कम्पोजीशन स्कीम क्या है और किसके द्वारा यह अपनायी जा सकती है – gst composition scheme in hindi

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gst composition scheme in hindi – किसी भी देश के विकास के लिए सबसे जरुरी है, कि वहां की सरकार द्धारा ऐसे टैक्स रूल्स बनाये जाये, जो कि व्यापारियों और आम आदमी की समझ में आसानी से आ सके।

भारत में 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू किया गया था। जीएसटी एक तरह का इनडायरेक्ट टैक्स है, जो कि गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई पर लगाया जाता है। जीएसटी लागू होने के बाद से ही जीएसटी में काफी बदलाव किये जाते रहे है।

भारत में छोटे व्यापारियों को जीएसटी लागू होने से अनावश्यक परेशानी न हो इसको ध्यान में रखते हुए सरकार द्धारा जीएसटी में कम्पोजीशन स्कीम का कॉन्सेप्ट भी लाया गया।

casual taxable person | कैजुअल टैक्सेबल पर्सन क्या होता है, जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्यता और अन्य रूल्स

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Casual taxable person से मतलब ऐसे पर्सन से है जो कि किसी ऐसे राज्य में कभी – कभार कोई गुड्स या सर्विसेज सप्लाई करता है, जहाँ उसके बिज़नेस का कोई फिक्स्ड प्लेस नही है । जैसे – किसी प्रदर्शनी या मेलों में अस्थायी बिज़नेस , सीजनल बिज़नेस आदि । 

कैजुअल टैक्सेबल पर्सन द्वारा गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई अपने बिज़नेस के संबंध में या बिज़नेस को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से होनी चाहिए । ऐसी सप्लाई प्रिंसिपल, एजेंट या किसी अन्य कैपेसिटी में हो सकती है ।

what is tcs under gst in hindi

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what is tcs under gst in hindi – टैक्स कलेक्शन एट सोर्स को शार्ट में टीसीएस के नाम से जाना जाता है । टीसीएस टैक्स कलेक्शन का एक माध्यम है जिसमे सरकार द्वारा समय – समय पर लोगों से टैक्स कलेक्ट किया जाता है । 

इनकम टैक्स और जीएसटी दोनों में टैक्स कलेक्शन एट सोर्स के प्रावधान लागू होते है, लेकिन इन दोनो कानूनों में इसके रूल्स अलग – अलग है ।

FAQs on composition scheme in gst

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FAQs on composition scheme in gstजीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाने वाले टैक्सपेयर को जीएसटी की कंप्लायंस और अलग – अलग जीएसटी की रेट्स से जीएसटी चार्ज करने की मुसीबत से छुटकारा दिलवाने के लिए सरकार द्वारा जीएसटी में कम्पोजीशन स्कीम का कांसेप्ट लाया गया ।
कम्पोजीशन स्कीम में टैक्सपेयर्स को न तो अलग – अलग रेट से जीएसटी चार्ज करना होता है और न ही हर महीने जीएसटी रिटर्न्स को फ़ाइल करने की जरूरत होती है ।
कुल मिलाकर जीएसटी में कम्पोजीशन स्कीम कम टर्नओवर वाले टैक्सपेयर्स के लिए बनाई गई स्कीम है, जिसमे टैक्सपेयर को काफी कम जीएसटी कंप्लायंस का सामना करना पड़ता है ।

इन ट्रांजेक्शन को बिना प्रतिफल के करने पर भी जीएसटी चार्ज किया जायेगा – supply without consideration under gst

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supply without consideration under gst – अगर कोई पर्सन गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई करता है, तो उस पर्सन से जीएसटी चार्ज किया जायेगा, यदि वह जीएसटी में रजिस्टर्ड है। यानि, जीएसटी लगाया जायेगा या नहीं यह डिपेंड करता है कि किसी पर्सन द्धारा गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई की गयी है या नहीं।

अगर किसी ट्रांजेक्शन को जीएसटी लॉ में सप्लाई नहीं माना जाता तो उस ट्रांजेक्शन पर GST नहीं लगाया जा सकता, इसलिए जीएसटी लॉ के अनुसार सप्लाई क्या होती है, इसके बारे में जानना बहुत जरुरी है।

जीएसटी में टर्नओवर के आधार पर रजिस्ट्रेशन से जुड़े इम्पोर्टेन्ट रूल्स – gst registration turnover limit

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gst registration turnover limit – भारत में जीएसटी 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया था, इसके बाद अधिकतर Indirect taxes को हटा दिया गया था। इसके बाद जो भी पर्सन गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई करते थे, उन्हें जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना होता था।

किसी भी पर्सन के लिए GST में रजिस्ट्रेशन करवाना 3 केस में अनिवार्य होता है –