Taxability of leave encashment (section 10(10AA) ) – एम्प्लोयी को उसके सर्विस पीरियड में काफी तरह की छुटियाँ दी जाती है, ये छुटियाँ एम्प्लोयी को उसके कंपनी में काम करने के बदले में दी जाती है । ये छुटियाँ अलग – अलग तरह की होती है, जैसे – हॉलिडे लीव, कैजुअल लीव, मैटरनिटी लीव, मेडिकल लीव आदि ।
एम्प्लोयी को मिलने वाली इन छुट्टियों में से कुछ छुटियाँ उसके द्वारा ली जाती है और कुछ छुटियाँ एम्प्लोयी द्वारा क्लेम नही की जाती है । हालांकि, इन छुट्टियों (leaves) में से कुछ छुटियाँ ऐसी भी होती है, जिनको नही लेने पर एम्प्लायर द्वारा एम्प्लोयी को कैश दिया जाता है। इस तरह की छुट्टियों को पेड लीव ( paid leave) भी कहा जाता है ।
जब एम्प्लोयी को इन छुट्टियों के बदले में कैश मिलता है, तो इसे लीव इनकैशमेन्ट (leave encashment ) कहा जाता है ।
एम्प्लोयी को एक वर्ष में कितनी पेड लीव दी जाएगी यह कंपनी द्वारा पहले से निर्धारित होता है, जैसे – कोई कंपनी एक वर्ष में एम्प्लोयी को 30 पेड लीव्स देती है । एम्प्लोयी द्वारा इनमें से सिर्फ 20 का ही यूज़ किया जाता है, तो कंपनी द्वारा एम्प्लोयी को बची हुई 10 छुट्टियों के पैसे दे दिए जाएंगे ।
जब एम्प्लोयी को leave encashment के तौर पर कंपनी से कैश प्राप्त होता है, तो यह एम्प्लोयी की सैलरी इनकम में ही शामिल किया जाता है ।
पेड लीव्स की एक खास बात होती है, कि अगर एम्प्लोयी द्वारा किसी वर्ष में पूरी पेड लीव को काम मे नही लिया जाता है, तो बची हुई लीव्स को आगे के वर्षो में कैरी फॉरवर्ड कर दिया जाता है ।
जैसे – एम्प्लोयी को वर्ष में 30 paid leave प्राप्त होती है, जबकि एम्प्लोयी द्वारा सिर्फ 20 पेड लीव का ही यूज़ किया जाता है, तो इस केस में बची हुई 10 पेड लीव को आगे के वर्ष में कैरी फॉरवर्ड कर दिया जाएगा ।
ध्यान रखे – एम्प्लोयी को सभी तरह की छुट्टियों को कैरी फॉरवर्ड करने का ऑप्शन नही मिलता है, सिर्फ पेड लीव ही कैरी फॉरवर्ड की जा सकती है । अन्य तरह की छुट्टियाँ कैलेंडर वर्ष की समाप्ति के बाद समाप्त हो जाती है ।
एम्प्लोयी के पास इन छुट्टियों को अपने सर्विस काल या रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने के केस मे कैश करने का ऑप्शन रहता है ।
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- सैलरी इनकम पर टैक्स की कैलकुलेशन से जुड़े बेसिक कांसेप्ट। income tax on salary
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Table of Contents
Taxability of leave encashment | लीव सैलरी पर इनकम टैक्स लगाने के रूल्स
लीव इनकैशमेन्ट को एम्प्लोयी की सैलरी इनकम माना जाता है और यह इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइलिंग के समय सैलरी हेड में रिपोर्टेबल होती है ।
Leave encashment पर टैक्स लगाने के रूल्स गवर्नमेंट एम्प्लोयी और नॉन – गवर्नमेंट एम्प्लोयी के केस में अलग – अलग होते है ।
इसके अलावा एम्प्लोयी द्वारा इन पेड लीव्स को कब कैश करवाया जा रहा है, का भी leave encashment पर टैक्स लगाने का बहुत प्रभाव पड़ता है ।
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एम्प्लोयी द्वारा लीव इनकैशमेन्ट को कब क्लेम किया जा सकता है ? leave encashment eligibility
एम्प्लोयी द्वारा leave encashment को दो बार क्लेम किया जा सकता है –
सर्विस पीरियड में –
एम्प्लोयी द्वारा अपने सर्विस पीरियड में भी छुट्टियों को कैश करवाया जा सकता है । अगर एम्प्लोयी द्वारा अपने सर्विस पीरियड में अपनी पेड लीव को कैश करवाया जाता है, तो यह एम्प्लोयी की उस वर्ष की सैलरी में शामिल की जाएगी और इन पर टैक्स लगाया जाएगा ।
सर्विस पीरियड में leave encashment मिलने पर यह सभी तरह के एम्प्लाइज के लिए टैक्सेबल होता है । चाहे एम्प्लोयी गवर्नमेंट हो या नॉन गवर्नमेंट, उसे सर्विस पीरियड में मिले leave encashment पर टैक्स देना ही होगा ।
जैसे – शर्मा जी के पास अपने सर्विस काल के दौरान 100 पेड लीव अवेलेबल थी । शर्मा जी ने उनमें से 30 पेड लीव के बदले में कैश अपने सर्विस पीरियड के दौरान ही प्राप्त कर लिया ।
इन पेड लीव के बदले में शर्मा जी को 70,000 रुपये leave encashment के तौर पर प्राप्त हुए । इस केस में शर्मा जी को प्राप्त 70,000 पूरे टैक्सेबल होंगे, इसमे से किसी भी अमाउंट की टैक्स छूट नही दी जाएगी । इस बात से कोई फर्क नही पड़ेगा कि शर्मा जी गवर्नमेंट एम्प्लोयी है या नॉन गवर्नमेंट एम्प्लोयी । बची हुई 70 पेड लीव्स को आगे कैरी फॉरवर्ड कर दिया जाएगा ।
एम्प्लोयी को रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने के समय प्राप्त लीव सैलरी (tax on leave encashment on retirement)-
अगर एम्प्लोयी द्वारा लीव सैलरी को अपने रिटायरमेंट के समय या नौकरी छोड़ने के समय प्राप्त किया जाता है, तो टैक्स लगाने के उद्देश्य से इसे 2 टाइप्स में अलग किया जाता है –
- गवर्नमेंट एम्प्लोयी
- नॉन – गवर्नमेंट एम्प्लोयी
गवर्नमेंट एम्प्लोयी के केस में leave encashment पर इनकम टैक्स लगाने के रूल्स क्या होंगे ?
जैसे कि हमने पहले ही चर्चा की थी कि एम्प्लोयी द्वारा सर्विस पीरियड के दौरान अपनी पेड लीव के बदले में कैश लिया जाता है, तो यह गवर्नमेंट और प्राइवेट दोनों तरह के एम्प्लोयी के केस में पूरी तरह से टैक्सेबल होगा ।
हालांकि, एम्प्लोयी द्वारा सेक्शन 89(1) में leave encashment की रिलीफ क्लेम की जा सकती है ।
लेकिन, एम्प्लोयी के रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने के समय यह स्थिति अलग हो जाती है और इस स्थिति में एम्प्लोयी को गवर्नमेंट और नॉन – गवर्नमेंट एम्प्लोयी के तौर पर अलग किया जाता है ।
गवर्नमेंट एम्प्लोयी के केस में रिटायरमेंट के समय प्राप्त leave encashment की राशि पूरी तरह से exempt होती है, इस पर सरकारी कर्मचारी को किसी तरह का कोई टैक्स नही देना होता है ।
Leave encashment की राशि को पहले सरकारी कर्मचारी की सैलरी में जोड़ा जाएगा और इसके बाद इसकी सेक्शन 10(10AA)(i) में छूट दी जाएगी ।
जैसे – शर्मा जी को रिटायरमेंट के समय 3 लाख का leave encashment मिला । तो इस केस में शर्मा जी पूरे के पूरे leave encashment की सेक्शन 10(10AA)(i) में exemption क्लेम कर सकते है ।
नॉन – गवर्नमेंट एम्प्लोयी के केस में leave encashment पर इनकम टैक्स लगाने के रूल्स क्या होंगे ?
नॉन – गवर्नमेंट एम्प्लोयी को रिटायरमेंट के समय मिलने वाली लीव इनकैशमेन्ट टैक्सेबल होती है, लेकिन इसके कुछ पार्ट की एम्प्लोयी द्वारा सेक्शन 10(10AA) में Exemption ली जा सकती है ।
गैर – सरकारी कर्मचारी द्वारा सेक्शन 10(10AA) में लीव सैलरी के कुछ पार्ट की छूट ली जा सकती है, जो कि नीचे बताये गए अमाउंट में से सबसे कम अमाउंट की प्राप्त होगी (leave encashment exemption )-
- ₹ 3,00,000
- प्राप्त लीव सैलरी (leave encashment received )
- 10 महीने की सैलरी ( लास्ट 10 महीने की सैलरी पर बेस्ड एवरेज सैलरी)
- 10 महीने की एवरेज सैलरी के आधार पर लीव सैलरी का cash equivalent ( यह प्रत्येक वर्ष 30 दिनों से ज्यादा की नही हो सकती है )
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Leave encashment पर टैक्स लगाते समय ध्यान रखने योग्य रूल्स (Taxability of leave encashment ) –
- एम्प्लोयी की जॉब के दौरान प्राप्त लीव सैलरी सरकारी और गैर – सरकारी, दोनों तरह के कर्मचारियों के लिए पूरी तरह टैक्सेबल होती है ।
- 3,00,000 की अधिकतम exemption क्लेम की जा सकती है, अगर एम्प्लोयी द्वारा पुराने एम्प्लायर से लीव सैलरी प्राप्त की जाती है और उसकी सेक्शन 10(10AA) में exemption प्राप्त की जाती है, तो दूसरे एम्प्लायर से लीव सैलरी के संबंध में exemption प्राप्त करते समय पहले क्लेम की गई exemption को 3 लाख की लिमिट से कम कर दिया जाएगा ।
- यदि एम्प्लोयी को किन्ही दो एम्प्लायर से लीव सैलरी किसी एक ही वर्ष में मिलती है, तो सेक्शन 10(10AA) में क्लेम की जाने वाली कुल exemption 3 लाख से ज्यादा नही हो सकती है ।
- लीव सैलरी के लिए एवरेज सैलरी निकालने के लिए सैलरी में basic सैलरी, dearness allowance (रिटायरमेंट बेनिफिट ) और टर्नओवर पर प्राप्त फिक्स्ड कमीशन को लिया जाएगा ।
- पिछले 10 महीनों की सैलरी के लिए रिटायरमेंट से तुरंत पहले के 10 महीने लिए जाएंगे ।
- एम्प्लोयी की डेथ के केस में लीव सैलरी उसके फैमिली मेंबर्स को दी जा रही है, तो लीव सैलरी टैक्स फ्री होगी ।
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लीव सैलरी की टैक्स छूट को क्लेम करने के example | leave encashment amount calculation
Illustration
शर्मा जी 20 वर्ष की सर्विस पूरी करने के बाद 1 दिसंबर 2022 को जॉब से रिटायर हुए । रिटायरमेंट के समय शर्मा जी को 5 लाख की लीव सैलरी प्राप्त हुई । रिटायरमेंट के समय अन्य सैलरी की डिटेल्स –
Basic salary – 5000 प्रति महीना
Dearness allowance – 3000 प्रति महीना ( 60 % पार्ट रिटायरमेंट बेनिफिट से जुड़ा है )
Commission – 1000 प्रति महीना
Bonus – 1500 प्रति महीना
Leave availed during service – 480 days
शर्मा जी प्रत्येक वर्ष के लिए 30 दिनों की पेड लीव के हकदार है । इस केस में शर्मा जी द्वारा सेक्शन 10(10AA) में कितनी Exemption क्लेम की जा सकती है और कितना अमाउंट लीव सैलरी के तौर पर टैक्सेबल होगा ।
Solution –
केस 1 – अगर शर्मा जी एक गवर्नमेंट एम्प्लोयी है –
Leave salary received at the time of retirement | 5,00,000 |
Less – Exemption section 10(10AA) | 5,00,000 |
Taxable leave salary | Nil |
नोट – सरकारी एम्प्लोयी को रिटायरमेंट के समय मिलने वाली leave encashment की राशि सेक्शन 10(10AA) में पूरी तरह से exempt होती है ।
केस 2 – अगर शर्मा जी एक नॉन गवर्नमेंट एम्प्लोयी है –
Leave salary received | 5,00,000 |
Less – exemption section 10(10AA) (see below) | 26,400 |
Taxable leave salary | 4,73,600 |
नोट- शर्मा जी द्वारा सेक्शन 10(10AA) में नीचे बताये गए अमाउंट में सबसे कम अमाउंट की exemption क्लेम की जा सकती है ।
- प्राप्त लीव सैलरी – ₹ 5,00,000
- निर्धारित लिमिट – ₹ 3,00,000
- 10 महीने की एवरेज सैलरी – 10* ( 5000*10 + 1800*10 )/10 = 66,000
- बची हुई पेड लीव का 10 महीनों की एवरेज सैलरी के बेसिस पर cash equivalent ( हर वर्षो के लिए 30 दिनों से ज्यादा नही ) – ( leave due /30 days ) * average salary per month ) = ( 120 days/30 days) × 66,000/10 = 26,400
इन तीनो में सबसे कम अमाउंट 26,400 है , इसलिए शर्मा जी द्वारा सेक्शन 10 (10AA) में 26,400 की exemption क्लेम की जा सकती है ।
शर्मा जी को सेक्शन 10(10AA) में Exemption क्लेम को कैलकुलेट करने से जुड़े इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स –
- एवरेज सैलरी को निकालने के लिए सिर्फ बेसिक सैलरी (5000 प्रति महीना) और dearness अलाउंस को लिया जाएगा । dearness अलाउंस को भी सिर्फ रिटायरमेंट बेनिफिट की सीमा तक ही लिया जाएगा । 3000 प्रति महीने के dearness अलाउंस में 60 % पार्ट रिटायरमेंट बेनिफिट से जुड़ा हुआ है, इसलिए 3000*60% = 1800 रुपये प्रति महीने का DA लिया जाएगा ।
- एवरेज सैलरी में कमीशन नहीं लिया जायेगा, क्योकि टर्नओवर पर आधारित फिक्स्ड कमीशन को ही एवरेज सैलरी की कैलकुलेशन में लिया जाता है।
- एम्प्लोयी को प्रत्येक वर्ष के लिए अधिकतम 30 दिनों की ही पेड लीव दी जाएगी । इसलिए एम्प्लोयी को कुल 30× 20 Years = 600 दिनों की पेड लीव के लिए ही सैलरी दी जाएगी ।
- 600 दिनों में से 480 दिनों की पेड लीव के सम्बंध में एम्प्लोयी ने पहले ही लीव सैलरी प्राप्त कर ली थी, इसलिए एम्प्लोयी को बची हुई पेड लीव की हुई exemption दी जाएगी ।
- बची हुई पेड लीव = 600 days – 480 days = 120 days
Conclusion – लीव सैलरी पर इनकम टैक्स लगाने या टैक्स एग्जेम्पशन क्लेम करने के लिए 2 चीजे सबसे जरुरी होती है, पहली लीव सैलरी कब मिल रही है और दूसरी यह गवर्नमेंट एम्प्लोयी को प्राप्त हो रही है या नॉन गवर्नमेंट एम्प्लोयी को। लीव सैलरी भी एम्प्लोयी के रिटायरमेंट बेनिफिट्स का इम्पोर्टेन्ट हिस्सा होती है, इसलिए इसकी टैक्सबिलिटी के सम्बन्ध में सही जानकारी होना बहुत जरुरी है।
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