अंतरिम बजट 2019 में इनकम टैक्स सम्बन्धी बातें – budget 2019 tax slab and income tax changes

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budget 2019 tax slab and income tax changes

budget 2019 tax slab and income tax changes – 1 फ़रवरी 2019 को अंतरिम बजट पेश किया गया , जिसमे इनकम टैक्स में काफी कुछ बदलाव देखने को मिला।

अंतरिम बजट में की गयी घोषणाओं को 5 जुलाई 2019 को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किये यूनियन बजट 2019 में मोहर लगा दी गयी।



इस बजट में लोगो को इनकम टैक्स की स्लैब रेट में बदलाव की काफी उम्मीदे थी , लेकिन गवर्नमेंट द्वारा स्लैब रेट को नहीं बढ़ाकर काफी लोगो को निराश किया। लेकिन कुछ अन्य बदलाव करके लोगो को खुश करने के प्रयास किये गए। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि budget 2019 में आम लोगो के लिए काफी कुछ है।

आज के आर्टिकल (budget 2019 tax slab and income tax changes ) में हम इनकम टैक्स एक्ट में किये गए बदलावों पर चर्चा करेंगे।

इनकम टैक्स एक्ट की सेक्शन 87 A की रिबेट को बढ़ाया गया –

अंतरिम बजट 2019 में इनकम टैक्स की स्लैब रेट को न बढाकर सेक्शन 87 A की रिबेट को बढ़ाया गया।

Section 87A की पहले रिबेट की राशि RS 2500 थी जिसे इस बजट में बढाकर 12500 कर दिया गया है। इस रिबेट को बढ़ाने का फायदा यह हुआ कि अब 5 लाख तक की इनकम वाले व्यक्ति को किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

लेकिन अगर आपकी इनकम 5 लाख से अधिक है तो आपको पूरे 5 लाख की इनकम पर इनकम टैक्स देना होगा। हालाँकि आप स्लैब रेट का बेनिफिट प्राप्त करने के हक़दार होंगे।

यहाँ पर आपकी इनकम का मतलब नेट इनकम से है। जैसे – अगर आपकी एक फाइनेंसियल ईयर में इनकम 6.5 लाख है और आपके पास 1 .5 लाख की डिडक्शन उपलब्ध है। तो इस केस में आपकी नेट इनकम 5 लाख (6 .5 लाख – 1 .5 लाख ) है, इसलिए आप पर कोई टैक्स नहीं लगाया जायेगा।

इसके अलावा कुछ केस ऐसे भी है जब आपकी इनकम 5 लाख या इसे कम है और आपकी इनकम पर टैक्स लगाया जायेगा।

ऐसे केस तब आयेंगे जब आपकी इनकम एक स्पेशल रेट से टैक्सेबल है। जैसे – अगर आपकी कुल इनकम 5 लाख है और यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से हुई इनकम है। अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर एक स्पेशल रेट 20 % से टैक्स लगाया जाता है।

तो इस केस में आपको स्लैब रेट का बेनिफिट देने के बाद बैलेंस 2.5 की इनकम पर 20 % की रेट से टैक्स लगाया जायेगा , जो कि Rs 50000 होगा। अब क्योकि आपकी इनकम 5 लाख या 5 लाख से कम है इसलिए आपको section 87a की रिबेट दी जाएगी यानि कि Rs 12500 की।

इसलिए आपका नेट टैक्स पेयबल Rs. 37500 (50000 – 12500 ) होगा। तो इस तरह आप देख सकते है कि अगर आप पर किसी स्पेशल रेट से इनकम टैक्स लगता है तो 5 लाख से कम इनकम होने पर भी आप पर इनकम टैक्स लगाया जा सकता है।

इस तरह आप देख सकते है कि सेक्शन 87a की लिमिट का बेनिफिट सिर्फ उन्ही लोगो को मिलेगा ,जिनकी इनकम 5 लाख से कम है। अंतरिम बजट 2019 में 5 लाख से अधिक इनकम वाले लोगों को किसी तरह का बेनिफिट नहीं दिया गया।

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स्टैण्डर्ड डिडक्शन में बदलाव ( सेक्शन 16 )

ऐसे व्यक्ति जिनकी सैलरी से इनकम होती है उन्हें Interim budget 2019 में स्टैण्डर्ड डिडक्शन को बढाकर फायदा दिया गया है।

Standard Deduction जो कि पहले 40 हजार की थी उसे इस बजट में बढाकर 50 हजार की कर दिया गया है।

30 % की स्लैब रेट में आने वाले व्यक्तियों को इस डिडक्शन की लिमिट बढ़ाने से सीधा 3000 का फायदा होगा।

फिक्स्ड डिपाजिट इंटरेस्ट और किराये के भुगतान पर टीडीएस काटने की लिमिट बढ़ायी गयी

जब भी बैंक द्वारा एक फाइनेंसियल ईयर में किसी भी पर्सन को 10 हजार से अधिक का फिक्स्ड डिपाजिट इंटरेस्ट का भुगतान किया जाता है, तो बैंक द्वारा इस पर टीडीएस काटा जाता है।

लेकिन अंतरिम बजट 2019 में इस लिमिट को बढाकर 40 हजार कर दिया गया है। यानि अब 40 हजार तक के फिक्स्ड डिपाजिट के इंटरेस्ट के भुगतान पर किसी तरह का टीडीएस नहीं काटा जायेगा।

इसी तरह किराये के भुगतान की पर टीडीएस काटने की लिमिट भी बढायी गयी है। पहले यह लिमिट rs 180000 थी जिसे बढाकर अब 240000 कर दिया गया है।

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कैपिटल गेन की राशि के इन्वेस्टमेंट की छूट का स्कोप बढ़ाया गया

किसी भी रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी को बेचने पर होने वाले वाले कैपिटल गेन की राशि को यदि किसी अन्य रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी में निवेश कर दिया जाये तो उस निवेश की सेक्शन 54 में छूट दी जाती थी।

यह छूट सिर्फ एक रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी में निवेश की ही दी जाती थी। यदि एक से अधिक हाउस प्रॉपर्टी में कैपिटल गेन की राशि निवेश की जाती थी , तो भी एक ही रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी में निवेश की छूट दी जाती थी।

लेकिन , बजट 2019 में एक रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी की लिमिट को बढाकर 2 रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी कर दिया गया है। यानि कि अब अगर कैपिटल गेन की राशि को 2 रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी में निवेश किया जाता है तो दोनों निवेश की टैक्स में छूट दी जायेगी।

लेकिन 2 रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी में निवेश की छूट का ऑप्शन एक व्यक्ति को उसकी लाइफ में एक ही बार दिया जायेगा। अगर किसी ने एक बार यह ऑप्शन अपना लिया तो दुबारा उसे 2 रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी में निवेश की छूट का ऑप्शन नहीं दिया जायेगा।

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Self occupied property के सम्बन्ध में किये गए बदलाव –

हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली इनकम की कैलकुलेशन में प्रॉपर्टी को 2 पार्ट में डिवाइड किया जाता है –

  1. self occupied house property
  2. rent out house property

जब भी किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक हाउस प्रॉपर्टी होती है तो इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार उनमे से एक हाउस प्रॉपर्टी को self occupied house property माना जाता है और बाकि प्रॉपर्टीज को किराये पर दी गयी मानकर उन पर इनकम टैक्स लगाया जाता है।

लेकिन , अंतरिम बजट 2019 के बाद 2 प्रॉपर्टीज को self occupied house property माना जा सकता है।  इससे दो self occupied house property रखने वाले लोगों को फायदा मिलेगा , जिन पर गवर्नमेंट द्वारा notional rent लगाकर टैक्स लगाया जा रहा था

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रियल एस्टेट क्षेत्र को फायदा –

ऐसे निर्मित मकान, फ्लैट या बिल्डिंग जिनका कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका है और ये प्रॉपर्टीज बिकी नहीं है , तो ऐसी प्रॉपर्टी पर सरकार द्वारा बिल्डर या डेवेलपर पर Notional rent लगाकर इनकम टैक्स लिया जाता था।

यह Notional rent प्रॉपर्टी के कम्पलीट होने वाले फाइनेंसियल ईयर समाप्त होने के एक वर्ष बाद लगाया जाता था। परन्तु वर्तमान में प्रॉपर्टीज इस लिमिट (समय -सीमा ) में नहीं बिकने के कारण Notional rent पर लगने वाले टैक्स से बिल्डर या डेवेलपर वर्ग को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा बिल्डर्स को राहत दी गयी है और notional rent लगाने की अवधि को अब 1 वर्ष की जगह 2 वर्ष बाद कर दिया गया है।

यानि कि अब किसी भी प्रॉपर्टीज के कंस्ट्रक्शन पूरा होने वाले फाइनेंसियल ईयर समाप्त होने के 2 वर्ष तक प्रॉपर्टी पर notional rent नहीं लगाया जायेगा।

E – GOVERNANCE की तरफ जोर –

सरकार द्वारा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से होने वाले कामो को आसान बनाने के लिए e -governance पर जोर दिया गया है। बजट 2019 में सरकार द्वारा यह घोषणा की गयी है कि आने वाले समय में सभी तरह की इनकम टैक्स रिटर्न्स को 24 घंटे में प्रोसेस किया जायेगा और उसी हिसाब से रिफंड दिया जायेगा।

अगर ऐसा होता है तो करदाता को रिटर्न फाइल करने के 24 घंटे के भीतर रिफंड भेज दिया जायेगा।

इसके अलावा इनकम टैक्स असेसमेंट के मामलो को भी ऑनलाइन करवाने पर जोर दिया गया है। सरकार ने आने वाले 2 वर्षो में इनकम टैक्स असेसमेंट के मामलो को पूरी तरफ से ऑनलाइन करवाने की घोषणा की है। ऐसा होने से करदाता को अपने केस के सम्बन्ध में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट विजिट करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

यह था अंतरिम बजट 2019 में इनकम टैक्स के सम्बन्ध में किये गए बदलावों को लेकर हमारा आर्टिकल। अगर आपको आर्टिकल (budget 2019 tax slab and income tax changes) अच्छा लगा हो तो इसे आगे शेयर जरूर करे।

 

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