What is GST in Hindi – GST का फुल फॉर्म है गुड्स एंड सर्विस टैक्स (goods & service tax) जो कि एक Indirect tax है जिसे भारत में 1 जुलाई 2017 से लागु किया गया है। जीएसटी सम्पूर्ण भारत पर लागू होता है (जम्मू एंड कश्मीर भी शामिल है ) . भारत में जीएसटी को लाने का सबसे पहले प्रस्ताव केलकर कमिटी ने वर्ष 2004 में दिया था।
इसके बाद फाइनेंस मिनिस्टर पी चिदंबरम ने 28-02-2006 को दिए गए बजट भाषण में जीएसटी के बारे में बताया था और इसे भारत में लागू करने कर प्रस्ताव दिया था। लेकिन राजनैतिक कारणों की वजह से उस समय इसे लागू नहीं किया जा सका।
आज जीएसटी को लागु होने के इतने दिनों बाद भी लोग अभी तक पूरी तरह नहीं समझ पाये है कि वास्तव में gst kya hai है।
तो आज के आर्टिकल (What is gst in Hindi) में हम गुड्स एंड सर्विस टैक्स कुछ पहलुओं के बारे में जानेंगे –
- gst kya hai – what is gst in hindi
- गुड्स एंड सर्विस टैक्स क्यों जरुरी है ?
- गुड्स एंड सर्विस टैक्स कैसे टैक्स पर टैक्स (cascading effect ) को खत्म करता है ? (जीएसटी के लाभ )
- goods & service tax (वस्तु एवं सेवा कर ) किन टैक्सों को हटाकर लाया गया ?
- गुड्स और सर्विस टैक्स में इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या होती है ?
- जीएसटी कितने प्रकार के होते है ?- types of gst in hindi
- ऐसे गुड्स की लिस्ट जिन पर अभी तक गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू नहीं किया गया।
- जीएसटी में inter state supply और intra state supply क्या होती है ?
Table of Contents
GST kya hai ? What is GST in Hindi –
जीएसटी एक डेस्टिनेशन बेस्ड टैक्स है जो कि गुड्स एंड सर्विसेज की सप्लाई पर सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट द्वारा लगाया जाता है। डेस्टिनेशन बेस्ड टैक्स से हम समझ सकते है कि जीएसटी उस राज्य द्वारा लिया जायेगा जहा पर गुड्स को उपयोग किया जा रहा है।
गुड्स & सर्विस टैक्स गुड्स की सप्लाई पर लगाया जाता है यानि की जीएसटी लगाने के लिए यह जरुरी नहीं है कि गुड्स को बेचा गया हो। अगर गुड्स को एक स्टेट से दूसरे स्टेट में ट्रांसफर किया जा रहा हो या एक ब्रांच से दूसरी ब्रांच में भी भेजा जा रहा हो तो भी जीएसटी लगाया जायेगा। लेकिन इस तरह भुगतान किये गए जीएसटी की क्रेडिट ली जा सकती है।
वस्तु एवं सेवा कर (GST ) को लागु करने से पहले गुड्स एंड सर्विसेज पर अलग -अलग तरह के Tax जैसे कि एक्साइज ड्यूटी, VAT, CST, service tax आदि लगाए जाते थे, लेकिन जीएसटी को लागू करने के बाद अधिकतर Indirect Taxes को हटा दिया गया है और इनके स्थान पर अब जीएसटी लगाया जाने लगा है यानि कि एक देश एक कर।
Goods and service tax और पहले के Indirect Taxes में टैक्स लगाने की टाइमिंग का भी अंतर है। जैसे जीएसटी को लागू करने से पहले गुड्स के निर्माण के समय एक्साइज ड्यूटी, गुड्स के बेचने पर सेल्स टैक्स, और सर्विसेज प्रदान करने पर सर्विस टैक्स लगाया जाता था लेकिन जीएसटी सिस्टम में जीएसटी गुड्स एंड सर्विसेज की सप्लाई पर लगाया जाता है।
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गुड्स एंड सर्विस टैक्स क्यों जरुरी है ? (Why GST)
जीएसटी को लागू करने के पीछे कारण यह है कि भारत में अलग अलग तरह के Indirect Taxes लगाये जाते थे जिनकी अलग अलग states में रेट्स भी अलग- अलग थी और जिसकी वजह से गुड्स की कीमत भी अलग अलग स्थानों पर अलग अलग होती थी।
लेकिन जीएसटी को लागु करने के बाद गुड्स की कीमत अब पूरे भारत में एक हो गयी है। आप भारत में कहीं से भी गुड्स purchase करो आपको रेट same ही मिलेगी।
इसके अलावा tax पर tax भी एक समस्या थी जिससे गुड्स की कीमत भी बढ़ जाती थी। GST system में इस समस्या को दूर किया गया है और GST सिर्फ सप्लायर द्वारा वैल्यू Addition पर ही लगाया जायेगा।
गुड्स & सर्विस टैक्स के लागू होने से पहले कोई भी व्यापारी जब भी एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ट्रांसफर करता था तो उसे उन गुड्स पर 2 % की रेट से Central sales tax (CST) का पेमेंट करना पड़ता था और इस टैक्स की उसे कोई छूट भी नहीं मिलती थी। ऐसा होने से वह जब गुड्स की selling price का निर्धारण करता तो उस टैक्स की राशि को भी गुड्स की लागत में शामिल करता जिससे गुड्स की कीमत बढ़ जाती थी।
लेकिन जीएसटी में उस टैक्स की छूट मिलने से टैक्स की राशि Goods की लागत में नहीं जोड़ी जाती, जिससे goods की कीमत में कमी आयी।
GST के लागू होने के बाद से एक स्टेट से दूसरे स्टेट में माल ट्रांसफर करने में काफी समस्या थी जैसे -अलग राज्य में माल ले जाने पर CST, Entry Tax, स्टेट वैट आदि की परेशानी। जीएसटी की वजह से इन सभी के हटने से गुड्स को ट्रांसफर करने में काफी कम परेशानी होती है।
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GST Remove The Cascading Effect (टैक्स पर टैक्स ) of Taxes – gst in hindi
GST को लागू करने के बाद कैस्केडिंग इफ़ेक्ट ऑफ़ टैक्सेज समाप्त हो जायेगा यानि कि कर पर कर प्रणाली अब जीएसटी सिस्टम में नहीं रहेगी।
इसको एक उदाहरण से समझते है –
Mr. A एक manufacturer है जिसने एक स्टेट से दूसरे स्टेट में Mr.B को माल बेचा जिस पर उसने एक्साइज ड्यूटी और CST का भुगतान किया। Mr. B ने आगे उसी स्टेट में माल बेचा जिस पर Mr. B ने वैट चुकाया।
बी को वैट के भुगतान पर उसके द्वारा Mr. A को भुगतान की गयी एक्साइज ड्यूटी और CST के भुगतान की क्रेडिट नहीं मिलेगी जिससे माल के मूल्य में एक्साइज ड्यूटी और CST का मूल्य भी जोड़ा जायेगा और आगे इन सब के कुल मूल्य पर टैक्स लगाकर आगे बेचा जायेगा।
जबकि जीएसटी सिस्टम में भुगतान किये गए टैक्स की क्रेडिट मिलेगी और गुड्स के मूल्य में tax की कीमत शामिल नहीं की जायेगी।
अप्रत्यक्ष कर जो समाप्त कर दिए गए है ( Indirect Taxes Removed After The Implementation of goods and services tax – what is gst in Hindi )
जीएसटी लागू करने के बाद कई तरह के अप्रत्यक्ष कर (indirect Taxes) को समाप्त कर दिया गया है जैसे कि –
- सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी & एडिशनल एक्साइज ड्यूटी
- सर्विस टैक्स
- एक्साइज ड्यूटी अंडर मेडिसिन & टॉयलेट प्रिपरेशन एक्ट
- कांउटर वैलिंग ड्यूटी (CVD ) एंड स्पेशल काउंटर वैलिंग ड्यूटी ( Special CVD )
- सेंट्रल सेल्स टैक्स ( CST )
- सरचार्ज एंड सेस ( Relates to सप्लाई एंड गुड्स )
- स्टेट सरचार्ज एंड सेस ( Relates to सप्लाई एंड गुड्स )
- एंटरटेनमेंट टैक्स
- लाटरी, बेटिंग, और गैंबलिंग पर टैक्स
- एंट्री टैक्स
- Purchase टैक्स
- वैट/ सेल्स टैक्स
- लक्ज़री टैक्स
- टैक्सेज ऑन Advertisement .
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Input Tax Credit Under Gst System – गुड्स एंड सर्विस टैक्स में इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या है ?
जीएसटी सिस्टम में प्रत्येक स्टेज पर सप्लायर द्वारा की गयी वैल्यू Addition पर जीएसटी लगाया जाता है। प्रत्येक स्टेज पर सप्लायर प्राप्त किये गए गुड्स एंड/or सर्विसेज पर भुगतान किये गए जीएसटी की क्रेडिट प्राप्त करेगा और उसके द्वारा की गयी गुड्स & सर्विसेज की सप्लाई पर जो भी जीएसटी Payable होगा उससे जीएसटी क्रेडिट को सेट ऑफ करेगा व यदि कोई जीएसटी Payable का बैलेंस बेचता है तो उसका पेमेंट करेगा।
इसको एक उदाहरण से समझते है – Mr . A ने Mr. B को Rs. 1,00,000 का माल बेचा और उस पर 18 % का GST चार्ज किया। Mr B ने माल पर कुछ वैल्यू ऐड की और उसे Rs. 1,20,000 में बेचा और उस पर 18 % का GST चार्ज किया। अब Mr .B द्वारा GST Payable की कैलकुलेशन को देखते है –
Particular | Amount | Particular | Amount |
Mr.B Purchase Goods From Mr. A | 1,00,000 | Mr. B Sales Goods After Value Addition | 1,20,000 |
Gst @ 18 % | 18,000 | Gst @ 18 % | 21,600 |
Particular | Amount |
Gst Payable | 21,600 |
Credit Available | 18,000 |
Net Gst Payable | 3600 |
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What is Types of GST in hindi – structure of gst in hindi ( जीएसटी के प्रकार )
गुड्स एंड सर्विस टैक्स सिस्टम में जीएसटी के प्रकार – –
- CGST ( सेंट्रल गुड्स & सर्विस टैक्स ) – Payable to Central Government
- SGST ( स्टेट गुड्स & सर्विस टैक्स ) – Payable to State Government
- IGST ( इंटीग्रेटेड गुड्स & सर्विस टैक्स ) – Payable to Central Government
एक स्टेट से उसी स्टेट के भीतर ( Intra State Supply) गुड्स & सर्विसेज की सप्लाई करने पर Cgst & Sgst लगाए जाते है जबकि एक स्टेट से दूसरे स्टेट ( Inter State Supply) में गुड्स & सर्विसेज की सप्लाई करने पर IGST लगाया जायेगा।
लेकिन इन taxes के अलावा कुछ निर्धारित प्रोडक्ट्स पर जीएसटी compensation cess भी लगाया जायेगा। यह cess सेंट्रल सेल्स टैक्स के स्थान पर लगाया जायेगा।
Gst में नहीं आने वाले प्रोडक्ट्स
जीएसटी सभी गुड्स और सर्विसेज की सप्लाई पर लगाया जायेगा लेकिन कुछ प्रोडक्ट्स को अब तक इसमें शामिल नहीं किया गया है –
- Alcoholic Liquor For Human Consumption
- Petroleum Crude
- High Speed Diesel
- Motor Spirit
- Natural Gas
- Aviation Turbine Fuel
जीएसटी में Inter State Supply और Intra State Supply क्या है ?
Gst में गुड्स की सप्लाई को 2 पार्ट्स में बांटा गया है – (1 ) Intra State और (2) Inter State .
यदि गुड्स एक राज्य के भीतर ही सप्लाई किये जाते है तो इसे Intra State सप्लाई माना जायेगा और इस पर SGST और CGST लगाया जायेगा। और यदि गुड्स एक राज्य से दूसरे राज्य में सप्लाई किये जाते है तो इसे Inter State supply माना जायेगा और इस पर IGST चार्ज किया जायेगा।
IGST की रेट SGST और CGST दोनों की रेट के बराबर होती है।
यदि गुड्स भारत के बाहर सप्लाई किये जा रहे है या सेज़ डेवलपर या सेज़ यूनिट को या उनके द्वारा सप्लाई किये जा रहे है, तो इसे भी Inter State supply माना जायेगा और इस ट्रांजैक्शन पर IGST चार्ज किया जायेगा।
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sir Goods Purchase karne par goods ka Vikreta GSt Pay karega ya Goods ko purchase karne wale grahak GST pay karenga——-
Sir yadi grahak ko bill me samil GST Amount pay karna pade to krapiya GST ke Form no. ke bare me jankari pradan kijiyega….
Goods purchaser gst ka payment seller ko karta hai jiska seller dhwara government ko payment kiya jata hai. Aage goods purchaser dhwara seller ko kiye gaye payment ki input tax credit prapt hoti hai . Jisko purchaser apni gst return me show karta hai . Agar purchaser(Grahak) gst me registered nahi hai to purchaser dhwara seller ko gst ka payment karna padta hai aur purchaser ki liability yahi khatam ho jati hai .
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bahut acchi or bahut kaam ki jankari hai.jinhe gst ke baare me nahi pata hai wo is post ko read kar ke gst ko samjh sakte hain.
मैने कैंपोजिशन लेे रखा है ओर में मध्यप्रदेश से हूं में गुजरात से माल मंगाना चाहता हूं।
क्या में ऐसा कर सकता हूं ?नहीं तो क्यों??
composition scheme me aap state ke bahar se goods purchase kar sakte hai, lekin purchase kiye gaye goods par jo igst ka payment kiya jayega uski input tax credit aap prapt nahi kar sakte ho.
lekin composition scheme me aap state ke bahar supply nahi kar sakte hai .
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Appne bahut achche jankari diya hai gst ke bare me.
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