सेक्शन 89 की रिलीफ से हम टैक्स कैसे बचा सकते है। relief under section 89 of income tax act in hindi

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relief under section 89 of income tax act in hindi

relief under section 89 of income tax act in hindi – कई बार एम्प्लोयी को अपने एम्प्लायर से पुराने वर्षो की सैलरी या एडवांस में सैलरी प्राप्त होती है, जिस वजह से एम्प्लोयी की चालू वर्ष की कुल इनकम बढ़ जाती है और उसे उस वर्ष में ज्यादा टैक्स का पेमेंट करना पड़ जाता है।

जैसे – किसी एम्प्लोयी की कुल इनकम 6 लाख है और 1.50 लाख की टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के लिए वह एलिजिबल है।  1.50 लाख की टैक्स डिडक्शन क्लेम करने की वजह से उसकी नेट टैक्सेबल इनकम 4.50 लाख (6 लाख – 1.50 लाख ) की हो जाती है।

नेट टैक्सेबल इनकम 5 लाख से कम होने की वजह से उसे सेक्शन 87A में टैक्स अमाउंट की रिबेट मिल जाएगी, जिसकी वजह से उसे कुछ भी टैक्स का पेमेंट नहीं करना होगा।

लेकिन, इसी केस में अगर एम्प्लोयी को 2 लाख “Arrear of Salary ” प्राप्त होती है, तो उसकी कुल इनकम 2 लाख से ज्यादा की हो जाएगी। यानि कि कुल इनकम 6 .50 लाख ( 4.50 लाख + 2 लाख ) की हो जायगी, जिसकी वजह से उसे सेक्शन 87A में टैक्स रिबेट प्राप्त नहीं होगी और उसे कुल 44,200 का टैक्स देना होगा।

अगर एम्प्लोयी को 2 लाख की पुरानी सैलरी का बकाया प्राप्त नहीं होता, तो उसे कुछ भी टैक्स नहीं देना होता, जबकि  2 लाख की पुरानी सैलरी प्राप्त होने पर उसे 44,200 का टैक्स देना पड़ रहा है।

टैक्सपेयर की इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार द्वारा सेक्शन 89 (1 ) की टैक्स रिलीफ का कांसेप्ट लाया गया। सेक्शन 89 की टैक्स रिलीफ ऐसे टैक्सपेयर द्वारा क्लेम की जा सकती है, जिसको पुरानी सैलरी या एडवांस में सैलरी प्राप्त हो रही हो। इसके अलावा फैमिली पेंशन के केस में भी यह टैक्स रिलीफ क्लेम की जा सकती है।

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सैलरी पर टैक्स कब देना होता है ?

सेक्शन 89 की रिलीफ को समझने से पहले आपको यह जानना जरुरी है कि सैलरी पर इनकम टैक्स कब देना होता है?

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार सैलरी Due या प्राप्ति, जो भी पहले हो टैक्सेबल होती है। जैसे – मार्च 2023 में देय (Due) सैलरी अप्रैल 2023 में प्राप्त होती है तो यह फाइनेंसियल ईयर 2022-23 में टैक्सेबल होगी न कि अप्रैल में प्राप्त होने के कारण फाइनेंसियल ईयर 2023-24 में।

इसलिए जब Arrears of salary (पुराने वर्षो की सैलरी ) प्राप्त होती है तो यह प्राप्ति के वर्ष में टैक्सेबल होती है, क्योकि यह पहले के वर्षो से सम्बंधित होती है, लेकिन यह उस समय पर Due नहीं हुई थी ।

जब कोई राशि due नहीं होती है, तो एम्प्लोयी का उसे प्राप्त करने का अधिकार नहीं होता है और जैसे ही यह due (देय ) हो जाती है, एम्प्लोयी का इस पर प्राप्त करने का अधिकार हो जाता है।

इसलिए इनकम टैक्स एक्ट 1961 में सैलरी due या प्राप्त होने, जो भी पहले हो, टैक्स लगाया जाता है।

इस तरह जो सैलरी एडवांस में प्राप्त होती है, वह एम्प्लोयी को वर्तमान में due नहीं है, लेकिन वह उसे प्राप्त हो चुकी है, इसलिए इस पर प्राप्ति बेसिस पर टैक्स लगाया जाता है।


सेक्शन 89 (1 ) की रिलीफ क्या होती है ?

किसी भी टैक्सपेयर को सैलरी Arrear या एडवांस में मिलने की वजह से जो अतिरिक्त टैक्स जमा करना होता है, उसी टैक्स लायबिलिटी को कम करने के लिए टैक्सपेयर को सेक्शन 89(1) में टैक्स रिलीफ क्लेम दी जाती है।

सेक्शन 89 की टैक्स रिलीफ इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के समय क्लेम की जा सकती है। इसे क्लेम करने के लिए टैक्सपेयर को फॉर्म 10 E भरना होता है।

यह टैक्स रिलीफ ग्रैचुइटी, पेंशन , कंपनसेशन नेचर के पेमेंट आदि के केस में भी क्लेम की जा सकती है।

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सेक्शन 89 की रिलीफ कैसे कैलकुलेट की जाती है ?

इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 89(1 ) की टैक्स रिलीफ को क्लेम करने के टैक्सपेयर को कुछ कैलकुलेशन करनी होती है। इस कैलकुलेशन को करने के लिए कुछ स्टेप्स को फॉलो करना पड़ता है, जो कि है –

  1. जिस वर्ष में arrears of salary प्राप्त होता है, उस वर्ष में arrears को शामिल करते हुए कुल इनकम पर टैक्स निकाले,
  2. arrears of salary जिस वर्ष में प्राप्त हुआ है,उस वर्ष में arrears को शामिल नहीं करते हुए टैक्स निकाले,
  3. स्टेप 1 और स्टेप 2 का difference निकाले ,
  4. जिस वर्ष से arrears of salary सम्बंधित है उस वर्ष में arrears को शामिल करते हुए कुल इनकम पर टैक्स निकाले,
  5. arrears of salary जिस वर्ष से उस वर्ष में arrears को शामिल नहीं करते हुए कुल इनकम पर टैक्स निकाले,
  6. स्टेप 4 और स्टेप 5 का difference निकाले ,
  7. स्टेप 3 में से स्टेप 6 का डिफरेंस निकाले,

स्टेप 3 का अमाउंट जितना अधिक आयेगा, उस अमाउंट की Section 89 में रिलीफ दी जायेगी। लेकिन स्टेप 6 का अमाउंट अधिक आता है तो कोई रिलीफ नहीं दी जायेगी।

इसको समझने के लिए एक example देखते है –

मान लीजिये आपकी असेसमेंट ईयर 2023-24 में इनकम 10 लाख है और 1 लाख का आपको salary का arrear प्राप्त होता है, जो कि असेसमेंट ईयर 2022-23 से सम्बंधित है । असेसमेंट ईयर 2022-23 में आपकी कुल इनकम 7 लाख है। तो इस केस में सेक्शन 89 की रिलीफ की कैलकुलेशन क्या होगी ?

solution –

Particulars A.Y. 2023-24 A.Y. 2022 -23
income before arrears 10,00,000 7,00,000
Tax liability ( A) 1,17,000 54,600
Arrears 1,00,000 1,00,000
Income after arrears 11,00,000 8,00,000
Tax liability ( B) 1,48,200 75,400
Tax liability (B-A) 31,200 20,800
Tax relief under section 89 (31200-20800) 10,400
Tax payable in A.Y. 2019-20 (148200-10400) 1,37,800

 

इस प्रकार इस example में आप देख सकते है कि बिना सेक्शन 89 की रिलीफ को क्लेम किये असेसमेंट ईयर 2023 -24 के लिए टैक्स लायबिलिटी Rs 1,48,200 आ रही थी और सेक्शन 89 की रिलीफ को क्लेम करने के बाद यह 1,37,800 आ रही है। यानि कि इस केस में आपको Rs 10,400 की रिलीफ मिल रही है।

नोट : सेक्शन 89 की टैक्स रिलीफ को क्लेम करने के लिए टैक्स कैलकुलेशन के समय अगर आप किसी टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के लिए एलिजिबल है, तो आप इसे क्लेम कर सकते है। टैक्स कैलकुलेशन के लिए आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर उपलब्ध टैक्स कैलकुलेटर का भी सहारा ले सकते है – टैक्स कैलकुलेटर

 

सेक्शन 89 की रिलीफ को कैसे क्लेम करे ?

सेक्शन 89 की रिलीफ की कैलकुलेशन को क्लेम करने के बाद इसे आपकी इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना होता है। जब भी आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते है तो उसमे सेक्शन 89 की रिलीफ को क्लेम के लिए अलग से एक कॉलम होता है। उस कॉलम में section 89 की रिलीफ के अमाउंट को डालना होता है।

जब भी आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में section 89 relief को क्लेम करते है तो आपको फॉर्म 10 E फाइल करना भी जरुरी होता है। ऐसा नहीं करने पर आपकी रिटर्न प्रोसेस नहीं की जाएगी।

फॉर्म 10e को इनकम टैक्स ऑनलाइन पोर्टल पर फाइल किया जा सकता है। इनकम टैक्स ऑनलाइन पोर्टल पर जाने के बाद आपको लॉगिन करना होता है और इनकम टैक्स फॉर्म्स में जाकर फॉर्म 10e को सेलेक्ट करना होता है।

फॉर्म 10 e को सेलेक्ट करने के बाद उसमे आपको arrears of सैलरी और रिलीफ के अमाउंट को भरना होता है।

जब भी आप सेक्शन 89 की रिलीफ को क्लेम को करते है तो फॉर्म 10 e को जरूर फाइल करे।

फॉर्म 10E पीडीएफ डाउनलोड करे।

क्या फॉर्म 10 E फाइल नहीं करने पर इनकम नोटिस मिल सकता है ?

Form 10 e फाइल नहीं करने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको इनकम टैक्स नोटिस जारी कर सकता है। इस नोटिस में आपको फॉर्म 10 e को फाइल करने के लिए कहा जा सकता है। जब तक आप इस नोटिस के जवाब में form 10 e को फाइल नहीं करते है तब तक आपकी इनकम टैक्स रिटर्न प्रोसेस नहीं की जायेगी।

इसलिए जब भी आप अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में section 89 की रिलीफ को क्लेम करते है तो फॉर्म 10 e को जरूर फाइल करे।

section 89 की रिलीफ के सम्बन्ध में हमारे आर्टिकल relief under section 89 of income tax act in hindi को आगे शेयर जरूर करे।

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