जीवनसाथी की इनकम पर आपको देना हो सकता है टैक्स ! section 64 of income tax act

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section 64 of income tax act

section 64 of income tax act – भारत में अधिकतर लोग अपनी वाइफ के नाम से इन्वेस्टमेंट करते है या कोई प्रॉपर्टी खरीदते है, ताकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजरो से बचे रह सके।

इसके अलावा टैक्स बचाने के लिए अपनी किसी हाउस प्रॉपर्टी को वाइफ के नाम कर देते है ताकि उस हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली इनकम को अपनी वाइफ की इनकम दिखा सके और उस पर इनकम टैक्स बचा सके।

कई लोग अपने बिज़नेस के प्रॉफिट को कम करने के लिए भी अपने जीवनसाथी को सैलरी का पेमेंट करते है, ताकि बिज़नेस का खर्चा बढ़ा सके और उन्हें कम टैक्स का पेमेंट करना पड़े।

लेकिन, इतने तरीके अपनाने के बाद भी आप इनकम टैक्स नहीं बचा सकते । क्योकि इस तरह की जो भी टैक्स प्लानिंग आप कर रहे है उसका तोड़ इनकम टैक्स एक्ट के section 64 में दिया गया है।

आज के आर्टिकल (section 64 of income tax act) में हम जानेंगे कि कब आपके जीवनसाथी की इनकम को आपकी इनकम में जोड़ दिया जायेगा और आपको अपने जीवनसाथी की इनकम पर भी टैक्स देना होगा।

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section 64 of income tax act – सेक्शन 64 क्या है ?

सेक्शन 64 “clubbing of income” के प्रावधान बताता है। इस सेक्शन में कुछ कंडीशन बताई गयी है जिसके अनुसार कब आपके जीवनसाथी की इनकम को आपकी इनकम में जोड़ दिया जायेगा।

section 64 में बताई गयी कंडीशंस –

जीवनसाथी को सैलरी, कमीशन, फीस या अन्य कोई इनकम –

अगर आपके जीवनसाथी को सैलरी,कमीशन, फीस या कोई इनकम प्राप्त हो रही है और इसका पेमेंट उस कंपनी या फर्म (concern ) से किया जा रहा है, जिसमे आपका substantial interest है तो इस केस में आपके जीवनसाथी को मिलने वाली इनकम आपकी इनकम मानी जायेगी और इस पर आपको टैक्स देना होगा। 

जैसे – मान लीजिये आपकी वाइफ को ABC लिमिटेड से 10,000 प्रति महीने के हिसाब से सैलरी दी जा रही है । ABC लिमिटेड में आपका substantial interest है।  यह सैलरी आपकी वाइफ को एकाउंटिंग कार्यों के लिए दी जा रही है, जबकि आपकी वाइफ को एकाउंटिंग कार्य का कोई भी नॉलेज नहीं है। इस केस में यह सैलरी का अमाउंट आपकी इनकम में जोड़ा जायेगा और आपको इस पर टैक्स देना होगा।

लेकिन, आपके जीवनसाथी को दी जाने वाली सैलरी या कमीशन या फीस आपकी इनकम में नहीं जोडी जायेगी, यदि यह आपके जीवनसाथी की टेक्निकल या प्रोफेशनल योग्यता के कारण दी जा रही हो।



यदि concern में वाइफ और हसबैंड दोनों का substantial interest हो – 

यदि किसी concern में wife & husband दोनों का substantial interest है और उस concern से दोनों को सैलरी, कमीशन या फीस से कोई इनकम प्राप्त हो रही तो भी clubbing of income के प्रावधान लागू होंगे।

इस केस में उस संस्थान से मिलने वाली इनकम उस जीवनसाथी की इनकम में जोड़ी जायेगी जिसकी total income ज्यादा है। लेकिन total income निकालने के लिए उस संस्थान से मिलने वाली इनकम को नहीं जोड़ा जायेगा।

किसी concern में substantial interest कब माना जाता है  ?

किसी भी पर्सन का किसी concern में substantial इंटरेस्ट है या नहीं यह देखने के लिए किसी concern को दो तरीके से अलग किया जायेगा –

  1. यदि concern कंपनी है , या
  2. अन्य कोई केस

अगर कोई concern कंपनी है तो उस कंसर्न में substantial interest तब माना जायेगा, जब उस कंपनी के 20 % या अधिक वोटिंग पावर वाले equity shares का कोई पर्सन मालिक है तो उस पर्सन का उस कंपनी में substantial interest माना जायेगा।

यदि वह पर्सन पूरे 20 % शेयर का मालिक नहीं है, लेकिन उस पर्सन के रिलेटिव भी उस कंपनी में शेयर्स के मालिक है और कुल शेयर्स का प्रतिशत 20 % से अधिक है , तो भी उस पर्सन का उस कंपनी में substantial interest माना जायेगा।

कंपनी के अलावा अन्य किसी केस में substantial interest तब माना जायेगा, जब कोई पर्सन अकेले या अपने रिश्तेदारों के साथ प्रॉफिट का 20 % या अधिक हिस्सा प्राप्त करता है।

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Spouse को पर्याप्त consideration के बिना कोई प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने पर – 

यदि पति द्धारा अपनी पत्नी को (या पत्नी द्धारा अपने पति को ) कोई प्रॉपर्टी (हाउस प्रॉपर्टी के अलावा ) ट्रांसफर की जाती है और यह प्रॉपर्टी पर्याप्त प्रतिफल के बिना ट्रांसफर की जाती है, तो इस प्रॉपर्टी से होने वाली इनकम transferor के हाथों में टैक्सेबल होगी।

जैसे – हसबैंड द्धारा अपनी वाइफ को कोई शॉप बिना किसी प्रतिफल के ट्रांसफर की जाती है , इस शॉप से हर वर्ष वाइफ को 1 लाख के रेंट की इनकम होती है , तो इस केस में रेंट की यह इनकम हसबैंड की इनकम मानी जाएगी। और यह इनकम हसबैंड के हाथों में टैक्सेबल होगी।

लेकिन, अगर 1 लाख की इस इनकम को वाइफ द्धारा आगे कही इन्वेस्ट किया जाता है और इन्वेस्ट करने से वाइफ को कोई इनकम प्राप्त होती है, तो इन्वेस्ट करने से कमाई इनकम वाइफ के हाथों में ही टैक्सबल होगी।

हालाँकि, अगर हसबैंड और वाइफ के बीच अलग रहने के समझौते के कारण कोई प्रॉपर्टी ट्रांसफर की जाती है, तो इस तरह की प्रॉपर्टी से होने वाली इनकम प्रॉपर्टी प्राप्तकर्ता के हाथों में ही टैक्सेबल होगी।

इसके अलावा यदि कोई प्रॉपर्टी एक जीवनसाथी द्धारा दूसरे जीवनसाथी को पर्याप्त प्रतिफल के ट्रांसफर की जाती है, तो इस केस में “clubbing ” के ये प्रावधान लागू नहीं होंगे।

हाउस प्रॉपर्टी पर्याप्त प्रतिफल के बिना ट्रांसफर करने पर – 

यदि हसबैंड द्धारा अपनी वाइफ को (अलग रहने के समझौते के अलावा ) हाउस प्रॉपर्टी ट्रांसफर की जाती है, तो इस प्रकार की प्रॉपर्टी सेक्शन 27 में टैक्सेबल होगी।

सेक्शन 27 के अनुसार हाउस प्रॉपर्टी की gross annual value प्रॉपर्टी ट्रांसफरकर्ता के हाथों में टैक्सेबल होगी।

ट्रांसफर की जा रही प्रॉपर्टी को बिज़नेस में यूज़ लेने पर – 

इंडिविजुअल द्धारा जब कोई प्रॉपर्टी डायरेक्टली या इनडायरेक्टली अपने जीवनसाथी के बिज़नेस में इन्वेस्ट की जाती है, तो बिज़नेस से होने वाली इनकम proportionate रूप से दोनों जीवनसाथी की इनकम मानी जायेगी।

जैसे – हसबैंड द्धारा अपनी वाइफ को 5 लाख का cash गिफ्ट दिया जाता है और यह पैसे वाइफ द्धारा अपने बिज़नेस में लगाये जाते है। इस बिज़नेस में वाइफ के खुद के 10 लाख और अपने हसबैंड से मिले 5 लाख लगे हुए है।

इस बिज़नेस से वाइफ को 3 लाख का प्रॉफिट हुआ। अब यह 3 लाख का प्रॉफिट 5 : 10 के ratio में टैक्सेबल होगा। यानि की हसबैंड के हाथों में टैक्सेबल इनकम 1,00,000 होगी (3 लाख *5 लाख /15 लाख ) .

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किसी प्रॉपर्टी को अपने जीवनसाथी के बेनिफिट के लिए ट्रांसफर करना –

यदि किसी इंडिविजुअल द्धारा किसी पर्सन को या एसोसिएशन ऑफ़ पर्सन (AOP ) को कोई असेट्स पर्याप्त प्रतिफल के बिना ट्रांसफर की जाती है और इस ट्रांसफर की गयी सम्पति से इंडिविजुअल के जीवनसाथी को डायरेक्टली या इनडायरेक्टली बेनिफिट प्राप्त होंगे, तो इस प्रकार की सम्पति से प्राप्त इनकम इंडिविजुअल के हाथों में टैक्सेबल होंगे।

जीवनसाथी को इस प्रॉपर्टी से बेनिफिट अभी या भविष्य में कभी भी प्राप्त हो सकते है।

 

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