saving account interest taxation – बैंकों में पैसे रखना कौन नही चाहता है और खासकर तब जब आपको इन पैसों पर ब्याज भी मिलता रहता है । बैंक में जमा किया गए पैसे को कभी भी निकाला जा सकता है या किसी भी तरह का ऑनलाइन पेमेंट इससे किया जा सकता है ।
बैंक में पैसे रखना अपने पैसों को सेव करने का सबसे सुरक्षित माध्यम होता है, जिसका यूज़ भी लोगों द्वारा खूब किया जाता है ।
बैंक अकॉउंट में आपको नार्मल 3% से 5% तक का साधारण ब्याज प्राप्त होता है, लेकिन बैंक में रखा पैसा सुरक्षित होने की वजह से लोग कम ब्याज पर भी अपने पैसे बैंक में जमा करते है ।
लेकिन, बैंक में जमा किये हुए पैसों पर जो ब्याज आपको मिलता है, उस पर आपको टैक्स भी देना होता है ।
अधिकतर लोग इस बात से अनजान रखते है कि बैंक अकॉउंट में रखे पैसों पर प्राप्त ब्याज भी टैक्सेबल होता है । इसी वजह से लोग इस ब्याज को अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में रिपोर्ट नही करते है ।
लेकिन, ध्यान रखिये बैंक अकॉउंट में प्राप्त ब्याज की राशि जितनी ज्यादा होगी उतनी ही इसको रिटर्न में रिपोर्ट नही करने पर इनकम टैक्स नोटिस मिलने की संभावना बढ़ जाती है ।
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बैंक अकॉउंट में प्राप्त ब्याज पर टैक्स कैसे लगाया जाता है ? saving account interest taxation
बैंक में सेविंग या करंट अकॉउंट खुलवाया जा सकता है । इनमें से करंट अकॉउंट पर आपको कुछ भी ब्याज प्राप्त नही होता है, जबकि सेविंग अकॉउंट पर आपको बैंक द्वारा ब्याज दिया जाता है ।
सेविंग अकॉउंट पर प्राप्त ब्याज को आपके अन्य सोर्सेज की इनकम माना जाता है, जिसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय ” income from other sources ” हेड में रिपोर्ट करना होता है ।
रिटर्न में रिपोर्ट करने के बाद सेविंग अकॉउंट ब्याज आपकी टोटल इनकम का पार्ट हो जाता है, जिस पर आपके ऊपर एप्लीकेबल स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा ।
अगर सेविंग अकॉउंट एक से ज्यादा है, तो उन सभी पर प्राप्त ब्याज को इनकम टैक्स रिटर्न में रिपोर्ट करना होगा। इसलिए रिटर्न फ़ाइलिंग के समय अपने सभी बैंक स्टेटमेंट्स को अपने पास रखे, ताकि ब्याज की सही राशि ली जा सके ।
पोस्ट ऑफिस में खुलवाए गए सेविंग अकॉउंट पर प्राप्त ब्याज के केस में भी यही नियम एप्लीकेबल होंगे ।
क्या सेविंग अकॉउंट ब्याज की टैक्स में छूट मिलती है ?
हाँ, सेविंग अकॉउंट पर प्राप्त ब्याज की इनकम में छूट ली जा सकती है, जो कि सेक्शन 80TTA में क्लेम की जा सकती है ।
सेक्शन 80TTA में इंडिविजुअल और HUF द्वारा टैक्स डिडक्शन क्लेम की जा सकती है । इस सेक्शन में अधिकतम 10,000 की टैक्स डिडक्शन प्राप्त होती है ।
ध्यान रखे – सेक्शन 80TTA में सिर्फ 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति द्वारा ही टैक्स डिडक्शन ली जा सकती है ।
जैसे – Mr . X (45 वर्ष) को एक फाइनेंसियल ईयर में कुल 8000 का सेविंग अकॉउंट पर ब्याज प्राप्त होता है, तो इस केस में Mr X को 8000 के ब्याज को अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में अन्य सोर्सेज की इनकम के तौर पर रिपोर्ट करना होगा । इसके बाद सेक्शन 80TTA में ब्याज राशि या 10,000 , जो भी कम है, की टैक्स छूट क्लेम की जा सकती है ।
अगर Mr X को प्राप्त ब्याज की राशि 10,000 से ज्यादा की होती , तो Mr X को सेक्शन 80TTA में 10,000 के ब्याज की छूट दी जाती और अतिरिक्त ब्याज पर स्लैब रेट के अनुसार टैक्स देना होता ।
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क्या सीनियर सिटीजन को भी सेविंग अकॉउंट पर ब्याज की टैक्स में छूट दी जाएगी ?
सीनियर सिटीजन द्वारा भी सेविंग अकॉउंट पर प्राप्त ब्याज की टैक्स में छूट क्लेम की जा सकती है, लेकिन सीनियर को यह टैक्स छूट सेक्शन 80TTA में प्राप्त नही होकर सेक्शन 80TTB में प्राप्त होगी ।
सीनियर सिटीजन द्वारा सेक्शन 80TTB में अधिकतम 50,000 के सेविंग अकॉउंट ब्याज की टैक्स छूट ली जा सकती है ।
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क्या सेविंग अकॉउंट ब्याज पर टीडीएस भी काटा जाएगा ? tds on saving account interest
सेविंग अकॉउंट का ब्याज टैक्सेबल होता है, लेकिन इस पर टीडीएस के प्रावधान लागू नही होते है । एक फाइनेंसियल ईयर में कितना भी सेविंग अकॉउंट इंटरेस्ट प्राप्त हो, इस पर टीडीएस नही काटा जाएगा ।
क्या फिक्स्ड डिपाजिट पर प्राप्त ब्याज की भी इनकम टैक्स में छूट ली जा सकती है ?
फिक्स्ड डिपाजिट पर मिलने वाला ब्याज भी टैक्सेबल होता है । अगर आपको टैक्स सेविंग एफडी से भी ब्याज मिलता है, तो इस तरह का ब्याज भी टैक्सेबल होगा ।
नॉन – सीनियर सिटीजन द्वारा फिक्स्ड डिपाजिट पर प्राप्त ब्याज की टैक्स में छूट क्लेम नही की जा सकती है, लेकिन सीनियर सिटीजन (60 वर्ष से ज्यादा ) द्वारा एफडी ब्याज की टैक्स में छूट क्लेम की जा सकती है ।
सीनियर सिटीजन द्वारा एफडी ब्याज की सेक्शन 80TTB में टैक्स डिडक्शन क्लेम की जा सकती है । इस सेक्शन में अधिकतम 50,000 की टैक्स डिडक्शन मिलती है, जो कि सीनियर सिटीजन के सेविंग अकॉउंट और एफडी ब्याज को मिलाकर होती है ।
जैसे – Mr X (62 वर्ष) को सेविंग बैंक अकॉउंट पर 35,000 का और एफडी पर 75,000 का ब्याज प्राप्त होता है, तो इस केस में Mr X को इनकम टैक्स रिटर्न में 1,10,000 के कुल ब्याज को अन्य सोर्सज हेड में रिपोर्ट करना होगा । इसके बाद सेक्शन 80TTB में अधिकतम 50,000 की टैक्स डिडक्शन क्लेम की जा सकती है । बैलेंस 60,000 के ब्याज पर Mr X को एप्लीकेबल स्लैब रेट के आधार पर टैक्स देना होगा ।
ध्यान रखिये – अगर एफडी ब्याज एक फाइनेंसियल ईयर में 40,000 से ज्यादा का हो जाता है, तो उस पर बैंक द्वारा सेक्शन 194A में 10% की रेट से टैक्स काटा जाएगा । सीनियर सिटीजन के केस में 50,000 से ज्यादा एफडी ब्याज होने पर टैक्स काटा जाता है ।
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