सैलरी इनकम पर टैक्स की कैलकुलेशन से जुड़े बेसिक कांसेप्ट – income tax on salary

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income tax on salary

income tax on salary – इनकम टैक्स रिटर्न में किसी भी इनकम को रिपोर्ट करने के लिए 5 हेड होते है, जिसमे से एक हेड “Income from salary ” होता है।

इस हेड में सैलरी और पेंशन दोनों को शामिल किया जाता है, साथ ही जो भी allowances या perquisites जो कि एम्प्लोयी को एम्प्लायर से प्राप्त होती है, को भी शामिल किया जाता है।

इसके बाद gross salary में से सेक्शन 16 की डिडक्शन दी जाती है, जैसे – स्टैण्डर्ड डिडक्शन, एंटरटेनमेंट अलाउंस, प्रोफेशनल टैक्स आदि।

और अंत में जो ” Net Salary ” निकल कर आती है, उस पर इंडिविजुअल पर लागू होने वाली स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है।

आज के आर्टिकल (income tax on salary) में हम salary tax से जुड़े बेसिक कांसेप्ट और अन्य प्रावधानों के बारे में चर्चा करेंगे।

Employer – employee relationship 

किसी भी इनकम को सैलरी हेड में शामिल किया जाता है, जब सैलरी प्राप्तकर्ता और सैलरी प्रदाता दोनों में Employer – employee का रिलेशनशिप हो।

अगर दोनों में Employer -employee का रिलेशन नहीं होता , तो प्राप्त होने वाली इनकम को Salary head की इनकम नहीं माना जायेगा, जैसे – कंपनी द्धारा अपने डायरेक्टर को दी जाने वाली सैलरी या फर्म द्धारा पार्टनर्स को दी जाने वाली सैलरी। क्योकि इन दोनों ही केस में employer – employee का रिलेशन नहीं है।

चाहे फर्म के पार्टनर को दी जाने वाली सैलरी को “books of accounts” में सैलरी, बोनस, कमीशन या अन्य किसी भी नाम से दिखाया गया हो , यह सैलरी हेड में टैक्सेबल नहीं होगी।

full time or part time (income tax on salary)

अगर Employer – employee का रिलेशन स्थापित हो जाता है, तो एम्प्लायर से प्राप्त होने वाली राशि को Salary head में रिपोर्ट किया जायेगा।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि एम्प्लोयी पार्ट टाइम सैलरी प्राप्त कर रहा है या फुल टाइम।

अगर एम्प्लोयी एक से ज्यादा एम्प्लायर से भी सैलरी प्राप्त कर रहा है, तो इन सभी इनकम को सैलरी हेड में रिपोर्ट किया जायेगा।

Foregoing of salary – 

सैलरी due या accrual, जो भी पहले हो, बेस पर टैक्सेबल होती है। अगर किसी एम्प्लोयी को एक बार सैलरी due हो जाती है, तो यह टैक्सेबल होगी चाहे एम्प्लोयी ने सैलरी प्राप्त करने का अधिकार त्याग दिया हो।

जैसे – एम्प्लोयी ने अप्रैल महीने की सैलरी एम्प्लायर से नहीं ली और एम्प्लायर को उस सैलरी को किसी चैरिटेबल इंस्टीटूशन को दान में देने के लिए कह दिया। इस केस में सैलरी की इनकम एम्प्लोयी के हाथों में नहीं आयी बल्कि एम्प्लायर द्धारा सीधे ही डोनेट कर दी गयी है,

फिर भी यह सैलरी एम्प्लोयी के हाथों में टैक्सेबल होगी, क्योकि इनकम टैक्स एक्ट के हिसाब से इस तरह दान में दी गयी सैलरी भी सैलरी का यूज़ (application ) करना ही है। हालाँकि इस तरह डोनेट की गयी सैलरी की सेक्शन 80G में छूट क्लेम की जा सकती है।

Surrender of salary – 

अगर कोई एम्प्लोयी The voluntary surrender of salaries (Exemption of taxation ) Act, 1961 के सेक्शन 2 के अनुसार सेंट्रल गवर्नमेंट को सैलरी सरेंडर करता है, तो यह सैलरी का अमाउंट gross salary में शामिल नहीं किया जाता और टैक्स से exempt होता है।

जैसे – Covid -19 के कारण सरकार द्धारा सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के एम्प्लोयी की सैलरी में कटौती की गयी है, तो यह ” surrender of salary ” का example माना जायेगा और सैलरी टैक्सेबल नहीं होगी।

tax free salary – income tax on salary

कई बार एम्प्लोयी को एम्प्लायर द्धारा टैक्स फ्री सैलरी का पेमेंट किया जाता है, ऐसी सैलरी पर टैक्स का पेमेंट एम्प्लायर द्धारा किया जाता है।

हालाँकि, एम्प्लायर से प्राप्त टैक्स फ्री सैलरी को भी एम्प्लोयी की ग्रॉस सैलरी में शामिल किया जाता है, लेकिन एम्प्लायर से प्राप्त Non – monetary perquisites , जिन पर टैक्स का पेमेंट एम्प्लायर द्धारा किया जाता है एम्प्लोयी के हाथों में सेक्शन 10(10CC ) में टैक्स फ्री होती है।

Place of accrual of salary – 

किसी भी इंडिविजुअल के लिए सैलरी टैक्सेबल होगी, अगर वह भारत में कमाई जाती है। अगर कोई सैलरी भारत में दी गयी सेवाओं के बदले दी जाती है और इस सैलरी का पेमेंट किसी नॉन रेजिडेंट को भारत के बाहर भी किया जाता है, तो भी यह टैक्सेबल होगी।

भारत के निवासी व्यक्ति द्धारा अगर वर्ल्ड में कहीं से भी कोई इनकम कमाई जाती है, तो उसे भारत में इस इनकम पर टैक्स देना होगा। लेकिन, किसी भारत में अनिवासी व्यक्ति की कोई इनकम तभी टैक्सेबल होगी , जब वह भारत में किसी स्रोत से कमाई गयी हो।

जैसे – कोई भारत का अनिवासी भारत में जॉब करता है और उस सैलरी का पेमेंट जब उसे तब किया जाता है, जब वह भारत से बाहर होता है, तो इस तरह की सैलरी इनकम पर उसे भारत में टैक्स देना होगा, क्योकि यह सैलरी उसे भारत में किये गए काम के लिए दी गयी है।

या, यदि कोई अनिवासी भारत में काम करता है और बाद में उसे इसी काम के लिए पेंशन भारत के बाहर दी जाती है, तो यह पेंशन भी भारत में टैक्सेबल होगी।

Advance Salary – 

अगर किसी इंडिविजुअल को कोई सैलरी एडवांस में प्राप्त होती है, तो यह उस वर्ष में टैक्सेबल होगी जब यह प्राप्त होती है। न कि उस वर्ष में जब एडवांस सैलरी due होगी।

जैसे – किसी एम्प्लोयी द्धारा अप्रैल 2020 और मई 2020 की सैलरी मार्च महीने में एडवांस ली जाती है, तो अप्रैल और मई की सैलरी फाइनेंसियल ईयर 2019-20 में टैक्सेबल होगी, न कि फाइनेंसियल ईयर 2020-21 में जब यह due होगी।

हालाँकि, अगर फाइनेंसियल ईयर 2019-20 की टैक्स रेट फाइनेंसियल ईयर 2020-21 की टैक्स रेट से अधिक है, तो सेक्शन 89 में रिलीफ क्लेम की जा सकती है।

Arrears of Salary – income tax on salary

नॉर्मली, सैलरी इनकम Due बेस पर टैक्सेबल होती है, लेकिन arrears of salary के केस में यह प्राप्ति के केस में टैक्सेबल होती है।

arrears of salary सरकार के आदेश के अनुसार एम्प्लोयी को भुगतान किया जाता है, जैसे – एम्प्लोयी को सातवे वेतन आयोग की ऍप्लिकेबिलिटी के बाद पहले के वर्षों की सैलरी का arrear बाद में प्राप्त हुआ , इस केस में यह arrears of salary उस वर्ष में टैक्सेबल होगा, जब यह प्राप्त हुआ था।

हालाँकि, सेक्शन 89 में इस पर देय टैक्स की रिलीफ ली जा सकती है।

 

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