इन ट्रांजेक्शन को बिना प्रतिफल के करने पर भी जीएसटी चार्ज किया जायेगा – supply without consideration under gst

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supply without consideration under gst

supply without consideration under gst – अगर कोई पर्सन गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई करता है, तो उस पर्सन से जीएसटी चार्ज किया जायेगा, यदि वह जीएसटी में रजिस्टर्ड है। यानि, जीएसटी लगाया जायेगा या नहीं यह डिपेंड करता है कि किसी पर्सन द्धारा गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई की गयी है या नहीं।

अगर किसी ट्रांजेक्शन को जीएसटी लॉ में सप्लाई नहीं माना जाता तो उस ट्रांजेक्शन पर GST नहीं लगाया जा सकता, इसलिए जीएसटी लॉ के अनुसार सप्लाई क्या होती है, इसके बारे में जानना बहुत जरुरी है।

इसके साथ ही सप्लाई से जुड़े अनिवार्य रूल्स क्या है, के बारे में भी आज के आर्टिकल (supply without consideration under gst) में हम चर्चा करेंगे।

जीएसटी में सप्लाई क्या होती है ? what is supply under gst ?

कोई भी ट्रांजेक्शन सप्लाई की डेफिनेशन में आयेगा या नहीं, इसके लिए उस ट्रांजेक्शन में 3 चीजों का होना सबसे जरुरी होता है,

  1. सप्लाई गुड्स या सर्विसेज की ही की जा रही हो ,
  2. सप्लाई किसी प्रतिफल (consideration) के बदले में की जा रही हो,
  3.  supply बिज़नेस के सम्बन्ध में की जा रही हो।

अगर इन तीनो चीजों में से कोई भी चीज किसी ट्रांजेक्शन में नहीं होती है, तो उस ट्रांजेक्शन को supply नहीं माना जायेगा, जिसकी वजह से उस पर कोई जीएसटी चार्ज नहीं किया जायेगा।

जैसे – मनी और सिक्योरिटीज में किये गए ट्रांजेक्शनों को गुड्स की डेफिनेशन में शामिल नहीं किया जाता, इसलिए मनी या सिक्योरिटीज में किया गया ट्रांजेक्शन सप्लाई के पहले रूल का पालन नहीं कर रहा, जिसमे कहा जा रहा है कि सप्लाई गुड्स या सर्विसेज की ही की जा रही हो। इसलिए इस तरह के ट्रांजेक्शन जीएसटी के दायरे में नहीं आयेंगे।

हालाँकि जीएसटी लॉ में कुछ अपवाद भी बताये गए, जिनमे अगर किसी ट्रांजेक्शन में ऊपर बताये गए सप्लाई का कोई एलिमेंट नहीं होता है, तो वह ट्रांजेक्शन भी GST के दायरे में आएगा, अगर कुछ कंडीशन पूरी होती है।

क्या कोई ट्रांजेक्शन फ्री ऑफ़ कॉस्ट ( Without consideration ) के किये जा रहे है, तो उन पर भी जीएसटी चार्ज किया जायेगा ? (supply without consideration under gst)

जीएसटी में सप्लाई के 3 इम्पोर्टेन्ट एलिमेंट्स में एक एलिमेंट यह भी है कि सप्लाई किसी प्रतिफल (consideration ) के बदले में होनी चाहिए। अगर सप्लाई बिना कन्सीडरेशन के की जा रही है तो यह ट्रांजेक्शन सप्लाई का ट्रांजेक्शन नहीं माना जायेगा और सप्लाई नहीं मानने के कारण इस ट्रांजेक्शन पर जीएसटी चार्ज नहीं किया जा सकता।

लेकिन, जीएसटी लॉ में कुछ ऐसे transaction बताये है जो कि अगर without consideration के किये जा रहे है, तो भी उन ट्रांजेक्शनों को सप्लाई माना जायेगा और gst चार्ज किया जायेगा।

जिन भी cases में बिना consideration के किये गए ट्रांजेक्शनों को सप्लाई माना जाता है उन सभी को CGST एक्ट के schedule I में बताया गया है।

schedule I में बताये गए सभी cases के बारे में हम नीचे विस्तार से चर्चा करेंगे।

Permanent transfer/disposal of business assets (para 1 of schedule I ) – 

अगर किसी भी पर्सन द्धारा अपनी बिज़नेस असेट्स को किसी अन्य पर्सन को ” free of cost ” परमानेंट ट्रांसफर किया जा रहा हो या इनका डिस्पोजल किया जा रहा हो, तो इस तरह के ट्रांजेक्शन को without consideration के होने के बावजूद सप्लाई माना जायेगा और जीएसटी चार्ज किया जायेगा।

जैसे – जीएसटी में रजिस्टर्ड पर्सन द्धारा अपने बिज़नेस में यूज़ आने वाला लेपटॉप अपने किसी दोस्त को बिना किसी प्रतिफल के परमानेंट ट्रांसफर किया जाता है, तो यह ट्रांजेक्शन सप्लाई माना जायेगा और जीएसटी के लिए liable होगा।

बिज़नेस असेट्स के परमानेंट ट्रांसफर या डिस्पोजल के ट्रांजेक्शन “free of cost ” होने के बावजूद तब ही जीएसटी के लिए liable होंगे, जब इस तरह की बिज़नेस असेट्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम की जा चुकी हो।

अगर किन्ही बिज़नेस असेट्स की इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने के लिए जीएसटी लॉ में मनाही है या रजिस्टर्ड पर्सन द्धारा ITC क्लेम नहीं की गयी हो, तो ऐसी बिज़नेस असेट्स का परमानेंट ट्रांसफर या डिस्पोजल gst के दायरे में नहीं आएंगे।

परमानेंट ट्रांसफर या डिस्पोजल पर जीएसटी तभी चार्ज किया जायेगा, जब ये 3 कंडीशंस पूरी होती है, –
  1. business assets का ट्रांसफर या डिस्पोजल होना चाहिये,
  2. transfer or disposal का नेचर परमानेंट होना चाहिए,
  3. इन बिज़नेस असेट्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम की गयी हो।

अगर इन तीनो कंडीशंस में एक भी कंडीशन पूरी नहीं होती तो यह ट्रांजेक्शन GST के लिए liable नहीं होगा।

related या distinct पर्सन के बीच सप्लाई (para 2 of schedule I )- 

cgst act के schedule I के अनुसार यदि किन्ही रिलेटेड पर्सन या distinct पर्सन के बीच में गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई  होती है और यह सप्लाई बिना प्रतिफल के होती है, तो इस तरह के ट्रांजेक्शन भी जीएसटी के दायरे में आएंगे।

हालाँकि, ऐसे ट्रांजेक्शन बिज़नेस के सम्बन्ध में ही होने चाहिए।

रिलेटेड पर्सन की डेफिनेशन में किन को शामिल किया जाता है ?

जीएसटी लॉ के अनुसार निम्न पर्सन्स को रिलेटेड पर्सन की परिभाषा में शामिल किया जायेगा –

  • एक – दूसरे के बिज़नेस में ऑफिसर्स/डायरेक्टर्स
  • लीगली recognised पार्टनर्स,
  • एम्प्लायर – एम्प्लोयी
  • एक के द्धारा किसी दूसरे पर कंट्रोल
  • तीसरे पर्सन द्धारा दोनों पर्सन पर कंट्रोल
  • दोनों पर्सन का किसी तीसरे पर्सन पर control हो
  • फॅमिली मेंबर्स,
  • दोनों में से एक किसी दूसरे का sole agent/ sole distributor/sole concessionaire हो।
distinct person की परिभाषा में किसे शामिल किया जाता है ?

GST LAW में पैन बेस्ड रजिस्ट्रेशन किया जाता है , इसलिए same PAN से जितने भी पर्सन बिज़नेस करते है, चाहे एक स्टेट में या अलग स्टेट में आपस में distinct पर्सन माने जायेंगे।

यह जरुरी नहीं कि सभी distinct person रजिस्टर्ड ही हो, क्योकि कई बार कोई पर्सन किसी जगह पर सिर्फ नॉन टैक्सबेल गुड्स की ही सप्लाई करता है। इसलिए उसे उस लोकेशन पर रजिस्ट्रेशन लेने की अनिवार्यता नहीं होती है।

Principal – agent ( para 3 of schedule I )

जीएसटी लॉ के अनुसार जब कोई एजेंट प्रिंसिपल के behalf पर गुड्स की सप्लाई करता है, तो यह ट्रांजेक्शन बिना किसी प्रतिफल के भी किया जाता है, तो भी इस ट्रांजेक्शन को सप्लाई माना जायेगा ।

इसी तरह जब कोई एजेंट अपने प्रिंसिपल के behalf पर गुड्स प्राप्त करता है, तो इस तरह का ट्रांजेक्शन भी सप्लाई माना जायेगा, चाहे यह without consideration के ही किया जाये।

हालाँकि schedule I में सिर्फ प्रिंसिपल और एजेंट के बीच किये गए गुड्स के ट्रांजेक्शन को ही शामिल किया गया है।

यदि, प्रिंसिपल – एजेंट के बीच में सर्विसेज के ट्रांजेक्शन होते है और उनमे प्रतिफल नहीं होता है, तो इस तरह के ट्रांजेक्शन को supply नहीं माना जायेगा और जीएसटी के लिए liable नहीं होंगे।

Importation of services ( para 4 of schedule I )

यदि, कोई पर्सन किन्ही सर्विसेज को इम्पोर्ट करता है और यह इम्पोर्ट बिना प्रतिफल के किया जाता है, तो इस तरह के ट्रांजेक्शन को भी CGST एक्ट के schedule I में शामिल किया गया है और जीएसटी के लिए liable होंगे।

हालाँकि, without consideration के सर्विसेज का इम्पोर्ट उसी केस में सप्लाई माना जायेगा, जब यह ट्रांजेक्शन रिलेटेड पार्टियों में हो या एक पर्सन द्धारा अपनी किसी अन्य establishments से किया जाये, जो कि भारत के बाहर स्थित हो। साथ ही ऐसा ट्रांजेक्शन बिज़नेस के सम्बन्ध में होना चाहिये।

जैसे – भारत की पेटीएम कंपनी चीन की अलीबाबा कंपनी से कोई सर्विसेज लेती है और अलीबाबा कंपनी इस तरह की सर्विसेज के लिए पेटीएम से कोई अमाउंट चार्ज नहीं करती है।  अलीबाबा और पेटीएम दोनों रिलेटेड कंपनी है।

इस केस में पेटीएम द्धारा सर्विसेज का इम्पोर्ट किया गया और वह भी free of cost . इस तरह के ट्रांजेक्शन को CGST एक्ट के schedule I में सप्लाई माना जायेगा और इस पर जीएसटी चार्ज किया जायेगा।

इसी तरह भारत के mr x अपने अमेरिका में रहने वाले भाई mr y से पर्सनल काम के लिए कोई सर्विसेज लेते है, जिनके बदले mr y द्धारा कोई प्रतिफल चार्ज नहीं किया जाता, इस केस में इस ट्रांजेक्शन को सप्लाई नहीं माना जायेगा, क्योकि यह सर्विसेज पर्सनल काम के लिए इम्पोर्ट की गयी है न कि बिज़नेस के लिए।

इसलिए इस ट्रांजेक्शन पर कोई जीएसटी चार्ज नहीं किया जायेगा।

 

 

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