gst invoice -जीएसटी सिस्टम में जब भी आप किसी गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई करते है, तो आपके द्वारा कस्टमर को बिल (invoice ) जारी किया जाता है। इस बिल में उन गुड्स और सर्विसेज की डिटेल्स रहती है जिनको आपने सप्लाई किया है।
इसके अलावा इन invoices में आपको अपने जीएसटी नंबर, बिल के नंबर और डेट, कस्टमर की डिटेल्स, टैक्स अमाउंट, टैक्स रेट, HSN कोड आदि बातों की डिटेल्स देनी होती है।
जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन को अपने बिज़नेस के अनुसार गुड्स और सर्विसेज के लिए इनवॉइस जारी करने होते है।
आज के हमारे आर्टिकल (gst invoice) में हम जीएसटी एक्ट में बताये गए अलग -अलग invoices के बारे में चर्चा करेंगे।
Table of Contents
tax invoice – what is tax invoice
टैक्स इनवॉइस CGST एक्ट के सेक्शन 31 में issue किया जाता है।
टैक्स इनवॉइस गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई किये जाने पर सप्लायर द्वारा कस्टमर को जारी किया जाता है। जीएसटी एक्ट में tax invoice का कोई फॉर्मेट नहीं बताया गया है। इसे आप अपनी मर्ज़ी से डिज़ाइन कर सकते है।
लेकिन, टैक्स इनवॉइस में वे सभी विवरण होने चाहिए, जो कि आवश्यक होते है। tax invoice को इलेक्ट्रोनिकली या मैन्युअल दोनों तरीके से जारी किया जा सकता है।
बिना tax invoice के प्राप्तकर्ता इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम नहीं कर सकता।
tax invoice को जारी करने की समय -सीमा
टैक्स इनवॉइस को जारी करने की समय -सीमा डिपेंड करती है कि गुड्स की सप्लाई की जा रही है या सर्विसेज की।
अगर किसी भी तरह के गुड्स की सप्लाई की जा रही है तो टैक्स इनवॉइस goods की मूवमेंट या डिलीवरी के पहले जारी किये जायेंगे।
लेकिन, यदि सर्विसेज की सप्लाई की जा रही है, तो सर्विसेज की सप्लाई करने के 30 दिनों के भीतर tax invoice जारी किया जाना अनिवार्य है।
किसी भी insurer, बैंकिंग कंपनी , NBFC के द्वारा कोई सर्विस दी जा रही है तो tax invoice को जारी करने की सीमा 30 दिनों की जगह 45 दिन होगी।
consolidated tax invoice – gst invoice
जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन कुछ केसेज में टैक्स इनवॉइस जारी नहीं करके consolidated tax invoice जारी कर सकता है।
कंसोलिडेटेड टैक्स इनवॉइस जारी करने के लिए शर्ते –
- गुड्स या सर्विसेज का प्राप्तकर्ता जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं होना चाहिए,
- goods या services या दोनों की वैल्यू Rs 200 से अधिक की नहीं होनी हो, और
- प्राप्तकर्ता टैक्स इनवॉइस डिमांड नहीं कर रहा हो।
इन केसेज में रजिस्टर्ड पर्सन टैक्स इनवॉइस की जगह कंसोलिडेटेड टैक्स इनवॉइस जारी कर सकता है। यह उन जगह ज्यादा यूज़ किया जाता है जहाँ डेली ट्रांजैक्शन काफी ज्यादा होते है, जैसे – रिटेलर।
revised tax invoice –
जब भी कोई पर्सन जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए liable हो जाता है, तो रजिस्ट्रेशन के लिए liable होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना होता है।
आवेदन करने के बाद जब जीएसटी नंबर जारी किया जाता है तो वह उस date से प्रभावी होगा जब वह पर्सन जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए liable हुआ था।
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए liable की डेट और जीएसटी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने की डेट के बीच में जितने भी इनवॉइस जारी किये गए थे उनके स्थान पर अब “revised tax invoice ” जारी किये जायेंगे।
जैसे –
किसी पर्सन ने 1 अप्रैल को अपना बिज़नेस शुरू किया और उसने जीएसटी में अपना रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया, क्योकि उसका टर्नओवर threshold लिमिट से ज्यादा का नहीं था।
लेकिन, 3 सितम्बर को उसका टर्नओवर threshold limit से अधिक का हो जाता है। उसको 3 सितम्बर से 30 दिनों के भीतर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना जरुरी है।
अगर वह 29 सितम्बर को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करता है और 5 अक्टूबर को उसे रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त होता है , तो जीएसटी में रजिस्ट्रेशन की प्रभावी तिथि 3 सितम्बर होगी न कि 5 अक्टूबर।
उस पर्सन को 3 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच जारी किये गए सभी invoices के बदले “revised tax invoice ” जारी करने होंगे।
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने की तिथि से 30 दिनों के भीतर रिवाइज्ड टैक्स इनवॉइस जारी करने होंगे।
consolidated revised tax invoice
एक रजिस्टर्ड पर्सन unregistered पर्सन को अलग -अलग रिवाइज्ड टैक्स इनवॉइस जारी करने के स्थान पर कंसोलिडेटेड रिवाइज्ड टैक्स इनवॉइस जारी कर सकता है।
लेकिन, inter state supply के केस में सप्लाई की वैल्यू 2.5 लाख से अधिक है, तो consolidated revised tax invoice जारी नहीं किया जा सकता।
bill of supply –
जीएसटी की रेगुलर स्कीम में रजिस्टर्ड होने वाला पर्सन गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई पर टैक्स इनवॉइस जारी करता है।
लेकिन, ऐसे कुछ ऐसे भी पर्सन है जिनको गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई पर tax invoice जारी करने की मनाही है, ऐसे पर्सन है –
- कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड पर्सन
- exempted goods या सर्विसेज की सप्लाई करने वाले पर्सन,
- ऐसे पर्सन जो कि concessional rate से टैक्स का पेमेंट कर रहा हो।
इन पर्सन के द्वारा टैक्स इनवॉइस की जगह “bill of supply ” जारी किया जायेगा। इसके अलावा ये पर्सन बिल ऑफ़ सप्लाई में अपने कस्टमर्स से टैक्स की राशि भी चार्ज नहीं कर सकते।
कम्पोजीशन में रजिस्टर्ड पर्सन द्वारा जारी किये गए बिल ऑफ़ सप्लाई में साफ़ तौर पर “composition taxable person not eligible to collect tax on supplies” मेंशन करना होगा।
receipt voucher – gst invoice
जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन को कई बार गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई करने से पहले कुछ राशि एडवांस में प्राप्त होती है। एडवांस राशि प्राप्त होने पर सप्लायर द्वारा गुड्स या सर्विसेज के प्राप्तकर्ता को “receipt voucher ” जारी करना होगा।
इस receipt voucher में एडवांस प्राप्त राशि पर टैक्स चार्ज किया जायेगा और यदि टैक्स की रेट उस समय पता नहीं है तो 18 % की रेट से टैक्स चार्ज किया जायेगा।
इसके अलावा सप्लाई के नेचर को उस समय determine नहीं किया जा सकता तो इसे ” inter state supply ” माना जायेगा।
refund voucher –
जब जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन द्वारा गुड्स या सर्विसेज के लिए एडवांस प्राप्त किया जाता है, लेकिन किसी कारण से सप्लाई नहीं की जाती है,
तो इस केस में प्राप्त एडवांस वापस करना होता है। जब प्राप्त एडवांस वापस किया जाता है तो सप्लायर द्वारा “रिफंड वाउचर ” जारी किया जायेगा।
payment voucher –
पेमेंट वाउचर रिवर्स चार्ज के केस में जारी किया जाता है।
रिवर्स चार्ज के केस में सप्लायर द्वारा प्राप्तकर्ता को टैक्स इनवॉइस जारी न करके “payment voucher ” जारी किया जाता है।
delivery challan – gst invoice
जीएसटी में कुछ केसेज ऐसे होते है जहाँ गुड्स के removal के समय इनवॉइस जारी नहीं किया जाता बल्कि उस समय “डिलीवरी चालान” जारी किया जाता है। गुड्स की डिलीवरी के बाद इनवॉइस issue किया जाता है।
डिलीवरी चालान जारी किये जाने के केसेज –
- liquid gas की सप्लाई के केस में – जब liquid गैस की quantity का सप्लायर के बिज़नेस place से removal के सम्बन्ध में पता नहीं था।
- जॉब वर्क के लिए गुड्स भेजते समय,
- जब गुड्स सप्लाई के अलावा किसी अन्य कारण से ट्रांसफर किये जा रहे हो,
- बोर्ड के द्वारा नोटिफाई की गयी अन्य सप्लाइज।
डिलीवरी चालान को 3 copies में तैयार किया जायेगा।
ओरिजिनल कॉपी consignee के पास, डुप्लीकेट कॉपी ट्रांसपोर्टर को और triplicate कॉपी consignor को दी जायेगी।
जब इनवॉइस के बजाय “delivery challan ” जारी किया जाता है ,तो इसकी डिटेल ई वे बिल में भी दी जाती है।
इस आर्टिकल में सभी तरह के gst invoice के बारे में बताया गया है जो कि जीएसटी सिस्टम में अलग -अलग समय पर जारी किये जाते है।
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