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withdrawal from composition scheme | कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने से जुड़े FAQs

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withdrawal from composition scheme – जीएसटी में रजिस्ट्रेशन दो तरीके से होता है, पहला नॉर्मल टैक्सपेयर के रूप में और दूसरा कम्पोजिट टैक्सपेयर के रूप में। अगर आप नार्मल स्कीम में जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाते है, तो आपको जीएसटी की एप्लीकेबल अलग – अलग रेट्स से टैक्स देना होगा।  कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन करवाने पर आपको अलग – अलग रेट्स से टैक्स देने के बजाय सिर्फ एक फिक्स्ड रेट से ही टैक्स देना होता है। जीएसटी रेट्स में आसानी और कम जीएसटी कंप्लायंस की वजह से अधिकतर पर्सन कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन करवाने का विकल्प चूज करते है, लेकिन कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन करवाने की कुछ शर्ते होती है, अगर आप उन शर्तों को पूरी नहीं करते है, तो आपको नार्मल टैक्सपेयर के तौर पर ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेना होगा। अगर आप कम्पोजिट टैक्सपेयर के रूप में जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवा लेते है, लेकिन बाद में आप अनिवार्य शर्तों को पूरा नहीं करते है, तो आपका जीएसटी रजिस्ट्रेशन नार्मल टैक्सपेयर के रूप में कर दिया जायेगा। आज के आर्टिकल (withdrawal from composition scheme) में हम कम्पोजीशन स्कीम से नार्मल स्कीम में जीएसटी रजिस्ट्रेशन के ट्रांसफर करने के रूल्स के बारे में चर्चा करेंगे। यह भी देखे –

क्या मै कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आ सकता हूँ ? withdrawal from composition scheme

हाँ, आप फाइनेंसियल ईयर में किसी भी समय कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आ सकते है । कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने के कारण – 
  • स्वेच्छिक़ रूप से बाहर आना 
  • कम्पोजीशन स्कीम के लिए निर्धारित टर्नओवर (1.50 करोड़ ) से ज्यादा का टर्नओवर होना 
  • ऐसे गुड्स की सप्लाई करने के केस में जो कि जीएसटी लॉ में टैक्सेबल नही है 
  • इंटर स्टेट सप्लाई करने पर (इंटर स्टेट खरीद पर कोई रोक नहीं )
  • ई – कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से सप्लाई करने पर 
  • नोटिफिएड गुड्स का मैनुफैक्चर करने पर (जैसे – पान – मसाला )
  • अन्य कारण 

मैं कम्पोजीशन स्कीम से कैसे बाहर आ सकता हूँ ? 

कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने के लिए टैक्सपेयर को जीएसटी पोर्टल पर लॉगिन करने के बाद सर्विसेज > रजिस्ट्रेशन > एप्लीकेशन फ़ॉर विथद्रावल ( withdrawal) फ्रॉम कम्पोजीशन लेवी पर क्लिक करके अप्लाई करना होगा।  यह भी देखे –

कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने के लिए कितने दिन में अप्लाई करना होता है ?

अगर टैक्सपेयर कम्पोजीशन स्कीम की शर्तों को पूरी नही करता है, तो जिस दिन वह अनिवार्य शर्तों को पूरी नही करता है, उसके 7 दिनों के भीतर कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने के लिए अप्लाई करना होगा । जैसे – किसी टैक्सपेयर का टर्नओवर 10 जनवरी को 1.50 करोड़ से ज्यादा का हो जाता है, तो उसे 17 जनवरी तक कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने के लिए अप्लाई करना होगा । हालांकि, अगर टैक्सपेयर कम्पोजीशन स्कीम की सभी शर्तों को पूरी करता है, लेकिन वह अपनी इच्छा से इस स्कीम से बाहर आना चाहता है, तो वह जीएसटी पोर्टल पर इसके लिए अप्लाई करके इससे बाहर आ सकता है ।  यह भी देखे –

कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने के लिए कौनसा फॉर्म भरना होता है ? 

कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने के लिए टैक्सपेयर को जीएसटी पोर्टल पर Form GST CMP – 04 भरना होता है ।

क्या कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने के लिए टैक्स अथॉरिटी की परमिशन लेनी होगी ?

आपको कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने के लिए किसी भी स्टेट या सेन्टर टैक्स अथॉरिटी की परमिशन नही लेनी होती है । जैसे ही आप कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने के लिए अप्लाई करते है, वैसे ही आपकी एप्लीकेशन ऑटोमैटिक रूप से अप्रूव हो जाती है और आप इस स्कीम से बाहर आ जाते है ।

कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने के बाद स्टॉक डिटेल्स की सूचना देना अनिवार्य है ? 

हाँ, टैक्सपेयर को स्टॉक की सूचना देनी अनिवार्य है । कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने के लिए एप्लीकेशन फ़ाइल करने के बाद आपको Form GST ITC -01 भरना होगा ।  इस फॉर्म में स्टॉक में रखी इनपुट सामग्री, सेमी – फिनिश्ड और फिनिश्ड गुड्स में यूज़ किये गए इनपुट की डिटेल देनी होगी । कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने की तारीख तक के स्टॉक की डिटेल्स को ITC-01 फॉर्म में देना होगा । जिस दिन आप कम्पोजीशन स्कीम से नार्मल स्कीम में ट्रांसफर हो जाते है उस दिन से 30 दिनों के भीतर ITC-01 फॉर्म को भरना होता है।  इस फॉर्म को भरने के बाद आप अपने पास स्टॉक में रखे गए सामान की इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकते है । यह भी देखे –

कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने की एप्लीकेशन को कैसे प्रमाणित करते है ?

कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने की एप्लीकेशन को डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) या इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC) के जरिये प्रमाणित किया जा सकता है ।

मुझे कैसे पता चलेगा कि कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने की एप्लीकेशन सफलतापूर्वक जमा हो चुकी है ? 

कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने की एप्लीकेशन फ़ाइल करने के बाद आपको सक्सेस मैसेज दिखाई देगा । इसके 15 मिनट के अंदर आपको एप्लीकेशन रेफरेंस नंबर (ARN) आपकी ईमेल आईडी और मोबाइल पर प्राप्त होगा ।

मेरे पैन से एक से ज्यादा जीएसटी रजिस्ट्रेशन लिंक्ड है, कम्पोजीशन स्कीम्स से  बाहर आने का उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

अगर आप अपने किसी भी बिज़नेस के लिए कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने का विकल्प चुनते है, तो वह ऑटोमैटिक आपके सभी बिज़नेस पर भी लागू हो जाएगा । जैसे – आपने अपने पैन से 3 जीएसटी रजिस्ट्रेशन ले रखे है, अगर आप इनमें से किसी भी एक जीएसटी रजिस्ट्रेशन को कम्पोजीशन स्कीम से नार्मल स्कीम में ट्रांसफर करते है, तो आप बचे हुए 2 बिज़नेस से भी ऑटोमैटिक रूप से नार्मल स्कीम में आ जाएंगे । यह भी देखे –

क्या मैं कम्पोजीशन लेवी से पुरानी डेट से बाहर आ सकता हूँ ?

यह आपके कम्पोजीशन स्कीम से बाहर आने के कारण पर निर्भर करता है , जैसे – 
  • अगर कम्पोजीशन लेवी से बाहर आने का कारण स्वेच्छिक़ है, तो आप पुरानी डेट से इस स्कीम से बाहर नही आ सकते, लेकिन करंट या फ्यूचर डेट से बाहर आने का ऑप्शन चुन सकते है ।
  • अगर बाहर आने का कारण स्वेच्छिक़ के अलावा है, तो आप पुरानी डेट से बाहर आ सकते है, लेकिन फ्यूचर डेट से बाहर आने का विकल्प नही चुन सकते है ।
ध्यान रखे इस स्कीम से बाहर आने पर आपको ITC-01 में स्टॉक डिटेल्स की सूचना अवश्य देनी होगी । अगर आपको हमारा आर्टिकल (withdrawal from composition scheme) अच्छा लगा हो तो इसे आगे शेयर जरूर करे।

what is gst annual returns | types of annual returns | जीएसटी एनुअल रिटर्न्स क्या होती है और इनके टाइप्स

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gst annual returnsभारत मे 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू किया गया था, जिसके बाद अभी तक 1.40 करोड़ से भी ज्यादा बिज़नेस जीएसटी में रजिस्टर्ड हो चुके है ।  जीएसटी में रजिस्ट्रेशन लेने के बाद रजिस्टर्ड पर्सन को जीएसटी रिटर्न्स फ़ाइल करनी होती है । जीएसटी रिटर्न्स मंथली, तिमाही और एनुअल बेसिस पर फ़ाइल की जाती है, जो कि टैक्सपेयर के टाइप्स पर डिपेंड करता है । 

gstr 1 के बारे में पूरी जानकारी

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भारत में 1 जुलाई 2017 को लागू किये गए गुड्स & सर्विसेज टैक्स ( जीएसटी ) ने पुरे इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम को बदल कर रख दिया था। जीएसटी की कंप्लायंस करने में सबसे जरुरी चीज होती है, जीएसटी रिटर्न को समय से फाइल करना। अगर आप समय से जीएसटी रिटर्न्स को फाइल नहीं करते है, तो आपको लेट फीस का पेमेंट करना होता है। जीएसटी रिटर्न में सबसे इम्पोर्टेन्ट रिटर्न होती है – GSTR 1, जो कि अधिकतर टैक्सपेयर को फाइल करनी होती है। आज के इस आर्टिकल में हम gstr 1 के बारे में चर्चा करेंगे , जिससे जीएसटी में रजिस्टर्ड टैक्सपेयर को काफी मदद मिलेगी। यह भी देखे –

जीएसटीआर 1 क्या है ? what is gstr 1

gstr 1 एक जीएसटी रिटर्न होती है, जो कि जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन को मंथली या तिमाही ( quarterly ) बेसिस पर फाइल करनी होती है। इस रिटर्न में टैक्सपेयर द्वारा की गयी सभी सप्लाइज या सेल्स की डिटेल्स होती है। सप्लाइज या सेल्स रजिस्टर्ड (B2B) या अनरजिस्टर्ड (B2C ) पर्सन को हो सकती है। इसलिए सभी तरह की सप्लाइज को GSTR 1 में रिपोर्ट करना होता है। ध्यान रखे इस रिटर्न को फाइल करना टैक्सपेयर के लिए अनिवार्य होता है, चाहे किसी महीने या तिमाही में सेल्स जीरो भी हो। किसी टैक्स पीरियड में जीरो सेल्स या सप्लाइज रहने पर Nil GSTR 1 फाइल करनी होती है। अगर आप समय से GSTR 1 फाइल नहीं करते है, तो आपको लेट फीस का पेमेंट भी करना होगा।

GSTR 1 में सप्लाइज की डिटेल्स

gstr 1 में सभी तरह के पर्सन को की गयी सप्लाइज के इनवॉइस, डेबिट नोट व क्रेडिट नोट की जानकारी आपको बिल वाइज और कंसोलिडेट (टोटल ) फॉर्मेट में देनी होती है। इनवॉइस वाइज डिटेल्स (बिल 2 बिल )
  • अगर आप जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन (स्टेट के अंदर और बाहर दोनों ) को किसी तरह की सेल्स या सप्लाइज करते है, तो इस तरह की सप्लाइज की डिटेल्स को बिल वाइज gstr 1 में रिपोर्ट करना होगा। जैसे – बिल नंबर, टैक्स अमाउंट, टैक्स रेट, रिसीवर का जीएसटी नंबर आदि।
  • स्टेट के बाहर ऐसे पर्सन को 2.50 लाख से ज्यादा के इनवॉइस वैल्यू की सप्लाई, जो कि जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है. यानि B2C सप्लाई।  जैसे – किसी अनरजिस्टर्ड पर्सन को दूसरे राज्य में 3 लाख की सेल्स की, तो इस बिल की डिटेल्स को gstr 1 में रिपोर्ट करना होगा।
कंसोलिडेट डिटेल्स ( सभी सप्लाइज के टोटल को एक साथ रिपोर्ट करना )
  • एक स्टेट में अनरजिस्टर्ड पर्सन को की गयी सप्लाइज को टैक्स रेट के आधार पर रिपोर्ट करना। जैसे – आपने 5 कस्टमर को 18% की रेट से 5 लाख की सेल्स की, तो इस केस में आपको बिल वाइज रिपोर्ट नहीं करना होगा, बल्कि पुरे 5 लाख को एक साथ रिपोर्ट करना होगा।
  • स्टेट के बाहर अनरजिस्टर्ड पर्सन को 2.50 लाख से कम इनवॉइस की सेल्स को एक साथ स्टेट वाइज और टैक्स रेट वाइज रिपोर्ट कर सकते है।
ध्यान रखे – जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन को की गयी सेल्स को बिल वाइज ही रिपोर्ट करना होगा, चाहे वह स्टेट के बाहर की सेल्स हो या स्टेट के अंदर की। डेबिट और क्रेडिट नोट  पिछले टैक्स पीरियड में जारी किये गए बिलों के सम्बन्ध में चालू पीरियड में जारी किये गए डेबिट नोट/ क्रेडिट नोट को gstr 1 में रिपोर्ट करना होगा। यह भी देखे – डेबिट नोट और क्रेडिट नोट क्या होते है और इनको कब जारी किया जाता है ?

सेल्स या सप्लाइज को GSTR 1 में रिपोर्ट करने का टाइम

जीएसटीआर 1 में इनवॉइस की रिपोर्टिंग टैक्स पीरियड में किसी भी समय की जा सकती है, यह जरुरी नहीं है कि जब gstr 1 को आप फाइल कर रहे है, तभी इनवॉइस की रिपोर्टिंग करे। ज्यादा इनवॉइस होने पर आप रोज बिलों की रिपोर्टिंग कर सकते है और इसके बाद इसे सेव कर सकते है। gstr 1 में सेव की गयी बिलों की डिटेल्स को आप जीएसटीआर 1 फाइलिंग के समय मॉडिफाई या डिलीट भी कर सकते है। ध्यान रखे इस रिटर्न में आपको बिलों को अपलोड नहीं करना होता है, बल्कि बिलो की डिटेल्स जैसे – डेट, बिल नंबर, वैल्यू, टैक्स अमाउंट, टैक्स रेट आदि को मेंशन करना होता है। यह भी देखे –

HSN कोड की रिपोर्टिंग 

गुड्स के सही क्लासिफकेशन के लिए HSN कोड़ का यूज़ किया जाता है, जिसको gstr 1 में आपको रिपोर्ट करना होता है। HSN कोड की फुल फॉर्म Harmonized System of Nomenclature होती है।  यह 6 डिजिट का एक कोड होता है, जिसको वर्ल्ड कस्टम आर्गेनाइजेशन के द्वारा गुड्स के सही क्लॉसिफिकेशन के लिए डेवेलप किया गया था। भारत 8 डिजिट के HSN कोड का यूज़ करता है। यह आपके टर्नओवर पर डिपेंड करता है, कि आपको कितने डिजिट के HSN कोड को जीएसटीआर – 1 में रिपोर्ट करना होगा। HSN कोड रिपोर्टिंग टर्नओवर लिमिट 
Turnover limit Number of Digits of HSN Code
Up to 5 crore For B2B Supply- 4 For B2C Supply – optional
More than 5 crore 6
 

Content of GSTR 1 – जीएसटीआर -1 में डिटेल्स

  • सभी रजिस्टर्ड पर्सन को की गयी सप्लाइज की बिल वाइज डिटेल्स (UIN को की गयी सप्लाइज भी शामिल )
  • अनरजिस्टर्ड पर्सन (कंजूमर ) को इंटर स्टेट ( राज्य के बाहर ) की गयी 2.5 लाख से ज्यादा इनवॉइस वैल्यू की सप्लाइज की बिल वाइज डिटेल्स
  • अनरजिस्टर्ड पर्सन को की गयी सप्लाई की कंसोलिडेट डिटेल्स
  • बिलो के सम्बन्ध में जारी डेबिट/क्रेडिट नोट की डिटेल्स
  • एक्सपोर्ट किये गए गुड्स/सर्विसेज की डिटेल्स ( इन्क्लूडिंग सेज़ सप्लाइज )
  • अनरजिस्टर्ड पर्सन को की गयी सप्लाइज की स्टेट वाइज समरी
  • फ्यूचर सप्लाइज के लिए प्राप्त एडवांस और उनके एडजस्टमेंट की समरी
  • निल रेटेड, एग्जेम्प्ट और नॉन जीएसटी सप्लाइज की डिटेल्स
  • HSN/SAC वाइज आउटवर्ड सप्लाइज
  • पुराने बिलो में संसोधन की डिटेल्स

पुराने बिलो में संशोधन

GSTR 1 की फाइलिंग के दौरान इनवॉइस, क्रेडिट/डेबिट नोट रिपोर्टिंग में कई बार गलतियां हो जाती है, जिसे आगे के पीरियड की जीएसटीआर 1 में सही किया जा सकता है। जीएसटीआर 1 रिटर्न में आपको टेबल 9, 10 और 11 दी जाती है, जिनमे आप पिछले पीरियड में की गयी गलतियों को सुधार सकते है। गलतियां कब तक सही की जा सकती है जीएसटीआर 1 को एक बार भरने के बाद उसे रिवाइज्ड नहीं किया जा सकता है, लेकिन अगले पीरियड की जीएसटीआर 1 में इसे सही किया जा सकता है। हालाँकि, इन गलतियों को सुधारने की अधिकतम समय सीमा –
  • फाइनेंसियल ईयर समाप्त होने के बाद 30 नवंबर या
  • एनुअल रिटर्न फाइल करने की तारीख
इन दोनों में जो भी पहले हो सही किया जा सकता है। जैसे – आपने दिसंबर 2023 की जीएसटीआर 1 में कोई गलती की है, तो इस गलती को 30 नवंबर 2024 या एनुअल रिटर्न फाइल करने की तारीख तक सही किया जा सकता है। यह भी देखे –

NIL GSTR 1

सभी नार्मल और कैजुअल टैक्सेबल पर्सन को जीएसटीआर 1 फाइल करना अनिवार्य होता है, चाहे किसी टैक्स पीरियड में उन्होंने कोई भी सप्लाई नहीं की हो। इस तरह के टैक्स पीरियड में टैक्सपेयर को NIL जीएसटीआर 1 फाइल करनी होती है। NIL GSTR 1 में किसी भी तरह की कोई एन्ट्री नहीं होती है। ध्यान रखे NIL जीएसटीआर 1 फाइल नहीं की जा सकेगी, अगर टैक्सपेयर ने
  • कोई भी आउटवर्ड सप्लाइज की है ( इन्क्लूडिंग एग्जेम्पटेड, निल रेटेड, और नॉन – जीएसटी सप्लाइज )
  • ऐसी खरीद की है, जिस पर रिवर्स चार्ज बेसिस पर टैक्स जमा करवाना हो।
  • पुराने बिलों में संशोधन करना हो
  • डेबिट नोट या क्रेडिट नोट रिपोर्ट करने हो
टैक्सपेयर की सुविधा के लिए सरकार ने जीएसटीआर 1 को SMS के जरिये फाइल करने की सुविधा भी दी है। टैक्सपेयर अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से SMS के जरिये GSTR 1 फाइल कर सकता है।

GSTR 1 फाइल करने की लास्ट डेट

जीएसटीआर 1 को जीएसटी पोर्टल पर ऑनलाइन फाइल करना होता है, इसे मंथली या तिमाही बेसिस पर फाइल किया जा सकता है।  मंथली जीएसटीआर 1 को महीने की समाप्ति के बाद 11 तारीख तक फाइल करना होता है, जबकि तिमाही जीएसटीआर 1 को तिमाही समाप्त होने के बाद 13 तारीख तक। Gstr 1 को तिमाही बेसिस पर फाइल करने के लिए आपको QRMP स्कीम का चुनाव करना होता है। Gstr 1 से जुडी इस जानकारी को आगे शेयर करना न भूले ! यह भी देखे –  

compulsory withdrawal from composition scheme | कम्पोजीशन स्कीम से अनिवार्य रूप से बाहर

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compulsory withdrawal from composition scheme – छोटे टैक्सपेयर्स के लिए जीएसटी की कंप्लायंस को आसान बनाने के लिए कम्पोजीशन स्कीम लायी गयी थी । कोई भी टैक्सपेयर्स जो कि गुड्स की सप्लाई करता है, जीएसटी की कम्पोजीशन में रजिस्ट्रेशन करवा सकता है अगर उसका कुल टर्नओवर 1.50 करोड़ से कम होता है । सर्विस सप्लायर के केस में टर्नओवर की लिमिट 50 लाख है । 50 लाख से ज्यादा टर्नओवर के केस में सर्विस सप्लायर द्वारा जीएसटी की रेगुलर स्कीम में ही रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है , कम्पोजीशन स्कीम में नही । कम्पोजीशन स्कीम में लिया गया जीएसटी रजिस्ट्रेशन आपके लिए तब तक वैलिड रहता है, जब तक कि आप कम्पोजीशन स्कीम की शर्तो को पूरी कर रहे है । जिस दिन आप कम्पोजीशन स्कीम की शर्तों को पूरा नही कर पाते है उस दिन आपको कम्पोजीशन स्कीम से बाहर निकलना होगा और जीएसटी की रेगुलर स्कीम आप पर लागू होगी । कुछ केसेज में जीएसटी ऑफिसर भी आपको कम्पोजीशन स्कीम से बाहर निकलने के लिए नोटिस जारी कर देता है, इस केस में आपको समय से नोटिस का जवाब देना भी अनिवार्य होता है । आज के आर्टिकल में हम Compulsory withdrawal from composition scheme से जुड़े FAQs पर चर्चा करेंगे । यह भी देखे –

कम्पोजीशन स्कीम में Compulsory withdrawal से क्या मतलब है ? compulsory withdrawal from composition scheme

कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन इस स्कीम से 2 तरह से बाहर आ सकता है – 
  • स्वेच्छिक रूप से इस स्कीम से बाहर आना , इसके लिए टैक्सपेयर को जीएसटी पोर्टल पर Form GST CMP-04 भरना होगा ।
  • जीएसटी ऑफिसर द्वारा टैक्सपेयर को कम्पोजीशन स्कीम से अनिवार्य रूप से बाहर करना ।
जीएसटी ऑफिसर द्वारा टैक्सपेयर को कम्पोजीशन स्कीम से Compulsory withdrawal उस केस में किया जाता है जब टैक्सपेयर कम्पोजीशन स्कीम की शर्तों को पूरा नही करता है और जिस दिन वह इन शर्तों का उल्लंघन करता है, उसके 7 दिनों के भीतर वह स्वयं से कम्पोजीशन स्कीम से बाहर नही निकलता है । कम्पोजीशन स्कीम से बाहर करने के लिए जीएसटी ऑफिसर टैक्सपेयर को “ कारण बताओ नोटिस (SCN) “ जारी करता है ।  टैक्सपेयर को इस कारण बताओ नोटिस का जवाब नोटिस के जारी करने की तारीख के 15 दिनों के भीतर देना होता है ।

टैक्सपेयर द्वारा “कारण बताओ नोटिस “ को कहा देखा जा सकता है ? 

जीएसटी ऑफिसर द्वारा जारी किए गए SCN को जीएसटी पोर्टल पर देखा जा सकता है । इसके लिए टैक्सपेयर को जीएसटी पोर्टल पर लॉगिन करना होगा , इसके बाद सर्विसेज > यूजर सर्विसेज > व्यू नोटिस एंड ऑर्डर्स पर क्लिक करना होगा । नोटिस एंड ऑर्डर्स पर क्लिक करने के बाद टैक्सपेयर को जारी किए सभी नोटिस और आर्डर देखे जा सकते है ।

टैक्सपेयर द्वारा “कारण बताओ नोटिस (SCN) “ का जवाब कैसे दिया जाए ?

SCN का जवाब भी जीएसटी पोर्टल पर लॉगिन करके दिया जा सकता है । इसके लिए टैक्सपेयर द्वारा सर्विसेज > रजिस्ट्रेशन > एप्लीकेशन फ़ॉर फाइलिंग क्लेरिफिकेशन पर क्लिक करके नोटिस का जवाब दिया जा सकता है । यह भी देखे –

क्या जीएसटी ऑफिसर द्वारा टैक्सपेयर को “कारण बताओ नोटिस “ जारी किए बिना भी कम्पोजीशन स्कीम से Composition Withdrawal किया जा सकता है ?

नही, जीएसटी ऑफिसर द्वारा जब भी टैक्सपेयर को कम्पोजीशन स्कीम से अनिवार्य रूप से बाहर किया जाता है, तो इसके लिए टैक्सपेयर को कारण बताओ नोटिस जारी करना अनिवार्य होता है । इस नोटिस के जारी किए बिना टैक्सपेयर को कम्पोजीशन स्कीम से बाहर नही किया जा सकता ।

टैक्सपेयर द्वारा कारण बताओ नोटिस का जवाब नही देने पर क्या हो ?

जीएसटी ऑफिसर के पास टैक्सपेयर से नोटिस का जवाब प्राप्त करने की तिथि से 30 दिन या नोटिस जारी करने की तिथि से 15 दिन , जो भी पहले हो, का समय रहता है । इस टाइम पीरियड में जीएसटी ऑफिसर 
  • अपनी कार्रवाई (प्रोसेडिंग ) को बंद कर सकता है या 
  • टैक्सपेयर को कम्पोजीशन स्कीम से बाहर कर सकता है ।
लेकिन, टैक्सपेयर द्वारा कारण बताओ नोटिस का 15 दिनों के भीतर जवाब नही दिया जाता है, तो जीएसटी ऑफिसर के पास टैक्सपेयर को कम्पोजीशन स्कीम से बाहर करने का ही ऑप्शन रहता है ।

जीएसटी ऑफिसर द्वारा टैक्सपेयर को कम्पोजीशन स्कीम से बाहर करने पर क्या होगा ?

जब जीएसटी ऑफिसर टैक्सपेयर को कम्पोजीशन स्कीम से बाहर कर देता है, तो 
  • जीएसटी पोर्टल “Compulsory withdrawal from composition levy” का आर्डर जनरेट करेगा।
  • टैक्सपेयर के एक पैन नंबर से लिंक्ड सभी जीएसटी रजिस्ट्रेशन से जुड़े सभी ईमेल और फ़ोन पर compulsory withdrawal का मैसेज भेजा जाएगा ।
  • जीएसटी पोर्टल उस पैन नंबर से लिंक्ड सभी जीएसटी रजिस्ट्रेशन को कम्पोजीशन फ्लैग से हटा देगा ।
  • उस पैन नंबर से लिंक्ड सभी जीएसटी रजिस्ट्रेशन से संबंधित स्टेट/ सेन्टर टैक्स अथॉरिटीज को कंपल्सरी withdrawal के बारे में सूचित कर दिया जाएगा ।

जीएसटी ऑफिसर द्वारा compulsory withdrawal की प्रोसेडिंग बन्द करने पर क्या होगा ? 

अगर जीएसटी ऑफिसर टैक्सपेयर के जवाब से सन्तुष्ट हो जाता है, तो वह compulsory withdrawal की प्रोसेडिंग बंद कर सकता है । इसके बाद 
  • जीएसटी पोर्टल प्रोसेडिंग को ड्राप करने का आर्डर जनरेट करेगा ।
  • टैक्सपेयर को ईमेल और मैसेज के द्वारा प्रोसेडिंग ड्राप होने की सूचना दी जाएगी ।
  • पैन नंबर से लिंक्ड सभी जीएसटी नंबर के स्टेट / सेन्टर टैक्स ऑफिसियल को प्रोसेडिंग ड्राप होने की सूचना दी जाएगी ।
यह भी देखे –

कम्पोजीशन स्कीम से compulsory withdrawal की प्रोसेडिंग की अलग – अलग स्टेज क्या है ?

कम्पोजीशन स्कीम से Compulsory withdrawal के केस में टैक्सपेयर को नोटिस जारी करने के बाद टैक्स नोटिस की अलग – अलग स्टेज होती है – 
  • पेंडिंग फ़ॉर क्लेरिफिकेशन – SCN के जारी करने के बाद और टैक्सपेयर के रिप्लाई के लिए पेंडिंग होने पर 
  • पेंडिंग फ़ॉर आर्डर – टैक्सपेयर द्वारा रिप्लाई के बाद , टैक्स ऑफिसियल के आर्डर देने से पहले 
  • आर्डर Issued – टैक्स ऑफिसियल द्वारा आर्डर जारी करने के बाद 
  • प्रोसेडिंग ड्रॉप्ड – टैक्स ऑफिसियल द्वारा प्रोसेडिंग ड्राप करने पर ।
अगर आपको आर्टिकल ( compulsory withdrawal from composition scheme ) अच्छा लगा हो तो इसे आगे शेयर जरूर करे।  

QRMP Scheme under gst for small taxpayers | QRMP स्कीम को इन 6 रूल्स से पूरा समझे

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QRMP Scheme under gst for small taxpayers – जीएसटी लॉ में QRMP स्कीम का पूरा नाम quarterly return monthly payment scheme है । यह स्कीम जीएसटी में रजिस्टर्ड ऐसे छोटे टैक्सपेयर्स के लिए लायी गयी है जिनका एग्रीगेट टर्नओवर 5 करोड से कम है । QRMP स्कीम में टैक्सपेयर को जीएसटी रिटर्न्स की फाइलिंग क्वार्टरली (quarterly ) बेसिस पर लेकिन टैक्स का पेमेंट मंथली बेसिस पर करना होता है ।  05 अक्टूबर 2020 को आयोजित जीएसटी कॉउन्सिल की 42 वी मीटिंग में QRMP स्कीम लायी गयी थी । इस स्कीम को 1 जनवरी 2021 से लागू किया गया था ।  टैक्सपेयर्स को क्वार्टरली बेसिस पर जीएसटी रिटर्न फ़ाइलिंग और मंथली बेसिस पर टैक्स देने की प्रोसेस को जीएसटी लॉ में QRMP स्कीम के तौर पर जाना जाता है । जैसें – Mr A एक बिज़नेसमैन है और जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन है । इनका बिज़नेस टर्नओवर 2 करोड़ का है । जीएसटी लॉ के नार्मल प्रावधानों के अनुसार Mr A को हर महीने अपनी जीएसटी रिटर्न फ़ाइल करनी होगी और साथ ही टैक्स का पेमेंट भी हर महीने करना होगा । Mr A को नार्मल प्रावधानों के अनुसार साल में 12 GSTR – 1 और 12 ही GSTR-3B फ़ाइल करनी होगी । इस केस में Mr A का टर्नओवर 5 करोड़ से कम है । अगर उनके द्वारा QRMP स्कीम अपनायी जाती है, तो Mr A को तीन महीने में सिर्फ एक बार रिटर्न फ़ाइल करनी होगी और हर महीने टैक्स का पेमेंट करना होगा । इस स्कीम में तीन महीने में एक बार जीएसटी रिटर्न्स फ़ाइल करनी होती है इसलिए Mr A को साल में सिर्फ 4 बार GSTR – 1 और GSTR – 3B फ़ाइल करनी होगी । QRMP स्कीम का मुख्य फायदा यह है कि इसमे आपको कम कंप्लायंस का पालन करना होता है । ऐसे टैक्सपेयर जिनकी हर क्वार्टर में काफी कम बिक्री होती है, उनके लिए QRMP स्कीम किसी वरदान से कम नही है । यह भी देखे –

Eligibility for QRMP Scheme | QRMP स्कीम को अपनाने की शर्ते – 

QRMP स्कीम को जीएसटी में रजिस्टर्ड ऐसे पर्सन द्वारा अपनाया जा सकता है जिनको GSTR – 3B फ़ाइल करना अनिवार्य हो और एग्रीगेट टर्नओवर 5 करोड़ से कम हो । जैसे – Mr A का एग्रीगेट टर्नओवर 30 लाख है और उनके द्वारा जीएसटी में कम्पोजीशन टैक्सपेयर के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है । इस केस में Mr A का टर्नओवर तो 5 करोड़ से कम है, लेकिन उन्हें Gstr -3b में जीएसटी रिटर्न्स फ़ाइल नही करनी है, इसलिए Mr A द्वारा QRMP स्कीम नही अपनायी जा सकती है । कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन करवाने के केस में GSTR -3B में जीएसटी रिटर्न फ़ाइल नही करनी होती है । 5 करोड़ के एग्रीगेट टर्नओवर की लिमिट पिछले फाइनेंसियल ईयर में चेक की जाती है, जैसे – Mr A मई 2023 में QRMP स्कीम को अपनाना चाहते है, तो उनका फाइनेंसियल ईयर 2022-23 (अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023) तक का टर्नओवर देखा जाता है । अगर पिछले फाइनेंसियल ईयर में टर्नओवर 5 करोड़ से ज्यादा है, तो आपके द्वारा QRMP स्कीम नही अपनायी जा सकती है । इसके अलावा अगर आपका पिछले फाइनेंसियल ईयर में एग्रीगेट टर्नओवर 5 करोड़ से कम है, लेकिन चालू फाइनेंसियल ईयर में टर्नओवर 5 करोड़ से ज्यादा का हो जाता है और आपने QRMP स्कीम अपना रखी है। तो इस केस में जिस क्वार्टर में आपका टर्नओवर 5 करोड़ से ज्यादा हो जाता है, उससे अगले क्वार्टर में आप QRMP स्कीम के लिए एलिजिबल नही होंगे और आपको मंथली बेसिस पर जीएसटी रिटर्न फ़ाइल करनी होगी । यह भी देखे –

QRMP Scheme under gst for small taxpayers | QRMP स्कीम से जुड़े इम्पोर्टेन्ट रूल्स 

QRMP Scheme under gst for small taxpayers
  • QRMP स्कीम को जीएसटी पोर्टल पर पूरे वर्ष में कभी भी अपनाया जा सकता है ।
  • इस स्कीम को अपनाने से पहले टैक्सपेयर को अपनी पुरानी रिटर्न्स को फ़ाइल करना होगा ।
  • जीएसटी पोर्टल पर लॉगिन करने के बाद services > returns > opt in or opt out for qrmp scheme स्टेप्स को फॉलो करके इस स्कीम को चुना जा सकता है ।
  • किसी भी क्वार्टर के लिए इस स्कीम को अपनाने की निर्धारित टाइम लिमिट होती है, उसी टाइम लिमिट में इस स्कीम को अपनाया जा सकता है । किसी क्वार्टर के शुरू होने के पहले के 2 महीने और क्वार्टर के पहले महीने की लास्ट डेट तक QRMP स्कीम अपनायी जा सकती है । जैसे – अप्रैल से जून क्वार्टर के लिए 1 फरवरी से 30 अप्रैल तक QRMP स्कीम को अपनाया जा सकता है ।
  • इसी तरह QRMP स्कीम से बाहर निकलने के लिए भी यही टाइम लिमिट एप्लीकेबल होती है ।
  • अगर किसी टैक्सपेयर ने नया जीएसटी रजिस्ट्रेशन लिया है, तो वह रजिस्ट्रेशन के बाद इस स्कीम को चुन सकता है । इसी तरह कम्पोजीशन स्कीम से नार्मल स्कीम में रजिस्ट्रेशन कार्रवाने वाले टैक्सपेयर भी इस स्कीम को अपना सकते है ।
  • QRMP स्कीम को अपनाने के ऑप्शन का चुनाव टैक्सपेयर को सिर्फ एक ही बार करना होता है । किसी क्वार्टर के लिए एक बार QRMP स्कीम का चुनाव करने के बाद अगले पीरियड के लिए भी यह स्कीम एप्लीकेबल होती है । QRMP स्कीम टैक्सपेयर पर तब तक एप्लीकेबल रहती है जब तक टैक्सपेयर द्वारा QRMP स्कीम से बाहर निकलने का ऑप्शन चूज नही कर लिया जाता या टर्नओवर 5 करोड़ से ज्यादा नही हो जाता या कम्पोजीशन स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन बदला नही जाता है ।
  • किसी भी क्वार्टर में टर्नओवर 5 करोड़ से ज्यादा हो जाता है, तो अगले क्वार्टर में टैक्सपेयर QRMP स्कीम को अपनाने के लिए एलिजिबल नही होंगे ।
  • QRMP स्कीम के लिए 5 करोड़ के टर्नओवर की लिमिट पैन वाइज एप्लीकेबल होगी । अगर टैक्सपेयर का टर्नओवर 5 करोड़ से कम है, तो उसके द्वारा एक ही पैन से लिये गए अलग – अलग बिज़नेस पर QRMP स्कीम को चुनने का ऑप्शन रहता है । उसके द्वारा किसी एक बिज़नेस के लिए QRMP स्कीम में और दूसरे बिज़नेस के लिए मंथली रिटर्न फ़ाइल की जा सकती है ।
  • QRMP स्कीम एक ऑप्शनल स्कीम है । यह टैक्सपेयर पर डिपेंड करता है कि वह रेगुलर स्कीम में रिटर्न फ़ाइल करना चाहता है या QRMP स्कीम में ।
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QRMP टैक्सपेयर GSTR – 1 और IFF में आउटवर्ड सप्लाइज की डिटेल्स कैसे फ़ाइल करे ?

QRMP स्कीम को चूज करने वाले टैक्सपेयर को हर क्वार्टर में (तीन महीने में एक बार) GSTR – 1 फ़ाइल करनी होगी । जीएसटी लॉ में इनपुट टैक्स क्रेडिट का सिस्टम होने की वजह से सप्लायर द्वारा सेल्स के बिल की रिपोर्टिंग जीएसटी रिटर्न्स में करने के बाद ही गुड्स या सर्विसेज के खरीददार द्वारा इसकी इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम की जा सकती है।  जबकि QRMP स्कीम में टैक्सपेयर को हर तीन महीने में एक बार रिटर्न फ़ाइल करनी होगी । इसका मतलब यह हुआ कि इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने के लिए Purchaser को 3 महीनों का इंतजार करना होगा ।  टैक्सपेयर को हर महीने इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा मिल सके, इसके लिए भी QRMP स्कीम में व्यवस्था की गई है ।  QRMP स्कीम को अपनाने वाले टैक्सपेयर द्वारा हर महीने इनपुट टैक्स क्रेडिट पास की जा सके, इसके लिए टैक्सपेयर को इनवॉइस फर्निशिंग फैसिलिटी (Invoice Furnishing Facility) दी जाती है । इनवॉइस फर्निशिंग फैसिलिटी (IFF) में टैक्सपेयर को किसी भी क्वार्टर के पहले और दूसरे महीने में आउटवर्ड सप्लाइज की डिटेल्स को जमा करने की सुविधा मिलती है ।  IFF के माध्यम से आउटवर्ड सप्लाइज की डिटेल्स को महीने के समाप्त होने के बाद 1 तारीख से 13 तारीख तक जमा करने की सुविधा मिलती है । 13 तारीख के बाद IFF को जमा नही किया जा सकता है । साथ ही हर महीने दी जाने वाली आउटवर्ड सप्लाइज की डिटेल्स 50 लाख से ज्यादा की नही होनी चाहिए । IFF में सबमिट की गई डिटेल्स गुड्स या सर्विसेज के प्राप्तकर्ता द्वारा GSTR -2A और GSTR -2B में देखी जा सकती है । इनवॉइस फर्निशिंग फैसिलिटी में दी गई आउटवर्ड सप्लाइज की डिटेल्स को दुबारा क्वार्टरली GSTR -1 में फर्निश करने की जरूरत नही रहती है । जैसे – Mr A ने Mr B और Mr C को अप्रैल में 1 लाख और 50,000 के गुड्स सेल किये । Mr A ने QRMP स्कीम अपना रखी है । Mr B द्वारा Mr A को रिक्वेस्ट की जाती है कि उनके द्वारा खरीदे गए 1 लाख के गुड्स की क्रेडिट उन्हें मई में दी जाए । इस केस में Mr A द्वारा अगर तिमाही आधार पर GSTR -1 फ़ाइल की जाती है, तो Mr B को 1 लाख की क्रेडिट मई में प्राप्त नही होगी । क्योंकि अप्रैल – जून क्वार्टर की रिटर्न जुलाई में फ़ाइल की जाएगी और Mr A द्वारा GSTR – 1 की फाइलिंग के बाद ही Mr B को इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त होगी । जबकि Mr B को इनपुट टैक्स क्रेडिट मई में ही चाहिए । इस केस में Mr A अप्रैल महीने की समाप्ति के बाद 1 मई से 13 मई तक इनवॉइस फर्निशिंग फैसिलिटी का यूज़ करके Mr B को सप्लाई किये गए 1 लाख के गुड्स की डिटेल्स दी जा सकती है । इसके बाद Mr B के GSTR 2A और GSTR 2B में इनपुट टैक्स क्रेडिट शो हो जाएगी । अप्रैल से जून की GSTR -1 फ़ाइलिंग के समय Mr A द्वारा दुबारा Mr B को सप्लाई किये गए 1 लाख के गुड्स की रिपोर्टिंग नही करनी है । GSTR -1 में IFF द्वारा रिपोर्ट किये आउटवर्ड सप्लाइज की डिटेल्स को ऑटोमैटिक ले लिया जाता है । Mr A को Mr C को सप्लाई किये गए 50,000 के गुड्स की डिटेल्स ही GSTR -1 में देनी होगी । इसी तरह मई महीने की आउटवर्ड सप्लाइज की डिटेल्स को जून महीने की 1 तारीख से 13 तारीख तक IFF के माध्यम से सबमिट किया जा सकता है । जबकि जून महीने के लिए IFF फैसिलिटी अवेलेबल नही होगी, क्योकि जुलाई में टैक्सपेयर को IFF फ़ाइल नही करके GSTR -1 फ़ाइल करनी होगी । इसलिए किसी भी क्वार्टर के पहले 2 महीने के लिए ही IFF फैसिलिटी उपलब्ध होती है । QRMP स्कीम में इनवॉइस फर्निशिंग फैसिलिटी (IFF) टैक्सपेयर के लिए अनिवार्य न होकर ऑप्शनल होती है । टैक्सपेयर द्वारा IFF के माध्यम से आउटवर्ड सप्लाइज की डिटेल्स को न देकर सीधा GSTR -1 में भी दिया जा सकता है । यह भी देखे –

Monthly Payment of Tax under QRMP Scheme 

QRMP स्कीम को अपनाने वाले टैक्सपेयर को अपनी जीएसटी रिटर्न्स को क्वार्टरली बेसिस पर और टैक्स को मंथली बेसिस पर जमा करना होता है । मंथली बेसिस पर टैक्स जमा करवाने के लिए टैक्सपेयर को  FORM GST PMT -06 चालान का यूज़ करना होता है । यह चालान अगले महीने की 25 तारीख तक जमा करवाया जा सकता है , जैसे – अप्रैल महीने का टैक्स 25 मई तक जमा करवाया जा सकता है । QRMP स्कीम को अपनाने वाले टैक्सपेयर को मंथली टैक्स पेमेंट करने के लिए 2 ऑप्शन दिए जाते है । इन दोनों ऑप्शन में से एक ऑप्शन को चूज करके हर महीने टैक्स का पेमेंट किया जा सकता है ।

फिक्स्ड सम मेथड (Fixed Sum Method)

FORM GST PMT – 06 में टैक्स जमा करवाने से पहले टैक्सपेयर को दो ऑप्शन में से एक ऑप्शन चुनना होगा । टैक्स जमा करवाने का पहला ऑप्शन फिक्स्ड सम मेथड है । इस मेथड में एक पहले से भरा हुआ चालान जनरेट होता है, जिसमे पिछले क्वार्टर में पेमेंट किये गए टैक्स का 35% टैक्स जमा करवाना होता है । अगर टैक्सपेयर ने पिछले पीरियड में मंथली रिटर्न फ़ाइल की थी, तो उसे पिछले महीने जमा किये गए टैक्स के बराबर राशि इस क्वार्टर के पहले महीने के लिए जमा करवानी होगी । फिक्स्ड सम मेथड में आपकी टैक्स लायबिलिटी कितनी बन रही है, इससे फर्क नही पड़ता है । आपको सिर्फ इस मेथड में बताई गई राशि को ही जमा करना पड़ता है  जैसे – आपने अप्रैल – जून क्वार्टर के लिए QRMP स्कीम को चूज किया । इस केस में आपको अप्रैल महीने का टैक्स मई की 25 तारीख तक PMT-06 चालान के माध्यम से जमा करना होगा । टैक्स पेमेंट के लिए अगर आप फिक्स्ड सम मेथड को चूज करते है, तो आपको मार्च महीने में जमा कराए गए टैक्स के बराबर राशि का पेमेंट अप्रैल महीने के लिए करना होगा । अगर आपने अप्रैल महीने से पहले क्वार्टरली रिटर्न फ़ाइल की थी, तो आपको जनवरी -मार्च तक जमा किये गए टैक्स का 35% PMT -06 चालान के माध्यम से जमा करवाना होगा । फिक्स्ड सम मेथड से मंथली टैक्स पेमेंट की सुविधा नही मिलेगी अगर टैक्सपेयर ने कम्पलीट टैक्स पीरियड की रिटर्न फ़ाइल नही की है ।

सेल्फ – असेसमेंट मेथड ( Self – Assessment Method )

QRMP स्कीम को अपनाने वाले टैक्सपेयर द्वारा मंथली टैक्स पेमेंट के लिए सेल्फ – असेसमेंट मेथड भी चुना जा सकता है । सेल्फ – असेसमेंट मेथड में टैक्सपेयर को आउटवर्ड और इनवर्ड सप्लाइज पर टैक्स लायबिलिटी निकालनी होगी । इसके बाद GSTR-2B में उपलब्ध इनपुट टैक्स क्रेडिट को क्लेम करते हुए बकाया टैक्स लायबिलिटी को PMT -06 के माध्यम से जमा करवाना होगा ।

मंथली पेमेंट करने से जुड़े इम्पोर्टेन्ट रूल्स 

  • QRMP स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन मंथली टैक्स पेमेंट करने के दोनों तरीके फिक्स्ड सम और सेल्फ असेसमेंट में से किसी भी एक तरीके को चुनने के लिए स्वतंत्र है ।
  • टैक्सपेयर के केश लेजर या क्रेडिट लेजर में उपलब्ध राशि पहले महीने की टैक्स लायबिलिटी को जमा करने के लिए पर्याप्त है, तो टैक्सपेयर को कुछ भी जमा नही करवाना होगा । इसी तरह दूसरे महीने में भी कैश लेजर या क्रेडिट लेजर की राशि टैक्स लायबिलिटी के लिए पर्याप्त है, तो टैक्सपेयर को कुछ भी टैक्स जमा नही करवाना होगा । ध्यान रखे इस केस में इलेक्ट्रॉनिक कैश या क्रेडिट लेजर की राशि को किसी अन्य काम मे यूज़ नही किया जा सकेगा ।
  • टैक्सपेयर के इलेक्ट्रानिक्स क्रेडिट या कैश लेजर में उपलब्ध राशि का क्लेम GSTR – 3B में रिटर्न फ़ाइल करने के बाद ही किया जा सकेगा ।

GSTR – 3B की क्वार्टरली फ़ाइलिंग। quarterly filing of gstr 3b 

QRMP स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन को हर क्वार्टर (तीन महीने ) में GSTR – 3B फ़ाइल करनी होगी । इसमे टैक्सपेयर को सप्लाइज और इनपुट टैक्स क्रेडिट और अन्य इनफार्मेशन देनी होगी । टैक्सपेयर द्वारा पहले 2 महीनों में जमा किये गए टैक्स की GSTR -3B में बन रही लाइबिलिटी को ऑफसेट किया जाएगा । इसके बाद अगर कोई टैक्स लायबिलिटी बकाया रहती है, तो इसे जमा करवाना होगा । अगर GSTR – 3B की लायबिलिटी कम बन रही है, तो ज्यादा जमा किये गए टैक्स को टैक्सपेयर द्वारा रिफंड लिया जा सकता है या इसे आगे के क्वार्टर में यूज़ के लिए रखा जा सकता है । टैक्सपेयर द्वारा जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैंसिल करवाने के केस में संबंधित पीरियड की GSTR -3B फ़ाइल करनी जरूरी होगा । यह भी देखे –

Applicability of Interest under QRMP Scheme 

QRMP स्कीम में टैक्सपेयर पर कम टैक्स या टैक्स जमा नही करवाने पर ब्याज चार्ज किया जाता है । ब्याज की राशि इस बाद पर डिपेंड करती है, कि आपने कौनसे मेथड से टैक्स जमा करवाया है ।

ब्याज से जुड़े इम्पोर्टेन्ट रूल्स

  • टैक्सपेयर द्वारा क्वार्टर के पहले 2 महीनों में फिक्स्ड सम मेथड के आधार पर टैक्स जमा करवाया जाता है, तो टैक्सपेयर को कुछ भी ब्याज जमा नही करवाना होगा । यानी कि अगर GSTR – 3B में टैक्सपेयर की पहले 2 महीनों के लिए ज्यादा टैक्स लायबिलिटी बन रही है और टैक्सपेयर ने फिक्स्ड सम मेथड से टैक्स जमा किया है, तो इस केस में ब्याज चार्ज नही किया जाएगा ।
  • अगर टैक्सपेयर द्वारा चालान PMT – 06 में टैक्स का पेमेंट इसकी Due Date के बाद में किया जाता है, तो due date से पेमेंट करने की तारीख तक ब्याज लगाया जाएगा ।
  • GSTR – 3B को Due date के बाद जमा किया जाता है, तो नेट टैक्स लायबिलिटी पर ब्याज चार्ज किया जाएगा ।
  • टैक्सपेयर द्वारा सेल्फ – असेसमेंट मेथड से टैक्स जमा किया जाता है और GSTR – 3B में पहले 2 महीनों की टैक्स लायबिलिटी ज्यादा आती है, तो PMT -06 में टैक्स जमा करवाने की Due date से टैक्स जमा करवाने की डेट तक ब्याज चार्ज किया जाएगा ।
  • बकाया ब्याज का पेमेंट GSTR -3B के माध्यम से किया जाएगा ।
  • टैक्स को देरी से जमा करवाने पर ब्याज ही चार्ज किया जाता है, किसी तरह की कोई लेट फीस नही चार्ज की जाती है ।
QRMP Scheme under gst for small taxpayers  के लिए सरकार द्वारा जारी की गयी गाइडलाइन्स डाउनलोड करे – पीडीएफ  अगर आपको आर्टिकल अच्छा लगे तो इसे शेयर जरूर करे। यह भी देखे –

debit note and credit note in hindi | डेबिट नोट और क्रेडिट नोट क्या होते है और इनको कब जारी किया जाता है ?

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debit note and credit note in hindi – जब भी हम किसी गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई करते है, तो अपने कस्टमर्स को एक इनवॉइस भी जारी करते है । इन इनवॉइस में हमने जो भी गुड्स या सर्विसेज कस्टमर को दी है उसकी जानकारी होती है, साथ ही उन गुड्स या सर्विसेज की टैक्सेबल वैल्यू, टैक्स रेट , quantity आदि की डिटेल्स भी इनवॉइस में देनी होती है । इनवॉइस को कस्टमर को देने के बाद हम इन बिलो की डिटेल्स को जीएसटी पोर्टल पर अपनी जीएसटी रिटर्न में अपलोड करते है और इन बिलों में बताए गए जीएसटी अमाउंट का पेमेंट करते है ।