[sg_popup id=”1959″ event=”onLoad”][/sg_popup]budget 2020 – 1 फ़रवरी 2020 को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण द्धारा बजट पेश किया गया। इस बजट में इनकम टैक्स में काफी बदलाव किये गए। बजट 2020 के सभी बदलाव 1 अप्रैल 2020 से लागू होंगे।
आज के हमारे आर्टिकल में हम बजट 2020 में इनकम टैक्स में किये गए महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में जानेगे।
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इनकम टैक्स की नयी स्लैब रेट – new slab rate of income tax for F.Y. 2020 -21
बजट 2020 में इनकम टैक्स की एक नयी स्लैब रेट प्रस्तावित की गयी है हालाँकि यह स्लैब रेट ऑप्शनल है। करदाता चाहे तो पुरानी स्लैब रेट से भी टैक्स दे सकता है।
करदाता द्धारा नयी स्लैब रेट से टैक्स देने का चुनाव करने पर कई तरह की इनकम टैक्स exemption और डिडक्शन से हाथ धोना पड़ेगा, जैसे – सेक्शन 80C, सेक्शन 80D, स्टैण्डर्ड डिडक्शन, HRA, LTA, हाउसिंग लोन पर इंटरेस्ट, आदि।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई करदाता पुरानी स्लैब रेट से टैक्स देता है, तो उसे सभी तरह की exemption और डिडक्शन दी जायेगी, लेकिन करदाता नयी स्लैब रेट से टैक्स देने का चुनाव करता है, तो उसे कई तरह की exemption और डिडक्शन नहीं दी जायेगी।
फाइनेंस मिनिस्टर के अनुसार वर्तमान में इनकम टैक्स एक्ट में 100 से अधिक exemption और डिडक्शन दी जा रही है, जिसमे से 70 डिडक्शन को नयी टैक्स स्कीम में हटा दिया गया है।
new tax slab in budget 2020 –
taxable income slab (Rs ) | existing tax rates | new tax rates |
0-2.5 lakh | exempt | exempt |
2.5- 5 lakh | 5% | 5% |
5- 7.5 lakh | 20% | 10% |
7.5- 10 lakh | 20% | 15% |
10-12.5 lakh | 30% | 20% |
12.5 – 15 lakh | 30% | 25% |
above 15 lakh | 30% | 30% |
इन रेट्स में सरचार्ज और सेस वर्तमान में लागू रेट से ही लगाए जायेंगे।
नयी स्लैब रेट करदाता के लिए बेनेफिटेबल है या नहीं यह करदाता के इन्वेस्टमेंट के ऊपर डिपेंड करेगा , जैसे – यदि किसी करदाता ने सेक्शन 80सी की कई स्कीम में निवेश कर रखा है तो उसके लिए पुरानी स्लैब रेट से टैक्स देना ही बेहतर होगा।
जैसे – यदि कोई करदाता 15 लाख की इनकम कमाता है और किसी भी प्रकार की कोई exemption या डिडक्शन क्लेम नहीं करता तो नयी स्कीम में उसे 195000 का टैक्स देना होगा जबकि पुरानी स्कीम में उसे 273000 का टैक्स देना होगा। इस तरह आप देख सकते है कि नयी टैक्स स्कीम में 78000 का टैक्स कम दिया गया।
tds on mutual fund income – section 194k ( inserted in budget 2020)
budget 2020 में इनकम टैक्स एक्ट 1961 में नया सेक्शन 194K जोड़ा गया है।
सेक्शन 194k के अनुसार यदि कोई म्यूच्यूअल फण्ड हाउस या UTI किसी रेजिडेंट इन्वेस्टर को 5000 से अधिक का पेमेंट करता है तो 10 % की रेट से टीडीएस काटना होगा। टीडीएस 5000 से अधिक इनकम के पेमेंट के समय या एकाउंट्स में क्रेडिट के समय, जो भी पहले हो काटना होगा।
यह म्यूच्यूअल फण्ड इन्वेस्टर्स के लिए बहुत बड़ा झटका साबित होगा। वर्त्तमान में सिर्फ NRI इन्वेस्टर पर ही टीडीएस काटने के प्रावधान लागू थे , लेकिन बजट 2020 में रेजिडेंट इन्वेस्टर पर भी टीडीएस के प्रावधान लागू कर दिए गए।
म्यूच्यूअल फण्ड के सम्बन्ध में टीडीएस के प्रावधान सिर्फ डिविडेंड अमाउंट पर हो लागू होंगे , यानि कि म्यूच्यूअल फण्ड यूनिट्स को बेचने पर हुए कैपिटल गेन पर टीडीएस के प्रावधान लागू नहीं होंगे।
हालाँकि, इस टीडीएस का रिफंड लिया जा सकता है, यदि आपकी टैक्स लाइबिलिटी कम है तो।
penalty for fake invoice – section 194AAD
बजट 2020 में इनकम टैक्स एक्ट 1961 में एक और नया सेक्शन 194AAD जोड़ा गया।
section 194AAD के अनुसार यदि किसी पर्सन के बुक्स ऑफ़ एकाउंट्स में कोई फेक इनवॉइस की एंट्री पायी जाती है, तो उस पर्सन पर उस फेक एंट्री के बराबर की पेनल्टी लगायी जाएगी।
fake invoice एंट्री से यहाँ मतलब है किसी पर्सन द्धारा बिना किसी गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई के फर्जी इनवॉइस जारी करना या अपनी टोटल इनकम में बदलाव करने के लिए कोई इनवॉइस जारी करना या टैक्स बचाने के लिए इन्वॉइस मे बदलाव करने से है।
डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स –
वर्तमान में कम्पनीज को अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंट का पेमेंट करने पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT ) का पेमेंट करना होता था , लेकिन बजट 2020 में DDT को हटा दिया गया है। अब डिविडेंट की राशि शेयर होल्डर्स के हाथो में टैक्सेबल होगी। यह इनकम शेयर होल्डर की अन्य स्रोतों की इनकम मानी जायेगी।
वर्त्तमान में 10 लाख से अधिक डिविडेंड की राशि होने पर ही यह शेयर होल्डर्स के हाथो में टैक्सेबल होती थी।
increase tax audit turnover limit – section 44AB
सेक्शन 44AB में बिज़नेस पर्सन के लिए टैक्स ऑडिट करवाने के लिए टर्नओवर की लिमिट 5 करोड़ कर दी गयी है, इससे पहले यह लिमिट 1 करोड़ की थी।
हालाँकि 5 करोड़ के टर्नओवर की लिमिट तभी एप्लीकेबल होगी जब कुल बिज़नेस ट्रांजेक्शनों में से कैश ट्रान्जेक्शन 5 % से अधिक नहीं हो।
इसके अलावा इनकम टैक्स एक्ट के जिन सेक्शनों में टीडीएस उन इंडिविजुअल और HUF के द्धारा ही काटा जाता था जिनकी टैक्स ऑडिट होनी हो के प्रावधान को बदल दिया गया है ।
अब टीडीएस के नए प्रावधानों के अनुसार उन इंडिविजुअल और HUF के द्धारा टीडीएस काटा जायेगा जिनका बिज़नेस से टर्नओवर 1 करोड़ से अधिक हो , साथ प्रोफेशनल के लिए यह लिमिट 50 लाख की होगी।
section 80EEA deduction extended – budget 2020
बजट 2019 में नए लोगो को घर खरीदने के लिए प्रेरित करने के लिए नया section 80EEA लाया गया जिसमे 1.5 लाख की एडिशनल डिडक्शन दी गयी। लेकिन इस डिडक्शन को लेने के लिए होम लोन 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक लिया गया होना चाहिये।
लेकिन budget 2020 में इस पीरियड को 1 वर्ष एक्सटेंड कर दिया गया है। अब 31 मार्च 2021 तक लिए गए लोन की इस सेक्शन में अतिरिक्त छूट ली जा सकती है।
section 234G – inserted in budget 2020
इनकम टैक्स एक्ट 1961 में एक नया section 234G जोड़ा गया है।
section 234 G के अनुसार जो संस्थान सेक्शन 35 या सेक्शन 80G में रजिस्टर्ड है के द्धारा अपने डोनेशन या अन्य स्टेटमेंट को प्रस्तुत करने में देरी होती है , तो उन संस्थानों पर प्रतिदिन Rs. 200 के हिसाब से पेनल्टी लगायी जायेगी।
लेकिन, पेनल्टी की राशि failure के अमाउंट से अधिक नहीं हो सकती।
TDS on payment by e commerce operator by e commerce participant – section 194O
budget 2020 में इनकम टैक्स एक्ट में नया सेक्शन 194 -O जोड़ा गया है।
section 194 -O के अनुसार यदि कोई e commerce पार्टिसिपेंट किसी ई कॉमर्स ऑपरेटर के डिजिटल या ऑनलाइन प्लेटफार्म से गुड्स या सर्विसेज या दोनों की सप्लाई करता है तो e commerce operator द्धारा e commerce पार्टिसिपेंट को पेमेंट के समय या एकाउंट्स में क्रेडिट के समय, जो भी पहले हो, टीडीएस काटना होगा ।
टीडीएस 1 % की रेट से काटा जायेगा। लेकिन, कोई टीडीएस नहीं काटा जायेगा जब गुड्स या सर्विसेज या दोनों का ग्रॉस अमाउंट एक फाइनेंसियल ईयर में 5 लाख से अधिक नहीं है और e commerce पार्टिसिपेंट द्धारा e कॉमर्स ऑपरेटर को पैन कार्ड या आधार कार्ड दे दिया हो।
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