1 फ़रवरी 2021 को भारत की फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण द्धारा अंतरिम Budget 2021 पेश किया गया। इस बजट में इनकम टैक्स एक्ट में काफी बदलाव किया गए है।
हालाँकि, जिन टैक्सपेयर को Budget 2021 में टैक्स रेट की कमी की उम्मीदें थी, उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। क्योकि इस बार के बजट में स्लैब रेट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है।
साथ ही सैलरीड एम्प्लाइज को स्टैण्डर्ड डिडक्शन और सेक्शन 80 C की डिडक्शन को बढ़ाये जाने की की उम्मीद थी, जिस पर सरकार ने कोई चर्चा नहीं की।
हालाँकि, सरकार द्धारा कैपिटल गेन टैक्स में किसी तरह की कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है, जिससे इन्वेस्टर ने राहत की साँस ली है ।
लेकिन, इन सभी के अलावा सरकार ने budget 2021 में इनकम टैक्स एक्ट में काफी बदलाव किये गए है, जिनके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे।
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सीनियर सिटीजन को इनकम टैक्स रिटर्न भरने से राहत – Budget 2021
Budget 2021 में सीनियर सिटीजन जो कि 75 वर्ष से अधिक उम्र के है, को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने की छूट दी गयी है। हालाँकि यह छूट सिर्फ उन्ही सीनियर सिटीजन्स को प्राप्त होगी, जिनकी सिर्फ पेंशन और इंटरेस्ट की इनकम है और यह इनकम सिर्फ एक बैंक में ही आती हो।
बैंक द्धारा सीनियर सिटीजन्स की पेंशन और इंटरेस्ट की इनकम पर पहले ही टैक्स काट लिया जायेगा।
लेकिन, जिन सीनियर सिटीजन्स की पेंशन और इंटरेस्ट के अलावा इनकम है, उनको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना अनिवार्य होगा।
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प्रोविडेंड फण्ड के इंटरेस्ट का टैक्सेशन –
एक इंडिविजुअल को प्रोविडेंड फण्ड में किया जाने वाले कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज अभी तक टैक्स फ्री होता था, लेकिन बजट 2021 में इसके सम्बन्ध में कुछ बदलाव किया गए है।
अगर किसी एम्प्लोयी द्धारा प्रोविडेंड फण्ड में किया गया कंट्रीब्यूशन 2 लाख 50 हजार से अधिक है, तो 2 लाख 50 से अधिक कंट्रीब्यूशन पर प्राप्त ब्याज टैक्सेबल होगा।
2 लाख 50 हजार तक के कंट्रीब्यूशन पर प्राप्त ब्याज टैक्स फ्री होगा।
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बिलेटेड रिटर्न और रिवाइज्ड रिटर्न की टाइम लिमिट – Budget 2021
बजट 2021 में बिलेटेड रिटर्न और रिटर्न को revise करने की टाइम लिमिट को 3 महीने कम कर दिया गया है।
जैसे – फाइनेंसियल ईयर 2021 -22 की रिटर्न जो कि पहले 31 मार्च 2023 तक भरी जा सकती थी, वह अब दिसंबर 2022 तक ही भरी जा सकेगी।
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टैक्स ऑडिट की लिमिट में बदलाव –
ऐसे टैक्सपेयर, जिनका टोटल टर्नओवर या receipts 1 करोड़ से अधिक होती है, उनको इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 44AB में टैक्स ऑडिट करवाना अनिवार्य होता था।
लेकिन, बजट 2020 में इसमें सरकार द्धारा राहत देकर इसे 5 करोड़ कर दिया गया, हालाँकि 5 करोड़ की लिमिट उन्ही करदाताओं पर एप्लीकेबल होगी जिनके कुल टर्नओवर के 5 % से अधिक राशि नकद में प्राप्त नहीं होती हो और कुल खर्चो के 5 % से अधिक खर्चे नकद में नहीं हो।
बजट 2021 में इसी में और छूट देते हुए टैक्स ऑडिट की लिमिट को 5 करोड़ से बढाकर 10 करोड़ कर दिया गया है।
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इनकम टैक्स असेसमेंट के टाइम लिमिट में कमी –
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार किसी भी टैक्सपेयर के 4 वर्ष पुराने मामलो का असेसमेंट किया जा सकता था और यदि 1 लाख से अधिक इनकम की अनियमितता होने पर 6 वर्ष तक के पुराने मामलों को भी खोला जा सकता था, लेकिन
बजट 2021 में इस लिमिट को घटाकर 3 वर्ष कर दिया गया है, यानि की अब सिर्फ 3 वर्ष पुराने मामलो को ही खोला जा सकेगा।
लेकिन, 50 लाख से अधिक राशि के मामलो में 10 वर्ष पुराने मामलो को भी खोला जा सकेगा।
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होम लोन लेने की टाइम लिमिट को एक्सटेंड किया गया –
ऐसे इंडिविजुअल जो कि पहली बार घर खरीद रहे है, उनको 31 मार्च 2021 तक लिए गए होम लोन पर सेक्शन 80EEA में अतिरिक्त 1.5 लाख की छूट दी जाती थी। यह छूट होम लोन के इंटरेस्ट की दी जाती थी।
बजट 2021 में होम लेने की टाइम लिमिट को 1 वर्ष एक्सटेंड करके 31 मार्च 2022 कर दिया गया है, यानि कि अब 31 मार्च 2022 तक लिए गए होम लोन पर यह अतिरिक्त छूट प्राप्त होगी।
हालाँकि, छूट उसी केस में दी जायेगी जब घर की स्टाम्प ड्यूटी वैल्यू 45 लाख से अधिक की नहीं हो।
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नॉन – रेजिडेंट को राहत –
बजट 2021 में NRI को भी राहत दी गयी है, जिसके अनुसार ऐसे नॉन रेजिडेंट जिनके फॉरेन रिटायरमेंट अकॉउंट में accrued इनकम है, और भारत वापसी पर उनकी इस इनकम पर डबल टैक्सेशन के रूल्स लागू होता है , जिनकी वजह से NRI को काफी परेशानी का सामना पड़ता है,
बजट 2021 में इस तरह के डबल टैक्सेशन के रूल्स को पूरी तरह से हटा दिया जायेगा।
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गुड्स को ख़रीदने पर टीडीएस –
budget 2021 के बाद से इनकम टैक्स एक्ट 1961 में नया सेक्शन 194Q जोड़ा गया है, जिसके अनुसार अगर कोई पर्सन पूरे वर्ष में 50 लाख से अधिक के किसी भी तरह के कोई गुड्स खरीदता है, तो उसको इस तरह के ट्रांजेक्शन पर 0.1 % की रेट से टीडीएस काटना होगा।
हालाँकि, यह रूल उसी केस में एप्लीकेबल होगा, जब उस पर्सन का टर्नओवर 10 करोड़ से अधिक का है।
डिविडेंड टैक्स –
बजट 2020 से पहले डिविडेंड कम्पनीज के हाथों में टैक्सेबल होता था और शेयर होल्डर्स के हाथों में टैक्स फ्री। लेकिन, बजट 2020 के बाद से इसे शेयर्स होल्डर्स के हाथों में टैक्सेबल कर दिया गया।
बजट 2021 में डिविडेंड टैक्सेशन के इन नियमो में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया, लेकिन REIT या INVIT से प्राप्त डिविडेंड को टीडीएस के प्रावधानों से मुक्त किया गया है।
इसके अलावा डिविडेंड पर एडवांस टैक्स की लायबिलिटी डिविडेंड के डिक्लेरेशन या पेमेंट के बाद ही arise होगी।
Pre – Filed इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म्स (Budget 2021 )-
करदाता को इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करने में होने वाली परेशानी को देखते हुए, सरकार द्धारा पहले ही सैलरी, टैक्स पेमेंट और टीडीएस जैसी राशि से भरे हुए ITR फॉर्म्स अवेलेबल करवाए थे।
लेकिन, करदाता के लिए आईटीआर फाइलिंग को और आसान करते हुए अब लिस्टेड सिक्योरिटीज से हुए कैपिटल गेन, डिविडेंड इनकम, बैंक या पोस्ट ऑफिस से प्राप्त ब्याज भी इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म्स में पहले से ही भरे हुए होंगे।
Faceless Income Tax Appellate Tribunal (ITAT )
अभी तक सरकार द्धारा सिर्फ पहली स्टेज के इनकम टैक्स असेसमेंट को ही faceless करने पर जोर दे रही थी, लेकिन budget 2021 में ITAT को की जाने वाली अपील्स को भी faceless किये जायेगा।
Appellate और ITAT के बीच की जाने वाली प्रोसेडिंग को इलेक्ट्रॉनिक किया जायेगा और जहाँ पर्सनल हियरिंग की आवश्यकता होगी, वहां पर वीडियो कॉन्फ्रेंस से इसको किया जायेगा।
Dispute Resolution कमिटी का गठन –
छोटे करदाताओं के लिए dispute resolution committee का गठन किया जायेगा। यह कमिटी भी faceless बेसिस पर कार्य करेगी।
ऐसे taxpayers, जिनकी कुल इनकम 50 लाख से कम की है और विवादित इनकम (disputed income ) 10 लाख से है, वे इस कमिटी में जा सकते है।
टैक्स बेनिफिट्स फॉर स्टार्टअप्स –
भारत में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए बजट 2021 में स्टार्टअप्स को मिलने वाली छूट को 1 वर्ष और एक्सटेंड करके 31 मार्च 2022 कर दिया गया है।
साथ ही स्टार्टअप्स में निवेश को मिलने वाली कैपिटल गेन exemption को भी एक वर्ष (31 मार्च 2022 ) तक एक्सटेंड किया गया है।
Unit Linked Insurance Plan (ULIP ) Taxation (Budget 2021 ) –
बजट 2021 में ULIP की maturity पर प्राप्त राशि को कैपिटल गेन हेड में टैक्सेबल किया गया है।
हालाँकि, यह Maturity Amount उसी केस में टैक्सेबल होगा जब पालिसी 1 फरवरी 2021 या इसके बाद ली गयी है और इसका एनुअल प्रीमियम 2 लाख 50 हजार से अधिक है।
इसके अलावा करदाता की डेथ पर प्राप्त ULIP Maturity Payment पूरी तरह से टैक्स से exempt होगा।
Depreciation on Goodwill –
गुडविल के डेप्रिसिएशन पर भी बजट 2021 में clarification दिया है। अब गुडविल डेप्रिसिएशन ब्लॉक का हिस्सा नहीं होगी।
अगर गुडविल को खरीदने में आपने कोई पेमेंट किया है, तो इस तरह के पेमेंट का खर्चा गुडविल के सेल के टाइम पर allow किया जायेगा।
फेक इनवॉइस के केस में प्रॉपर्टी जब्ती के प्रावधान –
अगर किसी पर्सन पर fake invoice के कारण पेनल्टी की proceedings चालू होती है और fake invoice से किये गए ट्रांजेक्शन 2 करोड़ से अधिक है, तो उस पर्सन की असेट्स भी जब्त की जा सकेगी।
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