Capital gains tax on shares – वर्तमान में शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले लोग बढ़ते जा रहे है, जिसकी वजह है ब्रोकर्स का ऑनलाइन होना और उनके द्वारा बेहतर सर्विसेज प्रदान करना ।
आजकल शेयर्स को खरीदना और बेचना इतना आसान हो गया है कि एक आम आदमी भी बिना किसी की मदद के यह आसानी से कर सकता है ।
साथ ही शेयर्स की खरीद – बिक्री पर लगने वाली ब्रोकरेज और अन्य चार्जेज भी काफी कम हो गए है, जिसकी वजह से शेयर मार्केट में ट्रांजेक्शन भी ज्यादा होने लगे है ।
शेयर मार्केट के ज्यादा ट्राजेक्शनों की वजह से इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग भी काफी मुश्किल हो गयी है । शेयर्स की खरीद – बिक्री ज्यादा होने से आईटीआर में ज्यादा जानकारी देनी पड़ती है ।
इस ज्यादा जानकारी को सही से रिपोर्ट नही करने के चक्कर मे आपकी इनकम टैक्स रिटर्न भी गलत हो सकती है । एक टैक्स कंसलटेंट को भी शेयर्स के ट्रांजेक्शनों को इनकम टैक्स रिटर्न में भरने में काफी परेशानी और सावधानी बरतनी होती है ।
इसलिए अगर आप भी शेयर्स के ट्रांजेक्शन करते है, तो आपको इससे होने वाले प्रॉफिट या लॉस के टैक्स ट्रीटमेंट के बारे में भी पूरा पता होना चाहिए ।
आज के आर्टिकल (Capital gains tax on shares) में हम शेयर मार्केट से होने वाले प्रॉफिट या लॉस का इनकम टैक्स में क्या और कैसे ट्रीटमेंट किया जाता है, के बारे में चर्चा करेंगे ।
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Table of Contents
शेयर मार्केट से होने वाला प्रॉफिट बिज़नेस इनकम होती है या कैपिटल गेन हेड की इनकम
शेयर मार्केट से होने वाले प्रॉफिट पर ‘ बिज़नेस या कैपिटल गेन ‘ हेड में टैक्स लगाया जाता है ।
शेयर मार्केट के प्रॉफिट को बिज़नेस हेड की इनकम तब माना जाता है, जब आप शेयर्स की ट्रेडिंग करते है, जैसे – इंट्रा डे, फ्यूचर & ऑप्शन etc.
इसके अलावा अगर आप डिलीवरी बेस्ड ट्रेडिंग भी करते है, तो भी आपकी इनकम को बिज़नेस इनकम माना जा सकता है अगर आप इसे इनकम टैक्स रिटर्न में बिज़नेस हेड में रिपोर्ट करते है ।
अगर कोई पर्सन डिलीवरी बेस्ड ट्रेडिंग करता है, तो उसकी इनकम पर बिज़नेस हेड में टैक्स लगाया जाएगा या कैपिटल गेन हेड में, इस पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की भी कोई स्पष्ट राय नही है ।
हालांकि यह सिर्फ आपके इंटेंशन पर डिपेंड करता है कि क्या आप शेयर्स के ट्रांजेक्शनों को इन्वेस्टमेंट के तौर पर कर रहे है या बिज़नेस के तौर पर ।
अगर आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में शेयर मार्केट के प्रॉफिट को बिज़नेस इनकम में शो कर रहे है, तो आगे के वर्षो में भी इसे बिज़नेस इनकम ही माना जायेगा ।
इसलिए आईटीआर फाइलिंग में यह ध्यान से चुने, क्योकि दोनों केस में टैक्स रेट अलग – अलग होती है ।
हालांकि, आज के आर्टिकल में हम शेयर्स के ट्रांजेक्शनों की कैपिटल गेन हेड में रिपोर्टिंग के बारे में ही चर्चा करेंगे ।
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शेयर्स को बेचने से होने वाले प्रॉफिट पर कैपिटल गेन हेड में टैक्सेशन। Capital gains tax on shares
शेयर्स को बेचने से होने वाले प्रॉफिट 2 टाइप्स का होता है, (1) लांग टर्म कैपिटल गेन, और (2) शार्ट टर्म कैपिटल गेन ।
इसी तरह अगर शेयर्स को बेचने से लॉस होता है, तो यह भी 2 टाइप्स का ही होता है, (1) लांग टर्म कैपिटल लॉस, और (2) शार्ट टर्म कैपिटल लॉस ।
लांग टर्म कैपिटल गेन। Capital gains tax on shares
अगर लिस्टेड शेयर्स का होल्डिंग पीरियड 12 महीनों से ज्यादा का है, तो इस तरह के शेयर्स को बेचने से होने वाला प्रॉफिट लांग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है । किसी भी शेयर को खरीदने की तारीख से लेकर बेचने तक की तारीख के पीरियड को उस शेयर का होल्डिंग पीरियड माना जाता है ।
जैसे – आपने किसी शेयर को 1 अप्रैल 2021 में खरीदा और 5 मई 2022 को बेचा, तो इस शेयर को होल्ड करने का आपका पीरियड 12 महीने से ज्यादा है । इसलिए यह शेयर आपके लिए लांग टर्म कैपिटल असेट्स मानी जायेगी और इससे होने वाला प्रॉफिट लांग टर्म कैपिटल गेन होगा ।
शेयर्स से होने वाले लांग टर्म कैपिटल गेन के संबंध में टैक्स रुल्स और टैक्स रेट क्या होगी ?
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 112A में शेयर्स को बेचने से होने वाले लांग टर्म कैपिटल गेन के टैक्स रूल्स बताये गए है ।
शेयर्स से होने वाले लांग टर्म कैपिटल गेन पर 10% की रेट से टैक्स लगाया जाता है । हालांकि, 1 लाख तक के लांग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स नही लगाया जाएगा । अगर यह 1 लाख से ज्यादा का है, तो 1 लाख से ऊपर के पार्ट पर 10 % की रेट से टैक्स लगाया जायेगा ।
जैसे – 1 अप्रैल 2020 को 1 लाख रुपये के शेयर खरीदे और मई 2022 में इन्हें 3 लाख में बेचा, तो इस केस में होल्डिंग पीरियड 12 महीने से ज्यादा है,
इसलिए शेयर्स के प्रॉफिट को लांग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और यह 2 लाख का प्रॉफिट 10 % की रेट से टैक्सेबल होगा । हालांकि, 1 लाख तक का लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से exempt होता है, इसलिए बैलेंस 1 लाख पर 10 % की रेट से टैक्स लगाया जाएगा ।
ध्यान रखे, इस तरह के लांग टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन का बेनिफिट प्राप्त नही होता है ।
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शेयर्स के केस में लांग टर्म कैपिटल गेन की टैक्स कैलकुलेशन में किन बातों का ध्यान रखे ?
- अगर आपकी लांग टर्म कैपिटल गेन के अलावा कोई दूसरी इनकम भी है, तो ” basic exemption limit ” में से सबसे पहले उस दूसरी इनकम की छूट दी जाएगी और अगर वह इनकम ” basic exemption लिमिट से कम रह जाती है, तो फिर लांग टर्म कैपिटल गेन को इस लिमिट से घटाया जाएगा ।
जैसे – राजेश ( 60 वर्ष से कम ) की 2 लाख की रेंटल इनकम है और 2 लाख का लांग टर्म कैपिटल गेन है, तो इस केस में 2.50 लाख की basic exemption limit तक कोई टैक्स नही लगेगा ।
लेकिन, 2.50 लाख की लिमिट में से सबसे पहले 2 लाख की रेंटल इनकम को घटाया जाएगा । रेंटल इनकम को घटाने के बाद 50,000 (2.50 लाख – 2 लाख ) का बैलेंस बच जाता है, तो इस 50 हजार से लांग टर्म कैपिटल गेन को कम किया जाएगा ।
अब 2 लाख के लांग टर्म कैपिटल गेन में से 50 हजार कम करने के बाद 1.50 लाख का लांग टर्म कैपिटल गेन बच जाता है । 1.50 लाख के लांग टर्म कैपिटल गेन में से 1 लाख का अमाउंट टैक्स फ्री होगा और बैलेंस 50 हजार के लांग टर्म कैपिटल गेन पर 10% की रेट से टैक्स लगाया जाएगा
- लांग टर्म कैपिटल गेन में से सेक्शन 80C से सेक्शन 80U की कोई भी टैक्स डिडक्शन क्लेम नही की जा सकती है ।
- सेक्शन 87A में मिलने वाली टैक्स रिबेट भी लांग टर्म कैपिटल गेन के केस में नही दी जाती है ।
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शेयर्स को बेचने से होने वाला लांग टर्म कैपिटल लॉस पर टैक्सेशन के रूल्स क्या होंगे ?
जरूरी नही है कि शेयर्स को बेचने से हमेशा प्रॉफिट ही हो, कई बार इनसे लॉस भी होता है।
लेकिन, क्या शेयर मार्केट में लॉस का हम इनकम टैक्स में फायदा उठा सकते है, तो इसका जवाब होगा, हाँ ।
अगर आपको शेयर्स के बेचने से कोई लॉस होता है, तो इनकम टैक्स रिटर्न में इसे रिपोर्ट करो और अगले साल या उसके बाद में कभी आपको शेयर्स मार्केट से प्रॉफिट होता है, तो इस लॉस को आप अपने प्रॉफिट से सेट ऑफ कर सकते है ।
यानी कि इसका सीधा सा मतलब हो गया कि शेयर मार्केट के लॉस को आप अपने शेयर मार्केट के प्रॉफिट से सेट ऑफ कर सकते है और अगर फिर भी आपके कुछ losses बच जाते है, तो इन बचे हुए losses को आप आगे के वर्षो में कैरी फारवर्ड कर सकते है ।
शेयर मार्केट में लांग टर्म कैपिटल लॉस को सेट ऑफ और कैरी फारवर्ड करने के रूल्स। Capital gains tax on shares
- शेयर्स को बेचने से होने वाले लांग टर्म कैपिटल losses को सिर्फ लांग टर्म कैपिटल गेन से ही सेट ऑफ किया जा सकता है, किसी अन्य इनकम से नही ।
- अगर ये losses पूरी तरह से सेट ऑफ नही हो पाते है, तो इन्हें आगे 8 वर्षो तक कैरी फारवर्ड किया जा सकता है ।
- कैपिटल गेन हेड के losses को सेट ऑफ & कैरी फॉरवर्ड करने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न को लास्ट डेट से पहले भरना अनिवार्य है, अगर रिटर्न लास्ट डेट के बाद भरी जाती है, तो आप इन्हें सेट ऑफ & कैरी फॉरवर्ड नही कर सकते है ।
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शेयर्स को बेचने से शार्ट टर्म कैपिटल गेन कब होता है ?
किसी भी लिस्टेड शेयर को 12 महीने से कम समय तक होल्ड करने पर यह शॉर्ट टर्म कैपिटल असेट्स मानी जाती है और इससे होने वाला गेन शार्ट टर्म कैपिटल गेन होता है ।
जैसे – अगस्त 2021 में कोई शेयर खरीदा और जनवरी 2022 में उसे बेच दिया, तो इस शेयर का होल्डिंग पीरियड 12 महीने से कम है, इसलिए इससे होने वाला प्रॉफिट लांग टर्म कैपिटल गेन माना जायेगा ।
ध्यान रखे अनलिस्टेड शेयर के केस में होल्डिंग पीरियड 12 महीने की जगह 24 महीने का एप्लीकेबल होता है ।
शेयर्स को बेचने से होने वाले शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स रूल्स और टैक्स रेट क्या होगी ?
शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट से होने वाले शार्ट टर्म कैपिटल गेन के टैक्सेशन रूल्स सेक्शन 111A में बताए गए है । इस तरह के शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15% की रेट से टैक्स लगाया जाता है ।
शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स की कैलकुलेशन में किन बातों का ध्यान रखे ?
- अगर आपकी कोई दूसरी इनकम है और वह basic exemption limit से कम है, तो शार्ट टर्म कैपिटल गेन की राशि को basic exemption limit से घटाया जाएगा और बैलेंस शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15 % की रेट से टैक्स लगाया जाएगा ।
- सेक्शन 80C से सेक्शन 80U की टैक्स डिडक्शन क्लेम नही की जा सकेगी ।
शार्ट टर्म कैपिटल लॉस पर टैक्सेशन के रूल्स। Capital gains tax on shares
- स्टॉक मार्केट में किसी शेयर को बेचने से कोई लॉस होता है और शेयर का होल्डिंग पीरियड 12 महीने से कम समय का था, तो यह शार्ट टर्म कैपिटल लॉस माना जायेगा ।
- शार्ट टर्म कैपिटल लॉस को सिर्फ शार्ट टर्म कैपिटल गेन और लांग टर्म कैपिटल गेन से ही सेट ऑफ किया जा सकता है, किसी दूसरी इनकम से नही ।
- अगर पूरा लॉस सेट ऑफ नही हो पाता है, तो इसे आगे 8 वर्षो तक कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है ।
- इस लॉस को सेट ऑफ & कैरी फॉरवर्ड करने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न को लास्ट डेट से पहले फ़ाइल करना अनिवार्य है ।
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