FAQs on composition scheme in gst

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FAQs on composition scheme in gst
कम्पोजीशन स्कीम

FAQs on composition scheme in gstजीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाने वाले टैक्सपेयर को जीएसटी की कंप्लायंस और अलग – अलग जीएसटी की रेट्स से जीएसटी चार्ज करने की मुसीबत से छुटकारा दिलवाने के लिए सरकार द्वारा जीएसटी में कम्पोजीशन स्कीम का कांसेप्ट लाया गया ।
कम्पोजीशन स्कीम में टैक्सपेयर्स को न तो अलग – अलग रेट से जीएसटी चार्ज करना होता है और न ही हर महीने जीएसटी रिटर्न्स को फ़ाइल करने की जरूरत होती है ।
कुल मिलाकर जीएसटी में कम्पोजीशन स्कीम कम टर्नओवर वाले टैक्सपेयर्स के लिए बनाई गई स्कीम है, जिसमे टैक्सपेयर को काफी कम जीएसटी कंप्लायंस का सामना करना पड़ता है ।


लेकिन, कम्पोजीशन स्कीम से जुड़े रूल्स के बारे में एक आम आदमी को काफी कम जानकारी होती है,
इसलिए आज के आर्टिकल में हम gst composition scheme से जुड़े इम्पोर्टेन्ट FAQ के बारे मे चर्चा करेंगे ।

Table of Contents

what is composition scheme in gst in hindi । कम्पोजीशन स्कीम क्या होती है ?

जीएसटी में कम्पोजीशन स्कीम एक अल्टरनेटिव टैक्स स्कीम है, जो कि सिर्फ छोटे टैक्सपेयर्स के लिए बनाई गई है । कम्पोजीशन स्कीम को सिर्फ 1.50 करोड़ से कम टर्नओवर वाले टैक्सपेयर्स द्वारा ही अपनाया जा सकता है ।
हालांकि, कुछ राज्यो में बिज़नेस करने वाले टैक्सपेयर के लिए कम्पोजीशन स्कीम को अपनाने की लिमिट सिर्फ 75 लाख के टर्नओवर तक की ही है ।
कम्पोजीशन स्कीम टैक्सपेयर्स के लिए एक ऑप्शनल स्कीम है । यानी कि टैक्सपेयर चाहे तो अपना जीएसटी रेजिस्ट्रेशन कम्पोजीशन स्कीम में करवा सकते है या फिर रेगुलर टैक्सपेयर के तौर पर भी अपना जीएसटी रजिस्ट्रेशन ले सकते है ।
कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन करवाने का सबसे ज्यादा फायदा यह है कि इसमे रजिस्टर्ड टैक्सपेयर को सिर्फ एक निर्धारित रेट से ही टैक्स देना होता है ।

What is the specified rate of composition Levy | कम्पोजीशन स्कीम में जीएसटी की रेट क्या होगी ?

कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन लेने वाले टैक्सपेयर्स को एक फिक्स्ड रेट से टैक्स देना होता है ।
इसलिए कम्पोजिट टैक्सपेयर्स को गुड्स या सर्विसेज के क्लासिफिकेशन के बारे में चिंता नही करनी चाहिए, क्योकि सभी गुड्स या सर्विसेज पर उन्हें एक सिंगल रेट से ही टैक्स देना होता है ।

Gst rates in composition scheme

बिज़नेस के प्रकार सीजीएसटी एसजीएसटी कुल
Manufacturer & traders (goods) 0.5% 0.5% 1%
Restaurants (not serving alcohol) 2.5% 2.5% 5%
Other services providers 3% 3% 6%

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What are special category states in Gst composition scheme | कम्पोजीशन स्कीम में कौनसे राज्यों को स्पेशल कैटेगरी स्टेट की श्रेणी में शामिल किया गया है ?

गुड्स की सप्लाई करने वाले टैक्सपेयर्स कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन उसी केस में करवा सकते है, जब उनका एग्रीगेट टर्नओवर 1 करोड़ 50 लाख से कम होता है ।
लेकिन, स्पेशल कैटेगिरी स्टेट में यह लिमिट 75 लाख की है ।

स्पेशल केटेगरी स्टेट में आने वाले राज्य –

  • अरुणाचल प्रदेश
  • उत्तराखंड
  • मणिपुर
  • मेघालय
  • मिज़ोरम
  • नागालैंड
  • सिक्किम
  • त्रिपुरा

अगर कोई टैक्सपेयर इन राज्यों में बिज़नेस करता है, तो 75 लाख से ज्यादा टर्नओवर होने पर वह कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन नही करवा सकता है ।

Who cannot OPT composition scheme under gst | कम्पोजीशन स्कीम का विकल्प कौन नही चुन सकता है ?

कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन ऐसे पर्सन ही करवा सकते है, जिनका एग्रीगेट टर्नओवर निर्धारित लिमिट से कम होता है ।
लेकिन, जीएसटी लॉ में कुछ ऐसे टैक्सपेयर्स की लिस्ट भी दी गयी है, जो कि कम टर्नओवर होने के बाद भी कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन का विकल्प नही चुन सकते है ।

कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन के लिए पात्र नही होने वाले टैक्सपेयर्स की लिस्ट

  • ऐसे गुड्स की सप्लाई करने वाले टैक्सपेयर्स जिन पर जीएसटी नही लगाया जाता है ।
  • गुड्स की इंटर स्टेट सप्लाई करने वाले ।
  • ई कॉमर्स ऑपरेटर ( टीसीएस कलेक्ट करने के लिए liable ) के माध्यम से सप्लाई करने वाले पर्सन ।
  • कैजुअल टैक्सेबल पर्सन ।
  • नॉन रेजिडेंट फॉरेन टैक्सपेयर ।
  • निर्दिष्ट गुड्स के manufacturer ।
  • इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) के तौर पर रजिस्टर्ड पर्सन ।
  • टीडीएस डिडक्टर/ टीसीएस कलेक्टर

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What is Aggregate Turnover | कम्पोजीशन स्कीम में एग्रीगेट टर्नओवर कैसे निकाला जाएगा ?

कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन लेने वाले पर्सन का पैन बेस्ड टर्नओवर देखा जाता है ।
एग्रीगेट टर्नओवर में आपके द्वारा की जाने वाली सभी टैक्सेबल सप्लाइज, exempt सप्लाइज, गुड्स या सर्विसेज के एक्सपोर्ट, आदि के टोटल को देखा जाता है,
लेकिन, इसमे ऐसी इनवर्ड सप्लाइज को शामिल नही किया जाएगा, जिसमें टैक्स रिवर्स चार्ज के आधार पर पेयबल होता है । इसके अलावा एग्रीगेट टर्नओवर में CGST, SGST, UTT, IGST, CESS आदि के अमाउंट को नही लिया जाएगा ।
जैसे – किसी गुड्स के सप्लायर के राजस्थान और दिल्ली में ऑफिस है, तो इस केस में एग्रीगेट टर्नओवर निकालने के लिए राजस्थान और दिल्ली, दोनों ऑफिस से होने वाले कुल टर्नओवर को देखा जाएगा ।
अगर इन दोनों जगह को मिलाकर कुल टर्नओवर ₹1.50 करोड़ से ज्यादा का होता है, तो वह पर्सन कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए एलिजिबल नही होगा ।

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Can a person registered under composition scheme claim input tax credit (UTC) | क्या कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड टैक्सपेयर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लेम कर सकता है ?

कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन इनपुट टैक्स क्रेडिट की श्रंखला से बाहर रहता है । यानी कि कम्पोजिट टैक्सपेयर अपने खरीदे हुए गुड्स या सर्विसेज पर भुगतान किए गए जीएसटी की इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त नही कर सकता है ।
हालांकि, कम्पोजिट टैक्सपेयर अगर कम्पोजीशन स्कीम से नार्मल स्कीम में ट्रांसफर होता है, तो वह अपने स्टॉक में पड़े सामान की क्रेडिट प्राप्त कर सकता हैं ।

Can a person who has already obtained registration, opt for payment under composition levy | क्या जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन कम्पोजीशन स्कीम का चुनाव कर सकता है ?

अगर कोई पर्सन जीएसटी में पहले से रजिस्टर्ड है और वह कम्पोजीशन स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करना चाहता है, तो वह जीएसटी पोर्टल पर जाकर ऐसा कर सकता है ।
लेकिन, ध्यान रहे नार्मल स्कीम से कम्पोजीशन स्कीम में जाने का चुनाव करने का अधिकार टैक्सपेयर के पास हमेशा उपलब्ध नही होता है ।
वह सिर्फ फाइनेंसियल ईयर के शुरू होने से पहले ही ऐसा कर सकता है ।
जैसे – आप जीएसटी के नार्मल स्कीम में रजिस्टर्ड है और फाइनेंसियल ईयर 2022-23 में कम्पोजीशन स्कीम में टैक्स देना चाहते है, तो आप 31 मार्च 2022 तक ही इस ऑप्शन का चुनाव कर सकते हैं, इसके बाद नही ।

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How can a taxpayer opt from composition scheme | कम्पोजीशन स्कीम का चुनाव करने की प्रोसेसिंग क्या होगी ?

जीएसटी में पहले से रजिस्टर्ड पर्सन जीएसटी पोर्टल पर कम्पोजीशन स्कीम को अपनाने का चुनाव कर सकता है । इसके लिए आपको FORM GST CMP – 02 भरना होता है ।

Procedure for opting – in- composition scheme

  • Step 1 – जीएसटी पोर्टल पर लॉगिन करे ।
  • Step 2 – services>registration>Application to opt for composition levy .
  • Step 3 – फ़ॉर्म को भरे और सबमिट बटन पर क्लिक करे ।

क्या कम्पोजीशन स्कीम में नया रजिस्ट्रेशन कभी भी लिया जा सकता है ? (FAQs on composition scheme in gst)

अगर कोई जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना चाहता है, तो वह वर्ष में किसी भी समय कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन करवा सकता है ।
इसके लिए उसे FORM GST REG – 01 में आवेदन करना होगा ।

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Can supplier of services opt for composition levy | क्या सर्विसेज के सप्लायर द्वारा कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन लिया जा सकता है ?

अप्रैल 2019 से सर्विसेज की सप्लाई वाले पर्सन द्वारा भी कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन लिया जा सकता है । इससे पहले यह सिर्फ रेस्टोरेंट सर्विसेज देने वाले टैक्सपेयर द्वारा ही अपनायी जा सकती थी ।

सर्विसेज के सप्लायर द्वारा कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन तभी लिया जा सकेगा, जब उसका एग्रीगेट टर्नओवर 50 लाख से कम है ।
सर्विसेज के सप्लायर को कम्पोजीशन स्कीम में 6% की रेट से टैक्स देना होगा ।

Can a person paying tax under composition levy, withdraw voluntarily from the scheme | क्या कम्पोजिट टैक्सपेयर कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आ सकता है ?

कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन अपनी इच्छा से कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आ सकता है । इसके लिए उसे FORM GST CMP -04 भरना होगा । इसके अलावा कम्पोजिट टैक्सपेयर को FORM GST ITC – 01 भी फ़ाइल करना होगा । इस फॉर्म में उसे अपने स्टॉक की जानकारी देनी होगी ।
ITC -01 फॉर्म को कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने की सूचना देने के दिन से 30 दिनों के भीतर फ़ाइल करना जरूरी होगा ।

क्या कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने की सूचना सभी बिज़नेस प्लेसेस के लिए देनी होगी ?

अगर किसी टैक्सपेयर के एक से ज्यादा स्टेट में बिज़नेस है और वह कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन है, तो कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने की सूचना उसे हर आफिस के लिए अलग – अलग नही देनी होगी ।
यानी अगर वह कम्पोजीशन स्कीम से बाहर निकलने की सूचना देता है, तो यह उसके सभी स्टेट के बिज़नेस प्लेस पर लागू होगी, जो कि एक पैन से लिये हुए है ।

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Can a composite taxpayer issue tax invoices | क्या कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन द्वारा टैक्स इनवॉइस जारी किया जा सकता है ?

कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड टैक्सपेयर द्वारा टैक्स इनवॉइस के बजाय ” बिल ऑफ सप्लाई ” जारी किया जाएगा । इसके अलावा उसे हर बिल पर ” composition taxable person, not eligible to collect tax on supplies” लिखना होगा ।
साथ ही उसे हर नोटिस या साइन बोर्ड पर ” कम्पोजीशन टैक्सेबल पर्सन ” मेंशन करना होगा ।

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Can a person registered under composition scheme collect tax from customers | क्या कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन अपने कस्टमर से टैक्स कलेक्ट कर सकता है ?

कम्पोजीशन स्कीम का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसमे रजिस्टर्ड पर्सन अपने कस्टमर्स से जीएसटी कलेक्ट नही कर सकता है । उसे अपने पास से ही टैक्स का पेमेंट सरकार को करना होता है ।

What are the returns to be filed by composition taxpayer | कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन द्वारा कौनसी जीएसटी रिटर्न्स फ़ाइल की जाएगी ?

कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन को एनुअल बेसिस पर जीएसटी रिटर्न फ़ाइल करनी होगी । कम्पोजीशन स्कीम को अपनाने का सबसे बड़ा फायदा भी यही है ।
जहां एक नार्मल टैक्सपेयर को मंथली या तिमाही आधार पर जीएसटी रिटर्न्स फ़ाइल करनी होती है, वहीं कम्पोजीशन टैक्सपेयर को वार्षिक आधार पर GSTR- 4 फ़ाइल करनी होती है ।
जीएसटीआर – 4 फाइनेंसियल ईयर के समाप्त होने के बाद 30 अप्रैल तक फ़ाइल करनी होती है ।
हालांकि, कम्पोजीशन टैक्सपेयर को रिटर्न वार्षिक आधार पर फ़ाइल फ़ाइल करनी होती है, लेकिन टैक्स का पेमेंट तिमाही आधार पर करना होता है । कम्पोजीशन टैक्सपेयर को CMP 08 में हर तीन महीने में जीएसटी का पेमेंट करना होता है ।
CMP 08 प्रत्येक Quarter के समाप्त होने के बाद 18 तारीख तक फ़ाइल करना होता है । जैसे – जनवरी से मार्च तिमाही के लिए 18 अप्रैल तक CMP -08 में टैक्स का पेमेंट करना होता है ।

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Composition Scheme other rules । कम्पोजीशन स्कीम से जुड़े अन्य रूल्स

  • कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम नही की जा सकती ।
  • कम्पोजीशन टैक्सपेयर द्वारा इंटर स्टेट सप्लाई नही की जा सकती है ।
  • जिन सप्लाइज पर रिवर्स चार्ज एप्लीकेबल होगा, वहां कम्पोजिट टैक्सपेयर को नार्मल रेट से टैक्स देना होगा ।
  • एक बिज़नेस पर कम्पोजीशन स्कीम लागू होती है, तो वह एक पैन से किये जाने वाले सभी बिज़नेस पर लागू होगी ।
  • कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन दूसरे स्टेट में गुड्स की सप्लाई नही कर सकते है, लेकिन दूसरे राज्य से माल खरीदने पर कोई पाबंदी नही है ।
  • नार्मल टैक्सपेयर की तुलना में कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन को कम डाक्यूमेंट्स रखने होते है ।
  • जीएसटी में पहले से रजिस्टर्ड पर्सन कम्पोजीशन स्कीम को सिर्फ फाइनेंसियल ईयर के शुरू होने से पहले ही अपना सकता है, लेकिन इस स्कीम से बाहर कभी भी आ सकता है ।
  • आइसक्रीम, तम्बाकू, पैन मसाला आदि के मैन्युफैक्चर कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन नही करवा सकते है ।
  • अगर कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन का टर्नओवर निर्धारित लिमिट से ज्यादा हो जाता है, तो उसे 7 दिनों के भीतर CMP – 04 में कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने की सूचना देनी होगी और इसके बाद उसे नार्मल रेट से टैक्स देना होगा ।
  • अगर किसी टैक्सपेयर ने गलत सूचना के आधार पर कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन करवाया है, तो जीएसटी ऑफिसर उसे CMP – 05 में ” show cause notice” जारी कर सकता है और टैक्सपेयर के जवाब के आधार पर उसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल भी किया जा सकता है ।

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