Filing of Revise Return us 139 (5) – इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करते समय आपको काफी सावधानी बरतनी चाहिए, क्योकि इसमें छोटी सी गलती होने पर भी आपकी इनकम टैक्स रिटर्न गलत हो सकती है, जिसकी वजह से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्धारा आपको नोटिस भी भेजा जा सकता है।
हालाँकि, फिर भी कई लोगो से इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करने में कुछ गलती रह जाती है, जिसकी वजह से उनकी रिटर्न डिपार्टमेंट द्वारा आगे प्रोसेस नहीं की जाती है और अगर आपकी रिटर्न डिपार्टमेंट द्धारा आगे प्रोसेस नहीं की जाती है, तो यह माना जायेगा कि आपने उस वर्ष अपनी रिटर्न फाइल ही नहीं की थी।
इसके अलावा कई पर्सन ऐसे भी होते है, जिनकी रिटर्न प्रोसेस तो हो जाती है, लेकिन उनके द्धारा उस रिटर्न में कुछ चीजों के बारे में इनफार्मेशन देना छूट जाता है या किसी डिडक्शन को क्लेम नहीं करते है, तो उन पर्सन को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्धारा अपनी रिटर्न में गलती को सुधारने का मौका दिया जाता है।
इनकम टैक्स रिटर्न में किसी भी गलती को सुधारने के लिए आप इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139(5) में उस रिटर्न को दुबारा फाइल कर सकते है, जिसे इनकम टैक्स की भाषा में रिटर्न को रिवाइज करना कहते है।
हालाँकि, इनकम टैक्स रिटर्न को उसकी टाइम लिमिट में ही रिवाइज किया जा सकता है, अगर टाइम लिमिट समाप्त हो गयी है, तो आप उसे रिवाइज नहीं कर सकते है।
आज के आर्टिकल (Filing of Revise Return us 139 (5) में हम रिवाइज्ड रिटर्न क्या होती है और इसके इम्पोर्टेन्ट रूल्स के बारे में चर्चा करेंगे।
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- इनकम टैक्स रिटर्न क्या है। इनकम टैक्स रिटर्न के सभी फॉर्म्स की डिटेल।
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Table of Contents
इनकम टैक्स रिटर्न में होने वाली गलती को किनके द्वारा सुधारा जा सकता है ?
इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करने के बाद कोई भी पर्सन उसे रिवाइज कर सकता है। यानि कि इंडिविजुअल, फर्म, कंपनी कोई भी हो, रिटर्न में गलती होने पर आप उसे रिवाइज कर सकते है।
असेसमेंट ईयर 2017-18 से ऐसी इनकम टैक्स रिटर्न्स जो कि लास्ट डेट के बाद फाइल की गयी है, को भी रिवाइज करने की छूट दी गयी है । इसका मतलब यह हुआ कि अब कोई भी रिटर्न रिवाइज की जा सकती है, चाहे वह टाइम पर फाइल हो या नहीं हो।
हालाँकि, इस पीरियड से पहले बिलेटेड रिटर्न को रिवाइज नहीं किया जा सकता था।
एक बार जब रिवाइज रिटर्न फाइल कर दी जाती है, तो यह ओरिजिनल आईटीआर का स्थान ले लेती है और ये उस तारीख को फाइल की हुई मानी जाती है, जिस तारीख को ओरिजिनल आईटीआर फाइल की गयी थी ।
यानि कि रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने के बाद से आपकी पुरानी रिटर्न मान्य नहीं होगी।
जैसे – असेसमेंट ईयर 2023-24 की रिटर्न आपने 5 जुलाई 2023 को फाइल की थी और 25 जुलाई को आपने उस रिटर्न को रिवाइज किया, तो आपके द्धारा फाइल की हुई रिवाइज रिटर्न को ही अब आपकी ओरिजिनल रिटर्न माना जायेगा।
रिवाइज रिटर्न फाइल करने के बाद आपका टैक्स असेसमेंट रिवाइज रिटर्न के आधार पर किया जाता है न कि पहले फाइल की गयी ओरिजिनल रिटर्न के आधार पर।
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रिवाइज्ड रिटर्न को फाइल करने की समय -सीमा
इनकम टैक्स एक्ट के रूल्स के अनुसार कोई भी पर्सन अपनी इनकम टैक्स रिटर्न को रिवाइज कर सकता है, लेकिन सिर्फ इसकी टाइम लिमिट के भीतर।
इसलिए रिवाइज रिटर्न को फाइल करना जितना जरुरी होता है, उतना ही इसकी टाइम लिमिट का भी ध्यान रखना जरुरी होता है।
अगर आप अपनी ओरिजिनल रिटर्न में बदलाव करने के लिए रिवाइज रिटर्न फाइल करना चाहते है, तो आप सम्बंधित असेसमेंट ईयर के 31 दिसंबर या असेसमेंट की समाप्ति, जो भी पहले हो , अपनी रिटर्न को रिवाइज कर सकते है।
जैसे – असेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न को 31 दिसंबर 2024 से पहले रिवाइज किया जा सकता है। लेकिन यह भी ध्यान रखे कि जिस पर्सन की रिटर्न आप रिवाइज कर रहे है, उसका असेसमेंट नहीं हुआ हो।
अगर उसका असेसमेंट हो चुका है, तो आप उसकी ओरिजिनल रिटर्न को रिवाइज नहीं कर सकते है, चाहे उसकी रिवाइज रिटर्न फाइल करने की टाइम लिमिट समाप्त नहीं हुई हो।
ध्यान रखे – इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 143(1 ) में रिटर्न को प्रोसेस करने को असेसमेंट की समाप्ति नहीं माना जायेगा।
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- जीएसटी सिस्टम में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म क्या है। रिवर्स चार्ज कैसे काम करता है।
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आईटीआर (ITR ) में किस तरह की गलती को सुधारा जाता है ?
इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करने के बाद किसी भी तरह की गलती होने पर उसे रिवाइज रिटर्न के माध्यम से सुधारा जा सकता है, यानि कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्धारा कोई बंदिश नहीं है, कि इसमें आप सिर्फ किसी स्पेशल गलती को ही सुधार सकते है।
अधिकतर लोगो द्धारा जो कॉमन मिस्टेक होती है, उनकी लिस्ट है –
- बैंक खातों की गलत जानकारी
- गलत आईटीआर फॉर्म में अपनी रिटर्न फाइल करना
- पर्सनल इनफार्मेशन में कोई गलती
- रिटर्न और फॉर्म 26 as की डिटेल्स में अंतर
- डिडक्शन को क्लेम नहीं करना या ज्यादा क्लेम करना
- डिविडेंड या एफडी इंटरेस्ट रिपोर्ट नहीं करना
- टैक्स फ्री इनकम को रिपोर्ट नहीं करना
- प्रॉपर्टी या शेयर्स के ट्राजेक्शनों से जुडी इनकम को नहीं दिखाना
- एग्रीकल्चर इनकम को नहीं दिखाना
- बिज़नेस इनकम की कम रिपोर्टिंग
- गलत रेजिडेंशियल स्टेटस चुनना
हालाँकि, वर्तमान में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा ” pre filled itr ” फॉर्म्स जारी किये जाते है, जिसकी वजह से आप अपनी सैलरी, डिडक्शन, डिविडेंड, ब्याज, टैक्स आदि की जानकारी इसमें देख सकते है।
साथ ही एनुअल इनफार्मेशन स्टेटमेंट में भी आपके अधिकतर ट्रांजेक्शन होते है, जिनको चेक करके आप अपनी रिटर्न फाइल कर सकते है। इससे आपकी रिटर्न में गलती होने की काफी कम सम्भावना रहती है।
ध्यान रखे – आप कभी भी अपनी रिटर्न को बेवजह रिवाइज नहीं करे, क्योकि इससे आपको बाद में परेशानी भी हो सकती है।
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- फॉर्म 26 as क्या है। फॉर्म 26as इनकम टैक्स रिटर्न भरने में क्यों जरुरी होता है।
- इनकम टैक्स डिडक्शन क्या होती है। इनकम टैक्स की इन डिडक्शन को जरूर जाने।
- Annual Information Statement (AIS) क्या होता है और इसमें आपके कौनसे ट्रांजेक्शन होते है ?
एक रिटर्न को कितनी बार रिवाइज किया जा सकता है ?
ओरिजिनल रिटर्न में गलती होने पर उसे रिवाइज किया जा सकता है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या रिवाइज रिटर्न में गलती होने पर उसे भी रिवाइज किया जा सकता है।
तो इसका जवाब होगा – हाँ। यानि कि एक बार फाइल की गयी आईटीआर को कितनी भी बार रिवाइज किया जा सकता है ।
यहाँ तक की एक रिवाइज रिटर्न को भी रिवाइज किया जा सकता है यदि समय सीमा समाप्त नहीं हुई है । लेकिन आईटीआर को रिवाइज्ड करने से उसके स्क्रूटिनी में आने के चांस बढ़ जाते है और यह विशेषकर तब होता है, जब रिवाइज रिटर्न एक बड़ी राशि के रिफंड को जनरेट कर रही हो |
इसलिये आईटीआर को रिवाइज्ड तभी करे जब आपके पास इसका एक वैलिड कारण हो ।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी आपकी रिटर्न को रिवाइज करने की मंजूरी तभी देता है, जब आपसे कोई गलती अनजाने में हुई हो । इनकम टैक्स रिटर्न को रिवाइज करने का फायदा ऐसे पर्सन को प्राप्त नहीं होगा जिसने अपनी आईटीआर गलत फाइल की हो और वह जानता है कि यह गलत है ।
कई बार करदाता ओरिजिनल रिटर्न में कम इनकम रिपोर्ट करते है और रिवाइज रिटर्न में अधिक इनकम रिपोर्ट करते है, तो अगर ऐसी अधिक इनकम को ओरिजिनल रिटर्न में शामिल नहीं करने का बोनाफाइड कारण था, तो पेनल्टी नहीं लगेगी अन्यथा पेनल्टी लग सकती है ।
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- फिक्स्ड डिपॉजिट्स पर टीडीएस के बारे में जानकारी | section 194A in hindi
- जीएसटी में टीसीएस क्या होता है?
रिवाइज्ड रिटर्न को फाइल करने के Examples| Filing of Revise Return us 139 (5)
केस 1 – अशोक एक इंडिविजुअल है और असेसमेंट ईयर 2024-25 में उनकी टोटल इनकम 3 लाख है ,तो उनके लिए आईटीआर फाइल करना अनिवार्य है एवं उनके लिए रिटर्न को फाइल करने की लास्ट डेट 31 जुलाई 2024 (नॉन ऑडिट केस ) होगी ।
अगर इस फाइल की हुई रिटर्न में कोई गलती हो जाती है, तो अशोक द्वारा 31 दिसंबर 2024 से पहले अपनी इनकम टैक्स रिटर्न को रिवाइज किया जा सकता है।
केस 2 – योगा सेंटर एक चैरिटेबल ट्र्स्ट है और असेसमेंट ईयर 2024-25 की अपनी ओरिजिनल आईटीआर को रिवाइज करते है । कुछ समय बाद योगा सेंटर अपनी रिवाइज रिटर्न को फिर से रिवाइज्ड करना चाहते है, तो ऐसी सिचुएशन में वे अपनी रिवाइज्ड रिटर्न को फिर से 31 दिसंबर 2024 तक रिवाइज कर सकते है, अगर उनका असेसमेंट नहीं हुआ हो तो।
नोट : एक इनकम टैक्स रिटर्न को कितनी भी बार रिवाइज्ड किया जा सकता है बशर्ते रिटर्न को रिवाइज्ड करने की समय सीमा समाप्त नहीं हुई हो ।
केस 3 – कमलेश ने असेसमेंट ईयर 2024-25 की आईटीआर 15 जून 2024 को फाइल की, जिसमे उन्होंने रिफंड क्लेम किया और उनकी रिटर्न सेक्शन 143 (1 ) में प्रोसेस होने के बाद 25 जून को टैक्स रिफंड मिल जाता है।
लेकिन कमलेश को बाद में पता चलता है कि उन्होंने अपनी कुछ इनकम को ओरिजिनल आईटीआर में रिपोर्ट नहीं किया। जिसकी वजह से उनकी टैक्स लायबिलिटी बन रही है और अब वह अपनी आईटीआर को रिवाइज्ड करना चाहते है ।
ऐसी सिचुएशन में वे अपनी आईटीआर को रिवाइज कर सकते है, क्योकि 143 (1 ) में रिटर्न को प्रोसेस किया जाना असेसमेंट का समाप्त होना नहीं माना जाता है।
ध्यान रखे इनकम टैक्स रिटर्न को रिवाइज करने पर किसी तरह की कोई पेनल्टी नहीं लगायी जाती है, लेकिन अगर आपकी कोई टैक्स लायबिलिटी बन रही है, तो उस पर इंटरेस्ट जरूर चार्ज किया जाता है।
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अगर सेविंग ब्याज इनकम मी नही शो किया और 80TTA शो किया तो क्या रिटर्न REVISE करना पडेंगा क्या ?
saving bank ke interest ko itr me show karne ke baad hi 80tta ki deduction claim kar sakte hai . agar apne bina interest show kiye 80tta ki deduction claim ki hai to ap return ko revise kar sakte hai . jo deduction apne claim ki hai agar wo km amount ki hai to ap ise ignore kar sakte hai aur agar ye jyada amount ki hai to ap itr ko revise jarur kare.
सर सेकशन ११९ (२)(बी) और सेकशन ९२ CD के बरे मे जाणकारी चाहिये कृपया उपकृत करे
MUKESH JI BHAUT JALDI APKO IN SECTIONS KI JANKARI DI JAYEGI.
मैंने assessment year 2017-18 का return 11.03.18 को file किया था और 20.
04.18 it u/s 143 (1) का notice आ गया है जबकि tax liability ‘Zero’ hai notice के अनुसार भी तो मुझे क्या करना होगा ?
सेक्शन 143(1) में यह intimation (सूचना) दी जाती है कि आपकी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल हो चुकी है और इनकम टैक्स विभाग के अनुसार Process भी की जा चुकी है । इसमें आपको आगे कुछ भी करने की जरुरत नहीं होती है।
Thank You Sir
maine 23may2017 ko apna ITR file kiya tha.but kuch reason ki vajh se everify nhi ho paya. 24may2018 din phle everify ke liye bhehja cpc banguluru. kya mera return verify ho jayega wha se ek. agar nhi toh mai kya karu
Return file karne ke 120 days ke bhitar ITR ko e-verify karwana padta hai.yadi 120 days ke bhitar e-verify nahi karwaya jata to Return file ki hui nahi maani jati hai. aur ab aap ise dubara file bhi nahi kar sakte, kyoki previous year ki return file karne ki due date nikal chuki hai.