Presumptive Taxation Scheme – इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार यदि आप कोई बिज़नेस या प्रोफेशन करते है तो आपको इसके सम्बन्ध में बुक्स ऑफ़ अकाउंट्स भी रखनी जरुरी होती है। लेकिन कुछ बिज़नेसमैन जो कि छोटे स्तर पर बिज़नेस करते है उनके लिए अपने बिज़नेस के सम्बन्ध में बुक्स ऑफ़ अकाउंट्स रखना एक परेशानी का काम हो सकता है और इससे उनके खर्चे अनावश्यक रूप से बढ़ भी सकते है।
इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए इनकम टैक्स एक्ट में छोटे बिजनेसमैन को एक स्कीम को अपनाने की सुविधा दी गयी, जिसे Presumptive Taxation Scheme के नाम से जाना जाता है। यह टैक्सेशन स्कीम एक सिंपल टैक्स स्कीम है, जो कि स्पेशल रूप से छोटे और मीडियम बिजनेसमैन और प्रोफेशनल के लिए बनायीं गयी है।
Presumptive scheme में अलग -अलग करदाता को उसके बिज़नेस या प्रोफेशन के आधार पर अलग -अलग किया गया है। इन अलग – अलग बिज़नेस या प्रोफेशन के टैक्स रूल्स और अन्य शर्तों को अलग-अलग इनकम टैक्स सेक्शन में कवर किया गया है, जैसे कि – सेक्शन 44AD, सेक्शन 44ADA और सेक्शन 44AE .
इस टैक्स स्कीम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें आपको Books of Accounts रखने की आवश्यकता नहीं रहती है और आप अपने खातों को ऑडिट करवाने की समस्या से भी बच सकते है।
आज के आर्टिकल (Presumptive Taxation Scheme) में हम इन सभी स्कीम से जुडी शर्ते और टैक्स रूल्स के बारे में जानेंगे। साथ ही इनको अपनाने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, के बारे में भी चर्चा करेंगे।
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Presumptive Taxation Scheme of income tax act
यह एक सिंपल टैक्स स्कीम है, जिसमे आपको अपने बिज़नेस के Gross Receipts या Turnover के एक निश्चित प्रतिशत (% ) को अपनी इनकम मानना होता है और इसी इनकम पर आपको टैक्स देना होता है।
इन टैक्सेशन स्कीम में एक मिनिमम लिमिट होती है, उससे कम आप अपना प्रॉफिट डिक्लेअर नहीं कर सकते है। अगर आपका प्रॉफिट इन मिनिमम लिमिट से ज्यादा होता है, तो आप ज्यादा प्रॉफिट को इनकम टैक्स रिटर्न में अपनी इनकम डिक्लेअर कर सकते है और उस पर टैक्स दे सकते है।
कहने का मतलब यह है कि presumptive टैक्सेशन स्कीम को अपनाने पर आप इन स्कीम में निर्धारित मिनिमम लिमिट से कम अपनी इनकम रिपोर्ट नहीं कर सकते है। मिनिमम लिमिट से ज्यादा इनकम रिपोर्ट करने पर कोई पाबन्दी नहीं है।
अगर किसी केस में आप इन स्कीम में बताई गयी मिनियम लिमिट से कम इनकम रिपोर्ट करते है, तो इस केस में आपको इनकम टैक्स के प्रावधानों के अनुसार टैक्स ऑडिट करवानी होगी। इसलिए बेहतर यह होगा कि आप मिनियम लिमिट से कम इनकम रिपोर्ट नहीं करे।
Presumptive taxation scheme को अपनाने से पहले क्या ध्यान रखे ?
इन टैक्सेशन स्कीम को अपनाने पर आपको बुक्स ऑफ़ अकाउंट्स नहीं रखने होंगे और टर्नओवर के एक फिक्स परसेंटेज पर ही टैक्स देना होगा, लेकिन इन स्कीम को अपनाने से पहले इनसे बाहर निकलने के रूल्स को जरूर जान ले।
क्योकि यहाँ आना आसान है, लेकिन जाना मुश्किल है।
यदि आप एक बार Presumptive Taxation Scheme को अपना लेते है तो आपको अगले 5 वर्ष तक इन्ही स्कीम को अपनाना होगा। अगर आप इन 5 वर्षो में से किसी भी वर्ष में इस स्कीम को नहीं अपनाते है, तो यह स्कीम आपको अगले 5 वर्षो तक उपलब्ध नहीं होगी।
उदाहरण के लिए – आपने असेसमेंट ईयर( A.Y.) 2021 -22 के लिए Presumptive Basis पर Income Tax का भुगतान किया तो अगले 5 वर्षो तक आपको इसी आधार ( Presumptive Basis ) पर टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा। आगे आपने A .Y . 2022 -23 में इसी स्कीम के आधार पर टैक्स का भुगतान किया लेकिन A .Y . 2023 -24 में इस स्कीम को फॉलो नहीं किया,
तो ऐसे केस में आप A.Y. 2024 -25 से A.Y. 2028 -29 तक Presumptive Taxation Scheme वापस से नहीं अपना सकते और इन वर्षो में आपको Books of Accounts रखनी पड़ेगी।
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Section 44 AD of income tax act | बिजनेसमैन के लिए
अगर आप कोई बिज़नेस करते है और presumptive taxation scheme को अपनाना चाहते है, तो आपको सेक्शन 44AD में अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करनी होगी।
सेक्शन 44AD छोटे बिज़नेसमैन के ऊपर एप्लीकेबल होता है। छोटे बिज़नेसमैन से मतलब है कि ऐसे व्यक्ति जिनका एक फाइनेंसियल ईयर में टर्नओवर 2 करोड से ज्यादा नहीं है।
अगर आपका टर्नओवर 2 करोड़ से कम है, तो आप इन स्कीम में अपनी इनकम टैक्स रिटर्न भर सकते है, लेकिन कुछ शर्तो को पूरा करना होगा, जैसे –
- सेक्शन 44 AD में केवल इंडिविजुअल, HUF और पार्टनरशिप फर्म को शामिल किया गया है यानी LLP और कम्पनीज इस स्कीम को नहीं अपना सकती है।
- आप भारत के निवासी होने चाहिए यानि NON – Residents के लिए यह स्कीम नहीं है।
- जिस बिज़नेस के लिए आप यह स्कीम अपनाना चाहते है उसका Turnover या Gross Receipts 2 करोड़ से ज्यादा नहीं होना चाहिये।
- यह स्कीम उन पर्सन्स के द्वारा नहीं अपनायी जा सकती है जो कि सेक्शन 10 A/ 10 AA/ 10 B/ 10 BA या 80 HH से 80 RRB तक की डिडक्शन क्लेम करते है।
नोट – बजट 2023 में Presumptive Taxation Scheme को अपनाने की लिमिट को 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया है, लेकिन यह 3 करोड़ की लिमिट उसी केस में लागू होगी जब टैक्सपेयर के कम से कम 95% खर्चे और इनकम कैश के अलावा दूसरे मोड में प्राप्त हो।
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Taxation Under Section 44 AD
अगर आप सेक्शन 44AD में अपनी इनकम टैक्स रिटर्न भरते है, तो आपके बिज़नेस के कुल टर्नओवर के कम से कम 8 % को आपकी इनकम रिपोर्ट करना होगा। यह मिनिमम लिमिट होती है , इससे कम प्रॉफिट डिक्लेअर करने की आपको अनुमति नहीं होती है।
यानि कि इस मिनिमम लिमिट में आपको सभी खर्चो की छूट दी गयी मान ली जाएगी , दुबारा किसी भी खर्चे को आप क्लेम नहीं कर सकते है।
जैसे – आपके बिज़नेस का टर्नओवर 1 करोड़ है तो आपको, कम से 8 लाख ( Rs. 1,00,00,000 * 8 % ) को अपनी इनकम के तौर पर आईटीआर (ITR ) में रिपोर्ट करना होगा। अगर आपकी 8 लाख से ज्यादा इनकम है, तो आप ज्यादा इनकम को अपनी रिटर्न में रिपोर्ट करे।
इस केस में अगर आप मिनिमम 8 लाख से कम इनकम रिपोर्ट करते है, तो आपको अपने अकाउंट्स की टैक्स ऑडिट करवानी होगी।
यदि आपके द्वारा बिज़नेस Receipts को डिजिटल मोड में प्राप्त किया जाता है जैसे कि – अकाउंट पेयी चेक, ड्राफ्ट या इलेक्ट्रॉनिक क्लेयरेंस सिस्टम से, तो इस केस में आप अपने टर्नओवर के मिनिमम 6 % तक रिपोर्ट कर सकते है।
ध्यान रखे – सेक्शन 44AD में बताई गयी 8%/6% की लिमिट एक मिनियम लिमिट है न कि अधिकतम लिमिट।
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Person Not Eligible – यह स्कीम निम्न पर्सन्स नहीं अपना सकते –
सेक्शन 44AD को छोटे और मीडियम बिज़नेस के लिए लाया गया था, लेकिन कुछ बिज़नेस के केस में सेक्शन 44AD को नहीं अपनाया जा सकता है, अगर इन बिज़नेस द्वारा इस स्कीम में रिटर्न फाइल की जाती है, तो उनकी रिटर्न को डिफेक्टिव कर दिया जायेगा।
सेक्शन 44AD को नहीं अपनाया जायेगा –
- Plying, Hiring, और Leasing Goods Carriage – (Section 44 AE के केस में )
- ऐसे पर्सन्स जो की एजेंसी बिज़नेस कर रहे है,
- कमीशन व ब्रोकरेज की इनकम करने वाले पर्सन्स,
- ऐसे पर्सन्स जिनका टर्नओवर 2 करोड़ से अधिक है,
- प्रोफ़ेशनल पर्सन्स- Section 44 ADA ।
Section 44ADA | Presumptive Taxation Scheme for professional
Presumptive Taxation Scheme में बिज़नेसमैन और प्रोफेशनल के लिए अलग – अलग इनकम टैक्स सेक्शन बताये गए है। जहाँ एक बिजनेसमैन सेक्शन 44AD में अपनी इनकम टैक्स रिटर्न भर सकता है, वहीं एक प्रोफेशनल को सेक्शन 44AD में रिटर्न भरने की मनाही है।
अगर प्रोफेशनल पर्सन इन स्कीम को अपनाना चाहते है, तो उन्हें सेक्शन 44ADA में अपनी इनकम टैक्स रिटर्न भरनी होगी। यह सेक्शन उन रेजिडेंट के लिए है जो कि निर्धारित प्रोफेशन कर रहे है और उस प्रोफेशन की Gross Receipts एक फाइनेंसियल ईयर में 50 लाख से अधिक नहीं है।
निर्धारित प्रोफेशन में लीगल, मेडिकल, इंजीनियरिंग/आर्किटेक्ट, एकाउंटेंसी, टेक्नीकल कंसल्टेंसी, इंटीरियर डेकोरेटर और दूसरे प्रोफेशन जो कि CBDT द्वारा नोटिफाई है, शामिल किये जायेंगे।
प्रोफेशनल की इनकम पर टैक्स कैसे लगाया जायेगा ?
इस सेक्शन में आप Presumptive Taxation Scheme तभी अपना सकते है जब आप कोई निर्धारित प्रोफेशन कर रहे है और आपकी Gross Receipts 50 लाख से अधिक नहीं है।
इनकम टैक्स की कैलकुलेशन के लिए आपकी कुल प्राप्तियों के 50 % को आपकी इनकम माना जाता है और इस इनकम में से किसी भी खर्चे के कटौती की अनुमति नहीं दी जाती है।
यानि की total Receipts का 50 % आपकी Net इनकम माना जायेगा और इस इनकम पर स्लैब रेट /फिक्स्ड रेट के हिसाब से टैक्स लगाया जायेगा। अगर आपकी इनकम 50% से ज्यादा है, तो आप ज्यादा इनकम को रिपोर्ट करे।
यदि आप यह स्कीम नहीं अपनाते है तो नार्मल स्कीम में इनकम की कैलकुलेशन कर सकते है ( Total Receipts – Expenses) ।
ध्यान रखे Presumptive Taxation Scheme को अपनाने का फायदा यह है कि आपको Books of Accounts रखना जरुरी नहीं होता है।
नोट – बजट 2023 में 50 लाख की लिमिट को बढाकर 75 लाख कर दिया गया है, लेकिन 75 लाख की लिमिट उन्ही प्रोफेशनल पर लागु होगी जिनकी कुल प्राप्तियां या खर्चों का कम से कम 95% डिजिटल मोड में हो।
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Section 44 AE | ट्रांसपोर्टर्स के लिए
यह स्कीम उन करदाताओ के लिए है जो कि Plying, Hiring, Or Leasing Goods Carriage के बिज़नेस में लगे हुए है।
सेक्शन 44AE सभी तरह के करदाताओं द्वारा अपनायी जा सकती है। यानि कि आप चाहे इंडिविजुअल हो या HUF हो या पार्टनशिप हो , आप इस सेक्शन में इस स्कीम को अपना सकते है।
लेकिन यह स्कीम आपके द्वारा तभी अपनायी जा सकती है जब
- आपके पास वर्ष में किसी भी समय 10 वाहनों से ज्यादा वाहन नहीं हों।
- आप Plying, Hiring, Or Leasing Goods Carriage के बिज़नेस में लगे हुए हो। अगर आप पैसेंजर carrying व्हीकल्स या पैसेंजर ट्रांसपोर्ट के बिज़नेस करते है, तो यह स्कीम नहीं अपनायी जा सकती है।
Taxation under section 44 AE
इस सेक्शन में आपके द्वारा वाहन कितने समय तक रखे गए है, के आधार पर इनकम कैलकुलेट की जाती है। इस स्कीम में Rs. 7500 प्रति वाहन प्रति महीने के हिसाब से इनकम मानी जाती है। यदि कोई वाहन एक महीने से कम भी रखा गया है तो इसे भी पूरा महीना माना जायेगा।
वाहनों की कैलकुलेशन करते समय भारी वाहन (12MT gross weight से अधिक ) और हल्के वाहन (12MT gross weight के बराबर या कम ) में कोई अंतर नहीं किया जायेगा।
Example के लिए – आपके पास 8 ट्रक्स है और आपने 44 AE में को अपना रखा है। आपके पास यह Trucks 8 महीने और 10 दिन तक रहे तो 10 दिन को भी पूरा महीना माना जायेगा और आपकी इनकम 9 महीने के हिसाब से कैलकुलेट की जायेगी यानि कि (7500*9 * 8 Trucks ) ।
लेकिन, यदि आप इस लिमिट से अधिक इनकम को रिपोर्ट करना चाहते है, तो आप ऐसा कर सकते है। अगर इस स्कीम को अपनाते है, तो कम से कम rs 7500 प्रति महीना प्रति वाहन के हिसाब से इनकम रिपोर्ट करनी होगी। इस इनकम में से आपको किसी भी खर्चे की छूट नहीं दी जायेगी।
लेकिन,अगर आप एक पार्टनरशिप फर्म है, तो इस इनकम में से पार्टनर्स को दिया गया remuneration और भुगतान किये गए इंटरेस्ट की छूट ले सकते है।
इसके अलावा यदि आपकी इनकम rs 7500 प्रति महीना प्रति वाहन से कम रिपोर्ट करते है, तो आपको books of accounts रखनी होगी और सेक्शन 44ab में टैक्स ऑडिट करवानी होगी।
Advance Tax Liability
यदि आपने सेक्शन 44AD, सेक्शन 44ADA, या सेक्शन 44AE अपना रखा है तो भी आपकी एडवांस टैक्स की लायबिलिटी बनी रहेगी। यानि आपको एडवांस टैक्स जमा करवाना होगा।
लेकिन इन स्कीम्स में फायदा यह है कि आपको एडवांस टैक्स का भुगतान अलग – अलग किस्तों के बजाय सिर्फ एक क़िस्त में करना होगा यानि कि 15 मार्च से पहले। 31 मार्च तक जमा किये गए टैक्स को भी एडवांस टैक्स का ही पार्ट माना जायेगा।
पैन कार्ड क्यों जरुरी है और क्या पैन कार्ड के नहीं होने पर आप पर पेनल्टी भी लगायी जा सकती है ?
Presumptive Taxation Schemes other Features
- यदि आपने किसी वर्ष में इनमें से किसी स्कीम का चुनाव किया है लेकिन आगे के किसी फाइनेंसियल ईयर में आपकी इनकम इन सेक्शन में निर्धारित % से कम है तो आप इन स्कीम के चुनाव नहीं करने का निर्णय ले सकते है, लेकिन इस केस में आपको Books of Account रखनी होगी और सेक्शन 44 AB में अपने खातों की ऑडिट करवानी होगी।
- Presumptive Taxation Scheme को अपनाने पर किसी भी बिज़नेस Expenses (Deprecation को शामिल करते हुए ) की छूट नहीं दी जायेगी।
- इन सेक्शन में आपको Books of Accounts आपको रखना जरुरी नहीं है।
- फाइनेंसियल ईयर 2016 – 17 से पार्टनर्स को Salary/ Remuneration/ Interestके भुगतान की छूट प्राप्त नहीं होगी।
- अगर आपके 1 से अधिक बिज़नेस है तो यह स्कीम केवल उसी बिज़नेस के लिए लिए लागू होगी जिसके लिए आपने इनमे से किसी स्कीम का चुनाव किया है और बाकी बिज़नेस के लिए इनकम टैक्स के नार्मल Provisions लागू होंगे।
presumptive taxation scheme के बारे में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की गाइडलाइन्स देखे – पीडीएफ
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2017-18 accounting year me regular scheme me 62 lac turnover per audit hua .
2018 -19 accounting year me 68 lac ke approx turnover h mai presumptive scheme le sakta hu ya nhi
mai 9% net profit manta hu.
next kisi year me regular scheme me ja sakta hu ya nhi ?