set off & carry forward of capital losses – आपने देखा होगा कि कई लोग जो कि शेयर्स में ट्रांजेक्शन करते है, उनको या तो प्रॉफिट होता है या फिर नुकसान। यदि उनको शेयर्स में ट्रांजेक्शन पर प्रॉफिट होता है, तो इस पर उनको टैक्स देना होता है।
लेकिन, यदि उनको शेयर्स में ट्रांजेक्शन से नुकसान उठाना पड़े तो इसका इनकम टैक्स के हिसाब से क्या ट्रीटमेंट किया जायेगा।
इसी तरह कई बार जब कोई प्रॉपर्टी बेचीं जाती है, तो उस प्रॉपर्टी का खरीद मूल्य, कंस्ट्रक्शन की लागत और प्रॉपर्टी को बेचने के लिए खर्चे इतने ज्यादा हो जाते है कि उस प्रॉपर्टी को बेचने से कोई भी प्रॉफिट नहीं होता है, बल्कि नुकसान ही होता है।
ऐसे cases में होने वाले नुकसान का इनकम टैक्स एक्ट में क्या प्रावधान बताये गए है, कैसे इन losses से हम बेनिफिट ले सकते है, इनके सम्बन्ध में हमें किन नियमो का पालन करना होगा।
इन सभी के बारे में आर्टिकल (set off & carry forward of capital losses) में चर्चा करेंगे।
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capital loss क्या होते है ?
जब भी कोई कैपिटल असेट्स बेचीं जाती है, तो उसको बेचने पर अगर किसी तरह का कोई नुकसान हो रहा है, तो इनकम टैक्स एक्ट की भाषा में इसे कैपिटल लोस कहा जाता है।
जैसे – आपने कोई प्रॉपर्टी 1 वर्ष पहले 20 लाख में खरीदी और इसको आपने 25 लाख में बेचा। इस प्रॉपर्टी पर आपने कुछ कंस्ट्रक्शन करवाया जिसकी लागत 4 लाख की आयी। इस प्रॉपर्टी को बेचने पर आपको 2 लाख का खर्चा भी करना पड़ा।
इस केस में आपके कैपिटल गेन या loss की कैलकुलेशन होगी –
sale value | 25,00,000 |
less – transfer expenses | (2,00,000) |
cost of acquisition | (20,00,000) |
cost of construction | (4,00,000) |
short term capital loss | (1,00,000) |
इस ट्रांजेक्शन में आपको कुल 1 लाख का शार्ट टर्म कैपिटल लोस हुआ।
कैपिटल लोस कितने टाइप्स के होते है ?
कैपिटल असेट्स को बेचने से 2 तरह के loss होते है,
- short term capital loss
- long term capital loss
शार्ट टर्म कैपिटल लोस – यह loss तब होते है, जब किसी ऐसी प्रॉपर्टी को बेचने से नुकसान हुआ हो, जो कि,
- यदि शेयर है तो 12महीने से कम समय के लिए होल्ड किये गए हो या
- यदि कोई अचल सम्पति है तो 24 महीने से कम समय के लिए होल्ड की गयी हो या
लॉन्ग टर्म कैपिटल लोस – यदि कोई भी शेयर्स 12 महीने से अधिक या अचल सम्पति 24 महीने से अधिक समय के लिए होल्ड की गयी हो तो ऐसी प्रॉपर्टी को बेचने से हुए loss लॉन्ग टर्म कैपिटल लोस माने जायेंगे।
इनकम टैक्स एक्ट में capital loss के सम्बन्ध में क्या प्रावधान बताये गए है ?
इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार यदि आपको किसी प्रॉपर्टी को बेचने से कोई नुकसान हो रहा हो, चाहे वह शेयर्स में हो या किसी अचल सम्पति को बेचने पर हो। इस तरह के नुकसान को आप किसी अन्य प्रॉपर्टी को बेचने से होने वाले प्रॉफिट से सेट ऑफ कर सकते है।
जैसे – आपने असेसमेंट ईयर 2019 -20 में 2 प्रॉपर्टी बेचीं। एक प्रॉपर्टी पर आपको 5 लाख का प्रॉफिट हो रहा है और दूसरी प्रॉपर्टी पर 3 लाख का नुकसान हुआ। इस केस में आप अपनी दोनों प्रॉपर्टी से होने वाले फायदे और नुकसान को आपस में सेट ऑफ कर सकते है, जिससे आपका नेट कैपिटल गेन 2 लाख (5,00,000 -3,00,000) का आ जायेगा।
लेकिन दोनों प्रॉपर्टीज के profit -loss को आपस में सेट ऑफ करने से पहले उनको शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल loss में अलग -अलग करना होगा।
शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म capital loss को सेट ऑफ करने के नियम –
सबसे इम्पोर्टेन्ट बात यह है कि capital loss को आप किसी भी अन्य हेड की इनकम से सेट ऑफ नहीं कर सकते , जैसे – यदि आपको बिज़नेस में 2 लाख का प्रॉफिट है और आपके पास 50 हजार के कैपिटल लोस है, तो इनको आप आपस में सेट ऑफ नहीं कर सकते। क्योकि इनकम टैक्स एक्ट इस तरह से सेट ऑफ करने की अनुमति नहीं देता।
capital losses को आप सिर्फ किसी कैपिटल गेन की इनकम से ही सेट ऑफ कर सकते है।
लेकिन यहाँ भी अगर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होता है , तो इसे आप सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की इनकम से ही सेट ऑफ कर सकते है। यानि कि लॉन्ग टर्म कैपिटल loss को शार्ट टर्म कैपिटल गेन से सेट ऑफ नहीं किया जा सकता।
परन्तु, शार्ट टर्म कैपिटल गेन को आप लॉन्ग टर्म और शार्ट टर्म दोनों तरह के प्रॉफिट से सेट ऑफ कर सकते है।
अगर कैपिटल गेन हेड में कोई प्रॉफिट नहीं हो तो capital loss का क्या ट्रीटमेंट किया जायेगा ?
यदि आपको किसी वर्ष प्रॉपर्टी को बेचने से कोई नुकसान हुआ हो, लेकिन उस वर्ष में आपके पास उस नुकसान को सेट ऑफ करने के लिए कोई कैपिटल गेन नहीं है। तो इस केस में आप उन capital loss को carry forward कर सकते है।
ताकि भविष्य में कभी भी किसी प्रॉपर्टी को बेचने से प्रॉफिट होने पर आप इन capital loss को set off कर सके और अपना टैक्स बचा सके।
जिस असेसमेंट ईयर में आपको capital loss हुए है, उस असेसमेंट ईयर की समाप्ति के बाद 8 वर्षो तक इन losses को carry forward किया जा सकता है।
carry forward करने के बाद भी capital loss को सेट ऑफ करने का तरीका वही रहेगा, जो कि पहले था।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है ?
यदि आपके पास कोई capital loss है, तो इनको सेट ऑफ या carry forward करने के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के साथ ही इसे due dates से पहले फाइल करनी होगी। यदि आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में capital loss को सेट ऑफ करना चाहते है, तो इसे समय पर फाइल करे अन्यथा आप अपने capital losses को आगे के वर्षो में carry forward नहीं कर पाएंगे।
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