debt mutual fund income tax rules – भारत मे म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्ट करने वाले निवेशकों की संख्या दिन प्रतिदिन काफी रफ्तार से बढ़ रही है, जिसकी वजह से म्यूच्यूअल फ़ंड इंडस्ट्री भी काफी बड़ी होती जा रही है ।
वर्तमान में भारत की म्यूच्यूअल फंड इंडस्ट्री करीब 40 लाख करोड़ की हो गयी है । म्यूच्यूअल फ़ंड की रोज नई स्कीम जारी की जा रही है ।
लेकिन, म्यूच्यूअल फ़ंड इन्वेस्टर को इन स्कीम से होने वाला प्रॉफिट भी इनकम टैक्स के दायरे से बाहर नही है । अगर आप म्यूच्यूअल फ़ंड में इन्वेस्ट करते है और आपको इस पर प्रॉफिट होता है, तो आपको इस प्रॉफिट पर टैक्स भी देना होगा ।
24 मार्च 2023 को सरकार द्वारा फाइनेंस बिल 2023 को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया और इसे पारित भी कर दिया गया ।
फाइनेंस बिल 2023 में म्यूच्यूअल फ़ंड पर लगने वाले टैक्स से जुड़े रूल्स में कुछ बदलाव किए गए है ।
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फाइनेंस बिल 2023 में म्यूच्यूअल फंड पर टैक्स लगाने से जुड़े रुल्स में बदलाव
फाइनेंस बिल 2023 में डेट म्यूच्यूअल फ़ंड पर इनकम टैक्स लगाने के रूल्स में बदलाव किया गया है । किसी भी तरह के दूसरे म्यूच्यूअल फंड्स टाइप्स पर यह नए रूल्स लागू नही होंगे ।
ध्यान रखिये म्यूच्यूअल फंड से होने वाली इनकम पर टैक्स लगाने से पहले उन्हें इक्विटी और डेट म्यूच्यूअल फंड में अलग किया जाता है, उसके बाद टैक्स कैलकुलेशन शुरू की जाती है । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दोनों टाइप के म्यूच्यूअल फ़ंड पर टैक्स के नियम अलग – अलग होते है ।
फाइनेंस बिल 2023 में सिर्फ डेट म्यूच्यूअल फ़ंड से जुड़े टैक्स रूल्स में ही बदलाव किया गया है ।
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debt mutual fund income tax rules | डेट म्यूच्यूअल फ़ंड पर नए टैक्स रूल –
फाइनेंस बिल 2023 से पहले तक डेट म्यूच्यूअल फ़ंड से होने वाले प्रॉफिट को शार्ट टर्म कैपिटल गेन और लांग टर्म कैपिटल गेन में अलग किया जाता था ।
शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर आपके ऊपर स्लैब रेट के अनुसार और लांग टर्म कैपिटल गेन पर 20% की रेट से टैक्स लगाया जाता था । लांग टर्म कैपिटल गेन पर आपको इंडेक्सेशन का बेनिफिट भी दिया जाता था ।
लेकिन, फाइनेंस बिल 2023 के बाद अब डेट म्यूच्यूअल फ़ंड से होने वाले प्रॉफिट को शार्ट टर्म और लांग टर्म में अलग नही करना होगा ।
अब डेट म्यूच्यूअल फंड के कुल प्रॉफिट को शार्ट टर्म कैपिटल गेन के रूप में आपकी कुल इनकम में शामिल किया जाएगा और इसके बाद इस पर स्लैब रेट के अनुसार इनकम टैक्स लगाया जाएगा ।
इसका मतलब यह हुआ कि अब डेट म्यूच्यूअल फ़ंड पर आपको इंडेक्सेशन का बेनिफिट प्राप्त नही होगा । साथ ही अब इस पर 20% की रेट से टैक्स भी नही दे पाएंगे ।
इस नए नियम से इन्वेस्टर को डेट म्यूच्यूअल फंड से होने वाले प्रॉफिट पर ज्यादा टैक्स देना होगा । क्योंकि पहले 3 वर्ष से ज्यादा समय तक इन फंड्स को होल्ड करने पर आपको इंडेक्सेशन बेनिफिट मिलता था, जिसकी वजह से आपके ऊपर एप्लीकेबल टैक्स रेट अपने आप ही कम हो जाती थी ।
अब डेट म्यूच्यूअल फ़ंड का टैक्सेशन भी एफडी से मिलने वाले ब्याज की तरह ही हो जाएगा । लेकिन, इसमे एक अच्छी बात यह है कि सभी तरह के डेट म्यूच्यूअल फ़ंड इस नए नियम में कवर नही होंगे ।
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फाइनेंस बिल 2023 में कौनसे डेट म्यूच्यूअल फ़ंड कवर होंगे ?
म्यूच्यूअल फंड्स को उनके इक्विटी या इक्विटी रिलेटेड इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश के आधार पर अलग किया जाता है । वर्तमान में 2 तरह के म्यूच्यूअल फंड्स है –
- इक्विटी रिलेटेड म्यूच्यूअल फ़ंड ( इक्विटी में अपनी कुल संपति का कम से कम 65% निवेश रखते है ।
- डेट म्यूच्यूअल फ़ंड ( 65 % से कम इक्विटी में निवेश वाले फ़ंड )
फाइनेंस बिल 2023 में एक म्यूच्यूअल फ़ंड की एक नई श्रेणी बताई गई है । ऐसे म्यूच्यूअल फंड जो कि इक्विटी में 35 % से कम निवेश करते है ।
इस नए नियम के बाद म्यूच्यूअल फ़ंड के 3 तरह के टाइप्स हो जाएंगे –
- 65 % या इससे ज्यादा निवेश वाले म्यूच्यूअल फ़ंड (इक्विटी ओरिएंटेड म्यूच्यूअल फंड )
- 35% से ज्यादा लेकिन 65 % से कम इक्विटी निवेश वाले म्यूच्यूअल फ़ंड (डेट म्यूच्यूअल फ़ंड )
- 35% से कम इक्विटी निवेश वाले फ़ंड (डेट म्यूच्यूअल फ़ंड )
फाइनेंस बिल 2023 का नया नियम 35% से कम इक्विटी निवेश वाले डेट म्यूच्यूअल फ़ंड पर लागू होगा ।
इसका मतलब यह हुआ कि 35% से ज्यादा लेकिन 65% से कम इक्विटी निवेश वाले डेट म्यूच्यूअल फ़ंड के केस में इंडेक्सेशन का बेनिफिट मिलेगा । यानी इस तरह के डेट म्यूच्यूअल फ़ंड पर इनकम टैक्स के पुराने रूल्स ही एप्लीकेबल होंगे ।
नोट – डेट म्यूच्यूअल फ़ंड में सभी पुराने इंवेस्टमेंट्स और 31 मार्च 2023 तक किये जाने इन्वेस्टमेंट को इस नए नियम में शामिल नही किया जाएगा । टैक्सेशन के यह नए रूल्स 1 अप्रैल 2023 से किये जाने वाले डेट म्यूच्यूअल फ़ंड में निवेश पर लागू होंगे ।
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