types of income tax returns | इनकम टैक्स रिटर्न के इन 6 टाइप्स को जाने, आईटीआर फाइलिंग में नहीं होगी कोई गलती

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types of income tax returns

types of income tax returns – अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना चाहते है, तो आपको इनकम टैक्स एक्ट 1961 के रूल्स का ध्यान रखना होगा । रिटर्न फाइलिंग की प्रोसेस में अगर आप इनकम टैक्स एक्ट के रूल्स को भूलते है, तो आपकी रिटर्न गलत हो सकती है । इसलिए इन रूल्स को जानना सबसे ज्यादा जरूरी होता है ।

 अगर आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न खुद फाइल करते है, तो आपको यह पता होगा कि रिटर्न फ़ाइल करते समय आईटीआर फॉर्म में आपसे यह जानकारी मांगी जाती है, कि आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न कौंनसे सेक्शन में फ़ाइल कर रहे है ।

 आईटीआर फॉर्म्स में आपको अलग – अलग सेक्शन के कॉलम दिए जाते है, जिनमे से एक को आपको सलेक्ट करना होता है ।  किसी भी कॉलम को आप तभी सलेक्ट कर सकते है, जब आपको यह पता हो कि आपकी रिटर्न का टाइप कौनसा है ।

इसलिए आज के आर्टिकल (types of income tax returns) में हम इनकम टैक्स रिटर्न के अलग – अलग टाइप्स के बारे में चर्चा करेंगे, ताकि आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करते समय कोई गलती न करे ।

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नार्मल रिटर्न – section 139(1) | types of income tax returns

इनकम टैक्स रिटर्न का सबसे पहला टाइप नार्मल रिटर्न का होता है । नार्मल रिटर्न उन टैक्सपेयर्स द्वारा फ़ाइल की जाती है, जिनको इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना अनिवार्य होता है ।

 नार्मल रिटर्न को आप “Due Dates” से पहले फ़ाइल की जाने वाली रिटर्न्स के तौर पर भी जान सकते है । अगर आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न को लास्ट डेट से पहले फ़ाइल कर रहे है, तो आपको आईटीआर फॉर्म्स में सेक्शन 139(1) को सलेक्ट करना होगा ।

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 Return of Loss – section 139(3) of income tax act 1961 

अगर आपकी किसी वर्ष में कोई इनकम नही है और सिर्फ losses है, या इनकम से ज्यादा losses है, तो आपके द्वारा फ़ाइल की जाने वाली रिटर्न को लॉस रिटर्न माना जायेगा ।

 Loss return को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139(3) में बताया गया है और इस तरह की रिटर्न होने पर उन्हें लास्ट डेट से पहले फ़ाइल करना अनिवार्य होता है ।

अगर लास्ट डेट के बाद फ़ाइल करते है, तो आप अपने बिज़नेस या कैपिटल गेन हेड से जुड़े losses को सेट ऑफ और कैरी फारवर्ड नही कर पाएंगे । Loss रिटर्न के लास्ट डेट से पहले फ़ाइल करने के रूल की वजह से आईटीआर फॉर्म में आपको रिटर्न टाइप में सेक्शन 139(1) सलेक्ट करना होगा ।

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 बिलेटेड इनकम टैक्स रिटर्न – section 139(4)

 लास्ट डेट के बाद फ़ाइल की जाने वाली इनकम टैक्स रिटर्न्स को बिलेटेड रिटर्न्स कहा जाता है । आपके द्वारा रिटर्न फ़ाइल किया जाना अनिवार्य था या नही, अगर आपने लास्ट डेट से पहले अपनी रिटर्न फ़ाइल नहीं की है और लास्ट डेट के बाद रिटर्न फ़ाइल करते है, तो आपकी रिटर्न बिलेटेड इनकम टैक्स रिटर्न मानी जायेगी ।

 बिलेटेड रिटर्न के केस में आईटीआर फॉर्म में आपको सेक्शन 139(4) को सलेक्ट करना होगा । 

 बिलेटेड रिटर्न को फ़ाइल करने की टाइम लिमिट संबंधित असेसमेंट ईयर की 31 दिसंबर होती है । ध्यान रखे बिलेटेड रिटर्न को फ़ाइल करने पर सेक्शन 234F में लेट फ़ीस चार्ज की जाती है ।

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 रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न – सेक्शन 139(5)

आपके द्वारा जमा की गई इनकम टैक्स रिटर्न में कोई गलती हो जाती है या इसमे किसी चीज की सूचना देना भूल जाते है, तो इस रिटर्न में सुधार करने के लिए रिवाइज्ड रिटर्न फ़ाइल की जाती है ।

रिवाइज्ड रिटर्न को तभी भरा जा सकता है, जब आपने अपनी इनकम टैक्स रिटर्न को जमा करवा दिया हो और अब इसे बदलना चाहते है ।

रिवाइज्ड रिटर्न को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139(5) में फ़ाइल किया जाता है । रिवाइज्ड रिटर्न को फ़ाइल करने की समय सीमा संबंधित असेसमेंट ईयर के 31 दिसंबर तक होती है ।

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अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न – सेक्शन 139(8A)

Updated इनकम टैक्स रिटर्न का कांसेप्ट बजट 2022 में लाया गया । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की थी ।

अगर टैक्सपेयर द्वारा अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल नही की गई है या फ़ाइल की गई रिटर्न में टैक्सपेयर कुछ बदलाव चाहता है, जिसकी वजह से उसकी टैक्स लायबिलिटी बढ़ सकती है, तो उसके द्वारा अपडेटेड रिटर्न फ़ाइल की जा सकती है ।

अपडेटेड रिटर्न को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139(8A) में फ़ाइल किया जा सकता है । इस रिटर्न को फ़ाइल करने की टाइम लिमिट संबंधित असेसमेंट ईयर की समाप्ति से 2 वर्ष के भीतर की होती है । 

 नोट – यह रिटर्न असेसमेंट ईयर 2020-21 से फ़ाइल की जा सकती है ।

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डिफेक्टिव इनकम टैक्स रिटर्न – सेक्शन 139(9)

आपने अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल कर दी, लेकिन इनकम टैक्स ऑफिसर को आपकी रिटर्न में कुछ गलती नजर आती है, तो वह आपको नोटिस भेजकर इस गलती को सुधारने के लिए कह सकता है ।

 नोटिस को प्राप्त करने के बाद आपको इनकम टैक्स ऑफिसर द्वारा बताई गई गलती को सही करना होता है और अपनी रिटर्न को वापस से अपलोड करना होता है ।

 इनकम टैक्स रिटर्न के इस टाइप को डिफेक्टिव इनकम टैक्स रिटर्न कहा जाता है । डिफेक्टिव इनकम टैक्स रिटर्न को सेक्शन 139(9) में फ़ाइल किया जाता है ।

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