Section 194O of income tax act – ई कॉमर्स जगत की लगातार बढ़ती लोकप्रियता ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया, जिसकी वजह से ई कॉमर्स उद्योग को भी सरकार द्वारा टीडीएस के दायरे में लाया गया ।
बजट 2020 में सरकार ने ई कॉमर्स ऑपरेटर्स के माध्यम से की जाने वाली गुड्स और सर्विसेज की खरीद – बिक्री को टीडीएस के दायरे में लाने के लिए सेक्शन 194O प्रस्तावित किया था ।
सेक्शन 194O के अनुसार जो भी पर्सन ई कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई करता है, उसका टैक्स काटा जाएगा ।
हालांकि, टैक्सपेयर्स को इससे ज्यादा परेशानी नही हो, इसके लिए सरकार ने इसमे कुछ छूट भी दी जिनके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे
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सेक्शन 194O क्या है ? what is Section 194O of income tax act
ऑनलाइन बिज़नेस को शुरू करने में लगने वाली कम लागत और काफी सारे खरीददारो के होने की वजह से कोई भी पर्सन बिज़नेस करने के लिए ऑनलाइन दुनिया की तरफ आकर्षित होने लगता है ।
लेकिन, ऑनलाइन ट्रांजेक्शनों पर नजर बनाये रखना सरकार के लिए एक चुनौती से कम नही था । इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने बजट 2020 में सेक्शन 194O प्रस्तावित किया और 1 अक्टूबर 2020 से इसे लागू किया ।
सेक्शन 194O के अनुसार कोई भी पर्सन जो कि ई कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से गुड्स या सर्विसेज सप्लाई करता है, का ई कॉमर्स ऑपरेटर के द्वारा टैक्स काटा जाएगा ।
जैसे – ABC लिमिटेड फ्लिपकार्ट के माध्यम से अपने गुड्स सेल करती है । इस केस में फ्लिपकार्ट द्वारा ABC लिमिटेड को गुड्स का पेमेंट किये जाने से पहले टैक्स काटना होगा ।
ई कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा टैक्स कब काटा जाएगा ?
ई कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा ई कॉमर्स पार्टिसिपेंट्स के अकॉउंट को क्रेडिट किये जाने या पेमेंट करने, जो भी पहले हो टैक्स काटा जाएगा ।
जैसें – ABC लिमिटेड द्वारा 1 दिसंबर 2022 को फ्लिपकार्ट के माध्यम से ऑनलाइन टीवी सेल किया गया । फ्लिपकार्ट ने 1 दिसंबर 2022 को ABC लिमिटेड के अकॉउंट को क्रेडिट किया, जबकि ABC लिमिटेड को 10 दिसंबर 2022 को इसका पेमेंट सीधा कस्टमर से प्राप्त हुआ । तो इस केस में फ्लिपकार्ट को 1 दिसंबर 2022 को ABC लिमिटेड का टैक्स काटना होगा ।
ई कॉमर्स ऑपरेटर कौन होते है ?
ई कॉमर्स ऑपरेटर ऐसे पर्सन होते है, जो कि किसी गुड्स या सर्विसेज़ की बिक्री के लिए डिजिटल या ऑनलाइन फैसिलिटी प्रदान करते है और इस ऑनलाइन पोर्टल को ” own, operates, or manages ” करते है । जैसे – फ्लिपकार्ट, अमेज़न, मीशो आदि ।
ई – कॉमर्स पार्टिसिपेंट (participants) कौन होते है ?
ऐसे पर्सन जो कि ई कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से गुड्स या सर्विसेज की बिक्री करते है, उन्हें ई कॉमर्स पार्टिसिपेंट्स के नाम से जाना जाता है ।
जैसे – ABC लिमिटेड फ्लिपकार्ट के माध्यम से गुड्स की सप्लाई करते है, तो इस केस में ABC लिमिटेड ई कॉमर्स पार्टिसिपेंट्स और फ्लिपकार्ट ई कॉमर्स ऑपरेटर होंगे ।
क्या एक नॉन – रेजिडेंट का भी सेक्शन 194O में टैक्स काटा जाएगा ?
सेक्शन 194O में ई कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से गुड्स या सर्विसेज की बिक्री करने पर टैक्स काटा जाएगा, लेकिन यह सेक्शन सिर्फ रेजिडेंट टैक्सपेयर्स पर ही एप्लीकेबल होगा ।
अगर एक नॉन – रेजिडेंट द्वारा ई कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से गुड्स या सर्विसेज की बिक्री की जाती है, तो उसका सेक्शन 194O में टैक्स नही काटा जाएगा ।
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ई – कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा टैक्स कब नही काटा जाएगा ?
ई कॉमर्स ऑपरेटर को उसके पोर्टल के माध्यम से गुड्स या सर्विसेज की बिक्री करने वाले सभी टैक्सपेयर्स का टैक्स काटना होगा, लेकिन इंडिविजुअल या HUF के केस में टीडीएस कटौती उसी केस में होगी, जब उस इंडिविजुअल या HUF को एक वर्ष में 5 लाख से ज्यादा का पेमेंट किया जाता है ।
अगर पूरे वर्ष में 5 लाख से कम का पेमेंट होता है, तो सेक्शन 194O में टैक्स नहीं काटा जाएगा । ध्यान रखे 5 लाख की लिमिट सिर्फ इंडिविजुअल या HUF के केस में ही एप्लीकेबल होंगी ।
किन केसेज में सेक्शन 194O में टीडीएस कटौती से राहत दी जाती है ?
सेक्शन 194O कुछ पर्सन पर एप्लीकेबल नही होगा, जिसकी लिस्ट है –
- सिक्योरिटीज या कमोडिटीज में ट्रांजेक्शन, जो कि मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से किये जाते है या
- इलेक्ट्रिसिटी, रिन्यूएबल एनर्जी सर्टिफिकेट और एनर्जी सेविंग सर्टिफिकेट के ट्रांजेक्शन, जो कि रजिस्टर्ड पावर एक्सचेंजों के माध्यम से किये जाते है ।
इन दोनों केसेज में सेक्शन 194O एप्लीकेबल नही होगा ।
सेक्शन 194O में किस रेट से टैक्स काटा जाएगा ? Section 194O of income tax act
सेक्शन 194O में ई कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा 1% की रेट से टैक्स काटा जाएगा ।
लेकिन, ई कॉमर्स पार्टिसिपेंट्स द्वारा अपना पैन या आधार नही दिया जाता है, तो सेक्शन 206AA के अनुसार ई कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा 5 % की रेट से टैक्स काटा जाएगा ।
ध्यान रखिये – अगर किसी पर्सन का सेक्शन 194O में टैक्स काटा जा चुका है, तो उस पर्सन का सेक्शन 194Q में टीडीएस और सेक्शन 206C(1H) में टीसीएस कलेक्ट नही किया जा सकता है ।
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क्या पेमेंट गेटवे के केस में भी सेक्शन 194O में टैक्स काटा जा सकता है ?
ई कॉमर्स ट्रांजेक्शन में पेमेंट के ट्रांजेक्शन पेमेंट गेटवे के माध्यम से पूरे किए जाते है । इस तरह के ट्रांजेक्शनों में 2 पार्टीज इन्वॉल्व होती है, पहली ई कॉमर्स ऑपरेटर जो कि गुड्स या सर्विसेज की सेल के लिए डिजिटल प्लेटफार्म उपलब्ध करवाते है और दूसरा पेमेंट गेटवे, जो कि कस्टमर को ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा उपलब्ध करवाते है ।
इस केस में सेक्शन 194O में टीडीएस कटौती की जिम्मेदारी ई कॉमर्स ऑपरेटर और पेमेंट गेटवे दोनों के ऊपर होती है ।
जैसे – ABC लिमिटेड एक ई कॉमर्स ऑपरेटर है, जिस पर Mr. X एक लाख के गुड्स बेचते है और इसका पेमेंट उन्हें ऑनलाइन प्राप्त होता है । ABC लिमिटेड पर ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा XYZ लिमिटेड पेमेंट गेटवे के माध्यम से दी जाती है । तो इस केस में इस ट्रांजेक्शन पर टीडीएस कटौती की जिम्मेदारी ABC लिमिटेड और XYZ लिमिटेड दोनों की होगी ।
लेकिन, ध्यान रहे अगर किसी एक द्वारा इस ट्रांजेक्शन पर टीडीएस कटौती कर ली जाती है, तो इसी ट्रांजेक्शन पर दुबारा टीडीएस नही काटा जाएगा ।
ऊपर बताये गए उदाहरण में अगर ABC लिमिटेड ( ई कॉमर्स ऑपरेटर ) द्वारा Mr X का टीडीएस काट लिया जाता है, तो XYZ लिमिटेड (पेमेंट गेटवे) को इस पर दुबारा टैक्स नही काटना होगा ।
लेकिन, सेक्शन 194O के प्रावधानों की पूरी पालन हुई है या नही, इसके लिए XYZ लिमिटेड (पेमेंट गेटवे ) को ABC लिमिटेड (ई कॉमर्स ऑपरेटर ) से टैक्स कटौती के संबंध में पूरी डिटेल्स (अंडरटेकिंग) प्राप्त करनी होगी ।
ई कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा टीडीएस काटने के केस में सरकार द्वारा जारी की गयी गाइडलाइन्स – डाउनलोड करे
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