Capital Gains Tax India in hindi – किसी भी सम्पति को जब हम कम प्राइस में खरीदकर अधिक प्राइस पर बेचते है, तो जो भी हमको प्रॉफिट होता है, उसे इनकम टैक्स एक्ट 1961 की भाषा में कैपिटल गेन कहा जाता है।
और इस कैपिटल गेन पर लगने वाले टैक्स को कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है।
हालाँकि, आज भी अधिकतर लोगो को कैपिटल गेन क्या होता है और कैपिटल गेन पर टैक्स किस प्रकार से लगाया जाता है, के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है।
लेकिन, वर्तमान में सबसे अधिक टैक्स नोटिस के मामले भी कैपिटल गेन की इनकम से जुड़े केसेज में ही आते है।
इसलिए जब भी आप प्रॉपर्टी, शेयर्स, म्यूच्यूअल फण्ड, गोल्ड या अन्य कोई असेट्स बेचे, तो इन सभी के सम्बन्ध में कैपिटल गेन टैक्स से जुड़े रूल्स को जरूर जान ले, ताकि बाद में आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
आज के आर्टिकल ( Capital Gains Tax India in hindi) में हम कैपिटल गेन टैक्स क्या होता है, कैपिटल गेन की कैलकुलेशन और दूसरे रूल्स के बारे में चर्चा करेंगे।
यह भी देखे :
- इनकम टैक्स नोटिस क्यों आते है ? – income tax notices in hindi
- शेयर मार्केट से इनकम होने पर टैक्स कैसे लगाया जाता है ?
Table of Contents
कैपिटल गेन क्या होता है ? ( what is capital gain in hindi ) –
जैसा कि हमने ऊपर बताया, कि किसी असेट्स को उसकी कॉस्ट से ज्यादा में बेचने पर जो मुनाफा होता है, उसे कैपिटल गेन कहा जाता है, जैसे –
मान लीजिये आप किसी कंपनी के शेयर्स को 10 हजार में खरीदते है और इसे 14 हजार में बेचते है, तो इस केस में आपको 4000 का प्रॉफिट होता है, यह 4000 की राशि आपकी कैपिटल गेन की इनकम मानी जायेगी और इसे आपको अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय कैपिटल गेन हेड की इनकम में रिपोर्ट करना होगा।
इसी तरह अगर आप किसी कंपनी के शेयर्स को 10 हजार में खरीदते है और 9 हजार में बेचते है, तो इसे केस में आपको 1 हजार का नुकसान होता है, तो यह 1000 की राशि आपका कैपिटल लॉस (capital loss ) मानी जाएगी और इसे भी कैपिटल गेन हेड में रिपोर्ट करना होगा।
हालाँकि, जो लॉस आपको हो रहा है, उसे आपको सेट ऑफ करना है या आगे carry forward करना है, यह कैपिटल गेन के टाइप्स पर डिपेंड करता है। कैपिटल गेन के टाइप्स के बारे में हम आगे चर्चा करेंगे।
कैपिटल लॉस को सेट ऑफ & carry फॉरवर्ड करने के रूल्स के बारे जानने के लिए कैपिटल लोस को सेट ऑफ & carry forward करने के क्या नियम है ? देख सकते है।
नोट – किसी भी असेट्स को बेचने पर होने वाले प्रॉफिट पर कैपिटल गेन टैक्स लगाने से पहले ध्यान रखे कि कैपिटल गेन टैक्स सिर्फ कैपिटल असेट्स को बेचने से होने वाले प्रॉफिट पर ही लगाया जाता है।
what is a capital assets ? कैपिटल एसेट्स क्या होती है –
कैपिटल गेन टैक्स लगाने के लिए सबसे जरुरी और बेसिक कंडीशन होती है, कि बेचीं जाने वाली सम्पति कैपिटल असेट्स होनी चाहिए।
अगर यह Capital Assets नहीं है , तो इस तरह की असेट्स को बेचने से होने वाला प्रॉफिट Capital Gain हेड में टैक्सेबल नहीं होगा।
कैपिटल असेट्स की डेफिनेशन –
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 2(14) में कैपिटल असेट्स की डेफिनेशन बताई गयी है। इस डेफिनेशन के अनुसार कैपिटल असेट्स को 2 टाइप्स में अलग किया गया है –
- सभी तरह की असेट्स को कैपिटल असेट्स माना जायेगा, जब तक की उन्हें नॉन कैपिटल असेट्स नहीं बताया गया हो। ये असेट्स टैक्सपेयर के बिज़नेस से रिलेटेड भी हो सकती है और नहीं भी, या
- Foreign Institutional Investor (FII) द्वारा धारित सिक्योरिटीज ।
इन दोनों तरह की असेट्स को कैपिटल असेट्स माना जायेगा और इन पर हुए प्रॉफिट पर कैपिटल गेन हेड में टैक्स लगाया जायेगा।
कौनसी असेट्स को कैपिटल असेट्स नहीं माना जायेगा ?
इनकम टैक्स एक्ट 1961 में सभी असेट्स को कैपिटल असेट्स माना गया है, लेकिन कुछ असेट्स को लेकर इनकम टैक्स एक्ट में साफ कहा गया है, इन असेट्स को कैपिटल असेट्स नहीं माना जायेगा और इन पर हुए प्रॉफिट पर कैपिटल गेन हेड में टैक्स नहीं लगाया जायेगा।
ये असेट्स है –
टैक्सपेयर द्वारा बिज़नेस या प्रोफेशन के लिए रखा गया व्यापारिक स्टॉक
किसी भी बिज़नेस या प्रोफेशन के लिए रखे गए ” stock in trade ” को कैपिटल असेट्स नहीं माना जायेगा और इस तरह के स्टॉक को बेचने से हुए प्रॉफिट को कैपिटल गेन हेड की इनकम नहीं मानकर बिज़नेस & प्रोफेशन हेड की इनकम माना जायेगा।
जैसे – mr . विरेन्द्र एक प्रॉपर्टी डीलर है और अप्रैल 2020 में 50 लाख की एक प्रॉपर्टी दुबारा बेचने के लिए खरीदते है। जनवरी 2021 में Mr विरेन्द्र इस प्रॉपर्टी को 60 लाख में बेच देते है।
इस केस में Mr विरेन्द्र का प्रॉपर्टी में खरीद – बिक्री का बिज़नेस है और यह प्रॉपर्टी Mr विरेन्द्र के ” stock in trade ‘ के रूप में मानी जाएगी, इसलिए यह प्रॉपर्टी एक कैपिटल असेट्स नहीं है। इसलिए इस प्रॉपर्टी को बेचकर हुए प्रॉफिट को कैपिटल गेन हेड की इनकम नहीं मानकर बिज़नेस हेड की इनकम माना जायेगा।
अपवाद – फॉरेन इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर ( FII) के लिए ” stock in trade ” के रूप में रखी गयी, सिक्योरिटीज को भी कैपिटल असेट्स माना जायेगा।
पर्सनल असेट्स
टैक्सपेयर द्वारा पर्सनल यूज़ के लिए रखी असेट्स को भी कैपिटल असेट्स नहीं माना जायेगा और इनको बेचने से हुए प्रॉफिट पर कैपिटल गेन हेड में टैक्स नहीं लगाया जायेगा।
पर्सनल यूज़ के लिए रखी असेट्स में सिर्फ मूवेबल (movable ) प्रॉपर्टी को ही शामिल किया जायेगा। पर्सनल असेट्स में सभी तरह की चीजों ( कपड़ो, फर्नीचर आदि भी ) को शामिल किया जायेगा, लेकिन कुछ असेट्स को छोड़कर।
पर्सनल असेट्स में शामिल नहीं की जाएगी –
- ज्वेलरी;
- पुरातात्विक कलेक्शन;
- ड्रॉइंग्स;
- पेंटिंग;
- किसी दूसरे तरह की आर्ट etc.
यह भी देखे – भारत में गिफ्ट पर टैक्स लगाने के सम्बन्ध में जरुरी नियम
ग्रामीण कृषि भूमि
टैक्सपेयर द्वारा ग्रामीण कृषि भूमि को बेचा जाता है, तो इसको बेचने से हुए प्रॉफिट को कैपिटल गेन की इनकम नहीं माना जायेगा। क्योकि ग्रामीण कृषि भूमि को कैपिटल असेट्स नहीं माना जाता है।
हालाँकि, अगर शहरी कृषि भूमि को बेचा जाता है, तो इसको बेचने से हुए प्रॉफिट को कैपिटल गेन की इनकम माना जायेगा।
नोट – शहरी और ग्रामीण कृषि भूमि में अंतर कैसे करे, के बारे में जानने के लिए क्या एग्रीकल्चरल इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री होती है ? देखे।
- 6.5 % Gold Bond/Special Bearer Bond,
- सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा notified Gold Deposit Bonds .
यह भी देखे :
- अगर आप करते है ये ट्रांजैक्शन तो आपके पास भी आ सकता है इनकम टैक्स नोटिस
- अब नकद में ट्रांजेक्शन करने वालो पर लगाई जाएगी पेनल्टी ( सेक्शन 269ST)
कैपिटल असेट्स को ट्रांसफर करना क्या होता है ? Meaning of Transfer
कैपिटल गेन पर टैक्स तब लगाया जाता है, जब कोई कैपिटल असेट्स ट्रांसफर की जाती है ।
अगर कैपिटल असेट्स ट्रांसफर नहीं की जाती है तो इस पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगेगा, जैसे – उत्तराधिकार या वसीयत में प्राप्त हुई सम्पति को ट्रांसफर नहीं माना जायेगा, इसलिए इस पर कैपिटल गेन नहीं लगाया जायेगा।
हालाँकि, वसीयत या उत्तराधिकार में प्राप्त सम्पति को आगे बेचा जाता है, तो इस पर कैपिटल गेन टैक्स लगाया जायेगा।
इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार किसी Capital Assets का ट्रांसफर कब माना जाता है ?
जब नीचे बताये गए केसेज में से कोई भी एक केस होता है, तो इसे ट्रांसफर माना जायेगा और इस ट्रांजेक्शन पर कैपिटल गेन टैक्स लगाया जायेगा।
- किसी एसेट्स (Capital Assets) का Sale, Exchange, Relinquishment, Extinguishment हो, या
- किसी एसेट्स का Compulsory Acquisition हो, या
- कैपिटल एसेट्स का स्टॉक इन ट्रेड में Conversion हो, या
- Zero Coupon Bond की Maturity या Redemption पर ।
कैपिटल असेट्स कितने टाइप्स की होती है ? Types of Capital Assets
टैक्सपेयर द्वारा किसी Capital Assets को कितने समय तक अपने पास रखा जाता है, के आधार पर कैपिटल असेट्स को अलग किया जाता है।
capital assets होल्ड करने के पीरियड के आधार पर 2 टाइप की होती है, (1.) शार्ट टर्म कैपिटल असेट्स (2) लॉन्ग टर्म कैपिटल असेट्स।
शार्ट टर्म कैपिटल असेट्स
यह ऐसी असेट्स होती है जो ट्रांसफर करने की तारीख से पूर्व करदाता द्धारा 24 महीने या उससे कम पीरियड के लिए टैक्सपेयर द्वारा खुद के पास रखी गयी हो।
लेकिन कुछ एसेट्स ऐसी भी होती है जिनका होल्डिंग पीरियड 12 महीने या उससे कम हो, तब भी उन्हें शार्ट टर्म कैपिटल असेट्स माना जायेगा , जैसे –
(a.) ऐसी सिक्योरिटीज जो कि भारत में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो,
(b) यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (UTI ) की यूनिट्स,
(c) सेक्शन 10 (23 D) में वर्णित Equity Oriented Mutual Funds की यूनिट्स,
(d) जीरो कूपन बांड्स आदि ।
Unlisted Shares, जमीन या बिल्डिंग को शार्ट टर्म कैपिटल असेट्स तब माना जाता है, जब वह ट्रांसफर की तारीख से पूर्व 24 महीने या कम अवधि के लिए धारित की गयी हो।
इसके अलावा Units of debt oriented mutual fund (listed or unlisted ), अनलिस्टेड सिक्योरिटीज ( शेयर्स के अलावा ) और अन्य असेट्स ( गोल्ड, सिल्वर etc .) के केस में 36 महीनो से कम समय के लिए होल्ड करने पर उन्हें शार्ट टर्म कैपिटल एसेट्स माना जायेगा।
Long Term Capital Assets –
शार्ट टर्म कैपिटल असेट्स के अलावा सभी असेट्स को Long Term Capital Assets माना जायेगा।
जैसे –
CAPITAL ASSETS | short term | long term |
Securities listed on recognized stock exchange | 12 महीने से कम | 12 महीने से ज्यादा |
Units of UTI/Equity oriented mutual funds | 12 महीने से कम | 12 महीने से ज्यादा |
Zero Coupon Bonds | 12 महीने से कम | 12 महीने से ज्यादा |
Unlisted Shares | 24 महीने से कम | 24 महीने से ज्यादा |
Land & Building or Both | 24 महीने से कम | 24 महीने से ज्यादा |
Unit of debt oriented funds | 36 महीने से कम | 36 महीने से ज्यादा |
Unlisted Securities fund other than shares | 36 महीने से कम | 36 महीने से ज्यादा |
Other Capital Assets( gold, silver etc.) | 36 महीने से कम | 36 महीने से ज्यादा |
यह भी जाने :
- ऐसी इनकम जिन पर भारत में कोई टैक्स नहीं लगता – tax free income in india section 10
- नेशनल पेंशन स्कीम और अटल पेंशन योजना से इनकम टैक्स कैसे और कितना बचा सकते है ?
कैपिटल गेन पर टैक्स रेट क्या होती है ? Capital Gains Tax India in hindi
कैपिटल असेट्स के टाइप्स के आधार पर ही कैपिटल गेन का पता चलता है, कि कैपिटल गेन का टाइप क्या है।
जैसे – शार्ट टर्म कैपिटल असेट्स को बेचने से होने वाले प्रॉफिट को शार्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल असेट्स को बेचने से होने वाले प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है।
शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स रेट क्या होगी ?
शार्ट टर्म कैपिटल असेट्स को बेचने से होने वाले शार्ट टर्म कैपिटल गेन को भी आगे 2 टाइप्स में अलग किया है, –
- सेक्शन 111A में कवर शार्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG )
- सेक्शन 111A में कवर नहीं होने वाला शार्ट टर्म कैपिटल गेन
मान्यता प्राप्त एक्सचेंज (NSE,BSE ) पर बेचे गए शेयर, equity ओरिएंटेड म्यूच्यूअल फण्ड या बिज़नेस ट्रस्ट की यूनिट्स को बेचने से हुए शार्ट टर्म कैपिटल गेन को सेक्शन 111A में कवर माना जाता है। और इस तरह के कैपिटल गेन पर 15 % की रेट से टैक्स लगाया जाता है।
हालाँकि, सेक्शन 111A में कवर कैपिटल गेन के केस में basic exemption limit की छूट ली जा सकती है, लेकिन सेक्शन 80 C से सेक्शन 80U में कवर किसी भी डिडक्शन की छूट नहीं ली जा सकती है।
सेक्शन 111A में कवर नहीं होने वाला शार्ट टर्म कैपिटल गेन
किसी भी जमींन, बिल्डिंग, ज्वेलरी या अन्य तरह की असेट्स ( जो ऊपर बताई गयी असेट्स में शामिल नहीं हो ) से होने वाले कैपिटल गेन को सेक्शन 111A में कवर नहीं होने वाला कैपिटल गेन माना जायेगा।
इस तरह से शार्ट टर्म कैपिटल गेन को टैक्सपेयर की टोटल इनकम में शामिल किया जायेगा और इस पर स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगाया जायेगा।
यह भी देखे – Income Tax kya Hai । Income Tax Ki Rates
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स रेट क्या एप्लीकेबल होगी ?
लॉन्ग टर्म कैपिटल असेट्स को बेचने से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20 % की रेट से टैक्स लगाया जाता है, लेकिन इस केस में आपको इंडेक्सेशन का बेनिफिट दिया जाता है।
हालाँकि, टैक्सपेयर द्वारा 10 % की रेट से टैक्स देने का भी चुनाव किया जा सकता है, लेकिन इसमें इंडेक्सेशन का बेनफिट प्राप्त नहीं होगा।
इंडेक्सेशन में कैपिटल असेट्स की कॉस्ट को इन्फ्लेशन से एडजस्ट किया जाता है।
हालाँकि, equity शेयर, म्यूच्यूअल फण्ड या बिज़नेस ट्रस्ट की यूनिट से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं लगाया जायेगा, अगर यह टोटल 1 लाख से कम है।
1 लाख से ज्यादा का अमाउंट होने पर सिर्फ 1 लाख के ऊपर के अमाउंट पर 10 % की रेट से टैक्स लगाया जायेगा।
कैपिटल गेन की कैलकुलेशन को हम दूसरे आर्टिकल में कवर करेंगे।
अगर आपको आर्टिकल (Capital Gains Tax India in hindi) अच्छा लगा हो तो इसे आगे शेयर जरूर करे।
धन्यवाद !
यह भी देखे :
- कैपिटल गेन पर टैक्स कैसे बचाये ?
- बिज़नेस में नुकसान से इनकम टैक्स कैसे बचाया जा सकता है ? set off and carry forward of losses
- आप भी कोई प्रॉपर्टी बेच रहे है तो आपको पता होनी चाहिए कुछ जरुरी चीजे
- क्या आप 80C की इन डिडक्शन के बारे में जानते है ? देखिये 8 most important 80C deductions
- बेनामी प्रॉपर्टी क्या है ?