Life insurance policy maturity tax in hindi– वर्तमान में लोग अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपने जीवन पर Life Insurance Policies (LIP) करवाते है, ताकि भविष्य में उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। Life Insurance Policies के कई फायदों के साथ हमें इन पॉलिसीज के प्रीमियम के भुगतान पर टैक्स बेनिफिट भी प्राप्त होते है, जिनके बारे में हम आज जानेंगे।
आज के आर्टिकल में हम Life Insurance Policies के सम्बन्ध में मिलने वाली टैक्स डिडक्शन, इन पॉलिसीज के maturity पर प्राप्त राशि के tax treatment और टीडीएस के provisions के बारे में जानेंगे।
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टैक्स डिडक्शन Under Section 80 C
Life Insurance Policies का सबसे ज्यादा फायदा ये होता है कि इन पॉलिसीज के सम्बन्ध में भुगतान किये गए प्रीमियम का हमें सेक्शन 80 c में टैक्स डिडक्शन प्राप्त होती है।
LIP के भुगतान किये गए प्रीमियम की डिडक्शन सिर्फ इंडिविजुअल और Hindu undivided family (HUF) को ही प्राप्त होती है। एक इंडिविजुअल (व्यक्ति )अपनी, अपने जीवनसाथी और अपने बच्चो के जीवन पर ली गयी Life Insurance Policies पर भुगतान किये गए प्रीमियम की डिडक्शन प्राप्त कर सकता है। बच्चो के जीवन पर ली गयी LIP की डिडक्शन हमेशा प्राप्त होगी चाहे बच्चे Dependent/Independent, male/Female, Minor/Major या married/unmarried हो। यानि की विवाहित पुत्री के जीवन पर ली गयी LIP की भी हमें छूट प्राप्त होगी।
लेकिन अपने माता – पिता, या भाई- बहनो के जीवन पर ली गयी पॉलिसी की छूट प्राप्त नहीं होगी।
एक Hindu undivided family (HUF) के केस में किसी भी फैमिली मेंबर की लाइफ पर ली गयी पोलिसी के भुगतान किये गए प्रीमियम की छूट प्राप्त होगी।
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क्या Life Insurance Policies की maturity पर प्राप्त राशि टैक्स फ्री होती है ?
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार Life Insurance Policies की maturity पर प्राप्त राशि सेक्शन 10(10D) में करमुक्त होती है। इसके अलावा अगर इन पॉलिसीज की maturity पर कोई बोनस प्राप्त होता है तो वह भी टैक्स फ्री होता है।
लेकिन कुछ Cases ऐसे होते है जब LIP की maturity पर प्राप्त राशि टैक्स फ्री नहीं होती है और इन पर सेक्शन 194 DA के टीडीएस के प्रावधान लागू होते है।
cases जहाँ Life Insurance Policies की maturity पर प्राप्त राशि टैक्सेबल होती है –
- जब LIP किसी keyman person के जीवन पर ली गयी है, तो इस केस में LIP की maturity पर प्राप्त राशि करयोग्य होती है। या
- यदि पेमेंट सेक्शन 80DD(3) या 80DDA(3) के तहत प्राप्त हो रहा हो। या
- यदि कोई लाइफ इन्शुरन्स पॉलिसी 1 अप्रैल 2003 से 31 मार्च 2012 के बीच में जारी की गयी थी और उस पॉलिसी पर किसी भी वर्ष में Actual sum assured के 20% से अधिक प्रीमियम की राशि का भुगतान किया जाता है, तो उस LIP के maturity पर प्राप्त राशि टैक्सेबल होती है।
- 1 अप्रैल 2012 को या इसके बाद जारी की गयी LIP पर यदि प्रीमियम की राशि 10% से ज्यादा है तो पॉलिसी की maturity पर प्राप्त राशि टैक्सेबल होगी।
नोट : यदि पॉलिसी 1 अप्रैल 2013 के बाद जारी की गयी है और यह किसी ऐसे पर्सन की लाइफ पर ली गयी है जो की सेक्शन 80 U में Disability या सेक्शन 80 DDB में में बताई गयी बीमारी से पीड़ित है तो उस केस में 10% की जगह 15% तक का प्रीमियम का भुगतान किया जा सकता है।
इसके अलावा यदि Insured पर्सन की डेथ हो जाती है तो उसकी मृत्यु पर प्राप्त maturity की राशि टैक्स फ्री होती है, चाहे भुगतान किये गए प्रीमियम की राशि निर्दिष्ट % से ज्यादा हो।
क्या Life Insurance Policies की maturity के भुगतान के समय टीडीएस काटा जा सकता है ? (सेक्शन 194 DA)
यदि सेक्शन 10(10D) की कंडीशन पूरी हो रही है( जो कि ऊपर बताई गयी है ), तो सेक्शन 194 DA में टीडीएस नहीं काटा जायेगा और प्राप्त राशि टैक्स फ्री होगी। लेकिन, अगर सेक्शन 10(10D) की कंडीशन पूरी नहीं हो रही है तो प्राप्त राशि टैक्सेबल होगी और सेक्शन 194 DA में टीडीएस काटा जायेगा।
सेक्शन 194 DA 1 अक्टूबर 2014 से लागू किया गया था। सेक्शन 194 DA के अनुसार यदि किसी भी भारत के निवासी को LIP की maturity का पेमेंट किया जा रहा है तो ऐसे भुगतान के समय उस पर 1% ( 2% यदि भुगतान 1-10-2014 से 31-5-16 को किया गया है) की रेट से टीडीएस काटा जायेगा।
इसके अलावा टीडीएस काटने के लिए यह जरुरी है कि भुगतान की गयी maturity की राशि 1 लाख से ज्यादा हो। अगर 1 लाख से कम राशि का भुगतान किया जाता है तो टीडीएस के प्रावधान लागू नहीं होंगे।
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यदि maturity की राशि पर टीडीएस काटा गया है तो tax treatment क्या होगा ?
LIP की maturity पर प्राप्त राशि पर यदि टीडीएस काटा गया है, तो इसे आपको अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में Income from other source में दिखाना होगा। प्राप्त राशि आपकी Total Income का भाग समझी जाएगी और इस पर आपके लागू होने वाली slab rate के हिसाब से टैक्स लगाया जायेगा।
यदि आप का टैक्स नहीं बन रहा या कम टैक्स बन रहा है तो आप इनकम टैक्स रिटर्न में रिफंड क्लेम कर सकते है।
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धन्यवाद !
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