इनकम टैक्स रिटर्न को लास्ट डेट से पहले फाइल करने पर इसे नार्मल रिटर्न कहा जाता है , लेकिन जब इसे लास्ट डेट के बाद फाइल करते है , तो इसे बिलेटेड रिटर्न कहा जाता है।
बिलेटेड रिटर्न को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139(4) में फाइल किया जाता है और इसे फाइल करने पर आपसे लेट फीस भी चार्ज की जाती है।
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बिलेटेड रिटर्न सम्बंधित असेसमेंट ईयर के 31 दिसंबर 2022 तक फाइल किया जा सकता है, इस डेट के बाद इसे फाइल नहीं किया जा सकता।
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बिलेटेड रिटर्न को फाइल करने पर सेक्शन 234F में अधिकतम 5000 की लेट फीस चार्ज की जाती है। 5 लाख से कम इनकम होने पर 1000 की लेट फीस चार्ज की जाती है।
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अगर आपके द्वारा बिलेटेड रिटर्न फाइल की जाती है , तो आपको टैक्स अमाउंट पर 1 % की रेट से सेक्शन 234A में ब्याज का भुगतान करना होगा।
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बिलेटेड रिटर्न को फाइल करने का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि इसमें आपके द्वारा बिज़नेस या कैपिटल गेन हेड के losses को सेट ऑफ नहीं किया जा सकेगा।
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हालाँकि ,हाउस प्रॉपर्टी हेड से जुड़े losses को बिलेटेड रिटर्न फाइल करने पर भी क्लेम किया जा सकता है।
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