कैश में किये गए ट्रांजेक्शन और इनकम टैक्स में लगने वाली पेनल्टीज – cash transactions limit in income tax

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cash transactions limit in income tax

cash transactions limit in income tax – कोई भी देश ब्लैक मनी पर कंटोल करना चाहता है तो उसका पहला फोकस होता है, कि लोगो द्वारा कैश (नकद) में किये जाने वाले ट्रांजेक्शनों को कम से कम किये जायें ।
लोगो द्वारा नकद में किये गए ट्रांजेक्शनों पर नजर रखना काफी मुश्किल काम होता है, जिसकी वजह से काफी ट्रांजेक्शन सरकार की नजर में नही आ पाते है और इन नकद ट्रांजेक्शनों की वजह से ही ब्लैक मनी को बढ़ावा मिलता है ।
कैश में किये जाने वाले ट्रांजेक्शनों को रोकने के लिए सरकार द्वारा काफी कदम उठाए जाते है । इन ट्रांजेक्शनों को रोकने के लिए सरकार टीडीएस, पेनल्टी, जुर्माना और जेल में सजा जैसे प्रावधान भी लागू कर चुकी है ।
सरकार द्वारा उठाये गए कदमों की वजह से ही आज इन कैश ट्रांजेक्शनों में काफी कमी भी आयी है ।
इसलिए आज के आर्टिकल (cash transactions limit in income tax ) में हम कैश में जुड़े ट्रांजेक्शन और इन पर इनकम टैक्स में लगने वाली पेनल्टीज के बारे में जानेंगे ।

नकद में लोन लेना या जमाये स्वीकार करना – धारा 269SS (cash transactions limit in income tax)

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 269SS के अनुसार कोई भी पर्सन किसी दूसरे पर्सन से 20 हजार से ज्यादा का लोन नकद में नही ले सकता है,
और न ही किसी भी immovable property ( अचल संपत्ति ) के ट्रांसफर से जुड़े केस में 20,000 से ज्यादा राशि नकद में प्राप्त कर सकता है, चाहे ऐसा ट्रांसफर वास्तव में हो या नही ।
अगर कोई पर्सन ऐसा ट्रांजेक्शन करता है, तो इस पर्सन पर लोन अमाउंट के बराबर की पेनल्टी लगाई जाएगी ।
जैसे – आपने किसी से 50 हजार का लोन नकद में लिया है और यह ट्रांजेक्शन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की पकड़ में आता है, तो आपके ऊपर लोन के बराबर राशि यानी कि 50 हजार की पेनल्टी लगाई जाएगी ।
हालांकि, अगर किसी पर्सन की केवल एग्रीकल्चरल इनकम है और इसके अलावा कोई दूसरी इनकम नही है, वह पर्सन किसी ऐसे पर्सन से नकद में लोन लेता है, जिसके भी सिर्फ एग्रीकल्चरल इनकम हैं और कोई दूसरी इनकम नही है, तो इन पर्सन पर सेक्शन 269SS लागू नही होगा ।
जैसे – श्रीमान A और श्रीमान B की सिर्फ एग्रीकल्चरल इनकम है और इसके अलावा कोई दूसरी टैक्सेबल इनकम नही है,
तो ये दोनों अगर आपस मे नकद में लोन देते है, तो इनके ऊपर कोई पेनल्टी नही लगेगी । यानी कि सेक्शन 269SS एप्लीकेबल नही होगा ।

नकद में लोन का पेमेंट करना – धारा 269T

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 269T में किसी भी लोन के cash में repayment के रूल्स के बारे में बताया गया है ।
सेक्शन 269T के अनुसार किसी भी बैंकिंग कंपनी की ब्रांच, को – ऑपरेटिव सोसाइटी, फर्म या किसी दूसरे पर्सन द्वारा किसी दूसरे पर्सन को 20,000 या इससे ज्यादा के लोन का पेमेंट कैश में नही किया जा सकता है ।

20 हजार की लिमिट कैसे निकाली जाएगी ?
  • लोन का अमाउंट और उस पर लगाने वाला इंटरेस्ट 20,000 से ज्यादा नही हो,
  • लोन जॉइंट नाम से लिया गया है, तो कुल लोन और उस पर लगने वाला इंटरेस्ट 20 हजार से ज्यादा नही हो
यह रूल किन पर्सन पर एप्लीकेबल नही होगा ?

20,000 से ज्यादा का लोन कैश में लेना (सेक्शन 269ss) या इसका पेमेंट करना (सेक्शन 269T) कुछ पर्सन पर एप्लीकेबल नही होगा ।
ये पर्सन है –

  • सरकार
  • बैंकिंग कंपनी, पोस्ट ऑफिस सेविंग बैंक और को – ऑपरेटिव बैंक
  • सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट द्वारा स्थापित कारपोरेशन
  • कम्पनीज एक्ट 2013 में बताई गई गवर्नमेंट कम्पनीज
  • सेण्ट्रल गवर्नमेंट द्वारा ऑफिसियल गजट में नोटिफिएड इंस्टीट्यूशन, आर्गेनाईजेशन etc.
नकद में लोन पेमेंट पर कितनी पेनल्टी लगायी जा सकती है ?

अगर कोई पर्सन सेक्शन 269T के प्रावधानों की अवहेलना करता है, यानी कि 20,000 से ज्यादा लोन का cash payment करता है, उस पर्सन पर लोन के पेमेंट के बराबर पेनल्टी लगाई जाएगी ।

किसी पर्सन से नकद में पेमेंट लेने पर – धारा 269ST

सेक्शन 269ST के अनुसार कोई भी पर्सन किसी दूसरे पर्सन से 2 लाख या इससे ज्यादा राशि का पेमेंट नकद में प्राप्त नही कर सकता है ।
यानी कि आप किसी भी पर्सन से 2 लाख या ज्यादा राशि नकद में प्राप्त नही कर सकते है, जो कि निम्न से संबंधित हो –

  • एक पर्सन से एक दिन में या
  • किसी एक ट्रांजेक्शन से संबंधित हो या
  • किसी एक इवेंट या एक अवसर, जो कि किसी एक पर्सन से संबंधित हो

अगर कोई पर्सन ऐसा करता है, तो उस पर्सन पर सेक्शन 271DA में Cash receipts के बराबर की पेनल्टी लगाई जाएगी ।
ध्यान रखिये इस सेक्शन में पेनल्टी सिर्फ cash में पेमेंट प्राप्त करने वाले पर्सन पर लगाई जाएगी ।

इस बारे में अधिक जाने अब नकद में ट्रांजेक्शन करने वालो पर लगाई जाएगी पेनल्टी। धारा 269ST | cash transaction limit in hindi

कैश में कोई खर्चा करने पर डेप्रिसिएशन की छूट नही मिलेगी

अगर कोई पर्सन किसी भी असेट्स को खरीदने के लिए कोई खर्चा नकद में करता है, तो नकद में किये गए खर्चे के हिस्से पर उसको डेप्रिसिएशन की छूट नही मिलेगी, अगर यह खर्चा किसी एक पर्सन को एक दिन में 10 हजार से ज्यादा का हो ।
जैसे – आपने 45,000 की कीमत का कोई लैपटॉप अपने बिज़नेस के लिए खरीदा और इसका पूरा पेमेंट आपने 12 मार्च को नकद में किया ।
इस केस में आपके द्वारा किया गया नकद खर्चा 10 हजार से ज्यादा का है, इसलिए आपको लैपटॉप के डेप्रिसिएशन की छूट नही मिलेगी ।
अगर इसी केस में आपने लैपटॉप के लिए 25,000 का पेमेंट डिजिटल मोड़ में किया, जबकि बैलेंस 20,000 का पेमेंट कैश में करते है, तो आपके द्वारा सिर्फ 25,000 के पोर्शन पर ही डेप्रिसिएशन की छूट क्लेम की जा सकेगी ।

बिज़नेस या प्रोफेशन से जुड़े खर्चे कैश में करने पर –

अगर आप कोई बिज़नेस या प्रोफेशन करते है और इससे जुड़ा कोई पेमेंट नकद में करते है , तो इसके संबंध में नियम इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 40A(3) में बताए गए है ।
सेक्शन 40A(3) के अनुसार अगर कोई पर्सन एक दिन में किसी एक पर्सन को 10,000 से ज्यादा का पेमेंट नकद में करता है,
तो इस तरह के खर्चे के 100 % पार्ट को बिज़नेस या प्रोफेशन की इनकम कैलकुलेशन के टाइम पर disallowed किया जाएगा ।
हालांकि, इस रूल के कुछ अपवाद भी है, जिसके बारे में आप इनकम टैक्स एक्ट में नगद पेमेंट करने की लिमिट क्या होती है। cash transaction section 40A(3) hindi में देख सकते है।

डोनेशन और इंश्योरेंस का पेमेंट नकद में करने पर क्या होगा ?

अगर आप किसी भी पर्सन को 2000 से ज्यादा का डोनेशन नकद में करते है, तो कैश में दिए गए डोनेशन की सेक्शन 80G में आपके द्वारा छूट क्लेम नही की जा सकेगी ।
यह रूल हेल्थ इंश्योरेंस के लिए दिए गए प्रीमियम पर भी लागू होते है । जिसके अनुसार अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान नकद में करते है, तो आपको इसकी टैक्स में छूट नही दी जाएगी ।
हालांकि, हेल्थ प्रिवेंटिव चेकअप के लिए 5000 तक के कैश में किये गए खर्चे की छूट क्लेम की जा सकती है ।

बैंक या एफडी में नकद जमा करने पर रूल्स

वर्तमान में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा कई लोगों को उनके द्वारा किये गए हाई वैल्यू ट्रांजेक्शनों के आधार पर ही इनकम टैक्स नोटिस जारी किए जाते है ।
इस तरह के हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन बैंक में पैसे जमा करवाने, एफडी करवाने या क्रेडिट कार्ड के बिल का नकद पेमेंट से भी जुड़े हुए है ।
हाई वैल्यू ट्रांजेक्शनों की डिटेल्स बैंक द्वारा ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाती है ।
अगर आप आपने सेविंग अकॉउंट में एक वर्ष में 10 लाख से ज्यादा का कैश डिपाजिट करवाते है, तो यह हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन माना जायेगा और इसकी रिपोर्टिंग बैंक द्वारा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को की जाएगी ।
इसी तरह एक वर्ष में 10 लाख से ज्यादा की एफडी या क्रेडिट कार्ड के बिल का नकद में 1 लाख या इससे ज्यादा जमा करवाना या करंट अकॉउंट में 50 लाख से ज्यादा नकद में जमा भी हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन माने जाएंगे ।
इन सभी ट्रांजेक्शनों की डिटेल्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास होती है, जिसके आधार पर वह आपको टैक्स नोटिस भी भेज सकता है ।

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