यह असेसमेंट इनकम टैक्स अधिकारी द्वारा अपनी “सर्वोत्तम विवेक बुद्धि ” के आधार पर किया जायेगा।
best judgement assessment कब किया जाता है ? section 144 –
यह असेसमेंट तब किया जाता है ,जब आप इनकम टैक्स अधिकारी को सहयोग नहीं करते है। जैसे – अगर आपको इनकम टैक्स अधिकारी द्वारा कोई नोटिस भेजा गया है और आप उसका जवाब नहीं देते या आपसे इनकम टैक्स अफसर कोई डाक्यूमेंट्स मांगता है वह आप उसे नहीं देते।
इनकम टैक्स एक्ट में section 144 में best judgement assessment करने के कुछ कारण बताये गए है, जो कि है –
- अगर आप सेक्शन 139 (1 ) या सेक्शन 139 (4 ) में बिलेटेड रिटर्न या सेक्शन 139 (5 ) में revised रिटर्न फाइल नहीं करते है ( यानि कि आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करते जहाँ आपको फाइल करना जरुरी था, या
- सेक्शन 142 (1 ) में भेजे गए इनकम टैक्स नोटिस की शर्तो का पालन नहीं करने पर, या
- यदि आपको इनकम टैक्स अधिकारी द्वारा स्पेशल ऑडिट करवाने के निर्देश दिए जाते है और आप स्पेशल ऑडिट नहीं करवाते है।
- section 143 (2 ) में भेजे गए नोटिस की कंडीशन का पालन नहीं करने पर।
यदि ऊपर बताये गए केस में आपका कोई भी केस है तो इनकम टैक्स अधिकारी आपका “best judgement assessment ” करेगा।
इन बताई गयी कंडीशन के अलावा कुछ और भी कंडीशन है जब आपका बेस्ट जजमेंट असेसमेंट किया जा सकता है , जैसे –
- अगर आपके अकाउंट्स कम्पलीट नहीं है या
- आपने खातों में अकाउंटिंग पॉलिसीज का पालन नहीं किया गया है।
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best judgement assessment करने से पहले इनकम टैक्स अधिकारी का क्या दायित्व होगा ? best judgement assessment in hindi
यह असेसमेंट करने से पहले इनकम टैक्स अधिकारी करदाता को अंतिम सुनवाई का मौका जरूर देगा।
वह करदाता को “कारण बताओ नोटिस ” जारी करेगा। इस नोटिस में करदाता को वह तारीख और समय बतायेगा जिस तक करदाता को इनकम टैक्स अधिकारी को डाक्यूमेंट्स जमा करवाने होंगे।
अगर करदाता इसमें असफल रहता है तो इनकम टैक्स अधिकारी अपनी सर्वोत्तम विवेक बुद्धि के अनुसार असेसमेंट करेगा।
बेस्ट जजमेंट असेसमेंट के बाद करदाता के पास क्या ऑप्शन रहते है ?
सेक्शन 144 में असेसमेंट के बाद करदाता इनकम टैक्स कमिशनर को अपील कर सकता है। यह अपील सेक्शन 264A में की जायेगी।
इस अपील में करदाता यह कह सकता है कि उसका असेसमेंट गलत तरीके से किया गया है या असेसमेंट को दुबारा करने के लिए भी कह सकता है।
इसलिये जब भी आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से कोई भी नोटिस प्राप्त हो तो उसका जवाब जरूर दे। आप यह बिलकुल नहीं सोचे कि इसका जवाब नहीं दिया तो इनकम टैक्स अधिकारी आपका कुछ भी नहीं कर सकता।
इनकम टैक्स नोटिस का जवाब नहीं देने के केस में “बेस्ट जजमेंट असेसमेंट ” के बारे में जरूर ध्यान रखे।
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